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झारखंड में कांग्रेस की धुरी रहे आलमगीर, सत्ता की चासनी में हाथ हमेशा डूबे रहे, रसूखदार भी बने

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आलमगीर आलम कांग्रेस की धुरी रहे हैं. कांग्रेस के अंदर आलमगीर की साख रही है. केंद्रीय नेतृत्व ने आलमगीर पर हमेशा भरोसा किया. राज्य में जब भी गैर भाजपा की सरकार बनी आलमगीर शामिल रहे.

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रांची (आनंद मोहन). आलमगीर आलम कांग्रेस की धुरी रहे हैं. कांग्रेस के अंदर आलमगीर की साख रही है. केंद्रीय नेतृत्व ने आलमगीर पर हमेशा भरोसा किया. राज्य में जब भी गैर भाजपा की सरकार बनी आलमगीर शामिल रहे. इन्होंने अपना राजनीतिक सफर 1995 में शुरू किया और फिर आगे ही बढ़ते रहे. वर्ष 2000 में पाकुड़ से पहली बार चुनाव लड़े और सत्ता तक पहुंचे. बिहार में राबड़ी सरकार में राज्यमंत्री बने. एकीकृत बिहार से लेकर झारखंड तक में आलमगीर सत्ता के इर्द-गिर्द रहे. कांग्रेस के इस नेता के हाथ हमेशा सत्ता की चासनी में डूबे रहे. 2005 में विधानसभा अध्यक्ष बने. इसके बाद 2009 का चुनाव हार गये. फिर 2014 और 2019 में लगातार जीते. 2014 में पार्टी के विधायक दल के नेता रहे. केंद्रीय नेतृत्व ने हमेशा आलमगीर को जवाबदेही दी. 2019 में ग्रामीण विकास मंत्री और संसदीय कार्यमंत्री बने.

हेमंत सोरेन की सरकार में इनका कद और बढ़ा. कांग्रेस और सरकार के बीच की कड़ी रहे. हेमंत सोरेन के कैबिनेट में वह नंबर दो पर थे. सरकार के बड़े फैसले में आलमगीर की भूमिका रही. हेमंत सोरेन पर जब भी संकट आया, तो आलमगीर सामने आये. विधायकों को इंटैक्ट रखने से लेकर सरकार का कवच बने. अपने केंद्रीय नेतृत्व से संपर्क में रहे. इधर जमीन मामले में इडी ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया, तो आलमगीर ने ही पार्टी की ओर से मोर्चा संभाला. चंपाई सोरेन के मुख्यमंत्री बनने से लेकर सरकार में इनकी भूमिका और बढ़ी. वर्तमान चंपाई सोरेन सरकार में उन्होंने विभाग को अपने हिसाब से हांका. हेमंत सोरेन हों या फिर चंपाई सोरेन आलमगीर के विभाग में इनका दखल नहीं रहा.

लोकसभा चुनाव में टिकट से लेकर गठबंधन में रही भूमिका, कांग्रेस को बड़ा झटका

आलमगीर आलम की वर्तमान लोकसभा चुनाव में सक्रिय भूमिका रही. पार्टी प्रत्याशियों को टिकट बंटवारे का मामला हो या फिर गठबंधन में सीट शेयरिंग, हर जगह इनकी मौजूदगी थी. पार्टी विधायक दल के नेता के रूप में वह सांगठनिक कामकाज को भी देखते थे. सीट शेयरिंग को लेकर हर बैठक में वह आला नेताओं के साथ मौजूद रहे. वहीं टिकट बंटवारे में भी इनकी चली. आलमगीर की गिरफ्तारी से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. लोकसभा के चुनाव को तीन फेज झारखंड में बाकी है, उससे पहले आलमगीर जेल के अंदर चले गये. संताल परगना के इलाके में इनकी सक्रियता का लाभ गठबंधन को मिलता, लेकिन उससे पहले बड़े मामले में फंस गये.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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