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court news : बिजली बोर्ड में वर्ष 2013 में बहाल एइ की नियुक्ति वर्ष 2009 मानी जाये

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एक ही विज्ञापन से अलग-अलग समय में नियुक्त अभ्यर्थियों की वरीयता को लेकर दायर याचिका पर हाइकोर्ट में हुई सुनवाई

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वरीय संवाददाता, रांची़ झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने एक ही विज्ञापन से अलग-अलग समय में नियुक्त अभ्यर्थियों की वरीयता को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. इस दाैरान अदालत ने प्रार्थी व प्रतिवादी का पक्ष सुना. सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने कहा कि नियुक्ति में विलंब के लिए अभ्यर्थी जिम्मेवार नहीं हैं. इसमें उनकी कोई गलती नहीं है. इसलिए बिजली बोर्ड में वर्ष 2013 में विलंब से नियुक्त अभ्यर्थियों की नियुक्ति वर्ष 2009 ही मानी जाये. साथ ही उसी के अनुरूप नियुक्त होनेवालों की वरीयता सूची संशोधित की जाये. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता मनोज टंडन व अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने अदालत को बताया कि एक ही विज्ञापन से वर्ष 2009 व 2013 में नियुक्ति हुई. विलंब से नियुक्ति में उनकी कोई गलती नहीं है. उनकी भी नियुक्ति वर्ष 2009 में हुई होती. बोर्ड में प्रोन्नति के अवसर हैं. यदि वरीयता सूची संशोधित नहीं हुआ, तो उन्हें भविष्य में नुकसान होगा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अमित कुमार, घासीराम सरदार व अन्य की ओर से अलग-अलग याचिका दायर की गयी थी. प्रार्थी का कहना था कि उनकी नियुक्ति हाइकोर्ट के आदेश के बाद वर्ष 2013 में हुई थी. बिजली बोर्ड में वर्ष 2008 में अस्सिटेंट इंजीनियरों की नियुक्ति का विज्ञापन आया था. चयनित सभी अभ्यर्थियों की नियुक्ति वर्ष 2009 में कर ली गयी, लेकिन अस्सिटेंट इंजीनियर आइटी में नियुक्ति नहीं होने पर हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी. हाइकोर्ट ने अभ्यर्थियों की नियुक्ति का आदेश दिया. इसके बाद बिजली बोर्ड ने एकल पीठ के आदेश को अपील याचिका दायर कर चुनाैती दी, जो खारिज हो गयी. इसके बाद अभ्यर्थियों ने अवमानना याचिका दायर की. फिर बोर्ड द्वारा वर्ष 2013 में नियुक्ति की गयी थी.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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