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झारखंड: पूर्व जेलर ने बेटे को कनाडा में पढ़ाने के लिए अकाउंट में जमा कराए थे 15 लाख कैश, संपत्ति की जांच शुरू

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तत्कालीन जेलर अश्विनी तिवारी वर्ष 1984-85 में क्लर्क के रूप में बहाल हुए थे, लेकिन धीरे- धीरे वह जेलर के पद तक पहुंच गये और कम समय में ही अकूत संपत्ति अर्जित की. उन्होंने अपने बेटे को पढ़ाने के लिए कनाडा भेजा.

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रांची: धनबाद मंडल कारा के पूर्व जेलर अश्विनी तिवारी की संपत्ति की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने शुरू कर दी है. इसके लिए एसीबी ने प्रिलिमिनरी इंक्वायरी (प्रारंभिक जांच, पीई) दर्ज कर लिया है. एसीबी को तत्कालीन जेलर वर्ष 1984-85 में क्लर्क के रूप में बहाल हुए थे, लेकिन धीरे- धीरे वह जेलर के पद तक पहुंच गये और कम समय में ही अकूत संपत्ति अर्जित की. उन्होंने अपने बेटे को पढ़ाने के लिए कनाडा भेजा. बेटे की पढ़ाई के खर्च के लिए उन्होंने अपने बेटे के अकाउंट में 15 लाख रुपये नकद जमा कराये.

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दिल्ली में है एक फ्लैट

सिर्फ यहीं नहीं दिल्ली में भी उनका एक फ्लैट है, जबकि चास में उनका एक मकान है. जिसकी लागत करीब 60 लाख रुपये के करीब है. वह पूर्व में चास में भी पदस्थापित रह चुके हैं. अश्विनी तिवारी पर यह भी आरोप था कि उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग कर अपने कार्यकाल के दौरान दूसरे स्थानों पर भी संपत्ति अर्जित की है. सूचना के आधार पर पहले एसीबी ने उनके खिलाफ आइआर दर्ज कर आरंभिक जांच की था. जिसमें एसीबी को इस बात की जानकारी मिली कि अश्विनी तिवारी ने उक्त स्थानों पर संपत्ति अर्जित की है. इस वजह से मामले में तत्कालीन जेल की संपत्ति की गहराई से जांच के लिए एसीबी को सरकार से अनुमति की आवश्यकता थी. इस कारण एसीबी द्वारा मामले में पीई दर्ज करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार करके सरकार के पास भेज दिया गया था.

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पीई दर्ज कर संपत्ति की जांच शुरू

सरकार से अनुमति मिलने के बाद मामले में पीई दर्ज कर संपत्ति की जांच शुरू की. जांच के दौरान एसीबी तत्कालीन जेल से भी उनके आय- व्यय का पूरा ब्योरा हासिल कर इस बात का विश्लेषण करेगी कि जेलर के पास कितने रुपये की अवैध संपत्ति है.

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