27.1 C
Ranchi
Wednesday, February 12, 2025 | 11:31 am
27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

1857 के समर में जनजातीय विद्रोह के प्रखर नायक थे कोल्हान के गोनो पिंगुआ

Advertisement

साम्राज्यवादी नजरिया और आधिपत्यवादी मानसिकता से ग्रसित इतिहासलेखन में जनजातीय आंदोलन और इनके नायकों की राष्ट्रीय आंदोलन में चुनौतिपूर्ण भूमिका को नकारने की प्रवृत्ति रही है

Audio Book

ऑडियो सुनें

साम्राज्यवादी नजरिया और आधिपत्यवादी मानसिकता से ग्रसित इतिहासलेखन में जनजातीय आंदोलनों और इनके नायकों की राष्ट्रीय आंदोलन में चुनौतिपूर्ण भूमिका को नकारने की प्रवृत्ति रही है. यह वैज्ञानिक इतिहासलेखन नहीं है. इसी संदर्भ में, अभिलेखीय स्रोत काफी मायने रखते हैं और इनकी समीक्षात्मक विवेचना करने वाले प्रख्यात इतिहासकारों और शोध-विद्वानों द्वारा 1857 के राष्ट्रीय समर में छोटानागपुर के गोनो पिंगुआ को एक जननायक के रूप में रेखांकित करने के बावजूद वे गुमनाम ही हैं.

विगत वर्षों में 1857 के राष्ट्रीय संघर्ष पर प्रकाशित अधिकांश पुस्तकों में भी गोनो पिंगुआ के संबंध में कुछ नहीं लिखा गया, पर हाल के वर्षों में 1857 के राष्ट्रीय समर में गोनो के संघर्ष पर इतिहासकारों और शोध-विद्वानों ने प्रकाश डाला है और इसे रेखांकित किया है. इस संबंध में गौतम भद्र, फॉर रिबेल्स आॅफ 1857, रणजीत गुहा (इडिटेड) सबलटर्न स्टडिज, दिल्ली, 1985 पृ-255-263, गौतम भद्र, पूर्वोक्त, विश्वमय पति (इडि.)

द 1857 रेबेलियन, नयी दिल्ली, 2007, पृ 257-261 (न्यायालीय दस्तावेजों पर आधारित), संयुक्तादास गुप्ता, रेबेलियन इन लिटिल नोन डिस्ट्रिक्ट आॅफ द एम्पायर-1857 एंड द होज आॅफ सिंहभूम, सव्यसाची भट्टाचार्या (इडि.), रिथिंकिंग 1857, नयी दिल्ली, 2008, पृ 96-119 विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं.

जानेमाने इतिहासकार अशोक कुमार सेन ने भी गोनो पिंगुआ के योगदान की विस्तृत विवेचना की ‘रिसरे-Ïक्टग ए लिडर फ्रॉम ओवलिवियन-गोनो पिंगुआ एंड द रिवोल्ट आॅफ 1857-59’ में की है. आशा मिश्रा और चितरंजन कुमार पति (इडि.), ट्राबल मुसेंट्स इन झारखंड, नयी दिल्ली, 2010, पृ 15-27 और विस्मृत आदिवासी इतिहास की खोज में अध्याय-3 तथा इतिहासकार सेन के आलेख के हिंदी रूपांतरन, पृ 38-49, रांची, 2009-2010 में भी 1857 के राष्ट्रीय समर में गोनो पिंगुआ के क्रांतिकारी रोल की विवेचना की गयी है.

यह उल्लेखनीय है कि ऐतिहासिक दस्तावेजों में वर्णित गोनू ही पाताजैत (कोल्हान) का जनजातीय नायक गोनो पिंगुआ हैं. प्रचलित स्रोतों में गोनो का उल्लेख नहीं होने की जानकारी देते और ऐतिहासिक और न्यायालीय स्रोतों का अवलोकन करते हुए प्रख्यात इतिहासकार अशोक कुमार सेन ने स्पष्ट लिखा है कि विद्रोही जनजातीय नायक गोनो पिंगुआ ने सिंहभूम जिले में 1857-1859 के महाविद्रोह की अगुआई की.

इतिहासकार सेन का कहना है कि सिंहभूम में सरकार विरोधी जनजातीय विद्रोह में संलग्नता से संबंधित दस्तावेज, न्यायालय के रिकाॅर्डस और खुंटकट्टी दस्तावेज आदि से गोनो पिंगुआ के बारे में जानकारी मिलती है, पर मौलिक रूप से इन स्रोतों के आलोक में इतिहासकार सेन ने 1857-1859 के राष्ट्रीय समर को संगठित करने और इसे सघन बनाने में गोनो पिंगुआ की निर्णायक भूमिका का पुनर्निधारण किया और गोनो पिंगुआ को जनजातीय विद्रोह का नायक बताया.

हाल में किये गये शोधकार्यों के अनुसार गोनो पिंगुआ पोराहाट के राजा अर्जुन सिंह के प्रमुख सहयोगी और सिंहभूम में जनजातीय संघर्ष के प्रमुख नायक थे. राजा अर्जुन सिंह ने गोनो पिंगुआ को अपना प्रमुख ‘सरदार’ नियुक्त किया था और ‘ताल-पत्र पर अधिकार-पत्र, एक पगड़ी और एक घोड़ा’ प्रदान किया था. इससे गोनो पिंगुआ जनजातियों के नायक के रूप में उभरे और जनजातीय विद्रोही उनकी अगुआई में संगठित हो गये.

इसके लिए उन्होंने पोराहाट और कोल्हान की यात्राएं कीं और हो विप्लवी साथियों का सशस्त्र दल बनाया. ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार गोनो पिंगुआ के पूर्वज भी अंग्रेज विरोधी थे, जिन्होंने 1836-1837 में अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया था. उनके पिता माटा को बंदी बना लिया गया था और जेल में कैद कर दिया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गयी थी.

पोराहाट और कोल्हान में गोनो पिंगुआ ने अपने सहयोगी क्रांतिकारियों को संगठित किया और राजा अर्जुन सिंह की मदद की. एक गैर-जनजातीय शासक की जनजतियों और इसके सर्वमान्य नायक द्वारा विदेशी सत्ता के खिलाफ उनका सहयोग और समर्थन एक बड़ी ऐतिहासिक घटना थी. इसके दूरगामी परिणाम हुए. इसने जनजातियों के दृष्टिकोण को स्पष्ट कर दिया और यह भी स्पष्ट कर दिया कि जनजातियों को विदेशी सत्ता नापसंद थी.

यद्यपि गोनो पिंगुआ के कुछ सहयोगी क्रांतिकारी अंग्रेजों के द्वारा पकड़ लिये गये, पर गोनो पिंगुआ पुन: राजा अर्जुन सिंह के पास जाने में कामयाब हो गये और कोल्हान वापस आकर एक बड़े स्तर पर विद्रोहियों को संगठित किया. अंग्रेज अधिकारियों द्वारा चाईबासा से भेजे गये सैनिक सामग्रियों को क्रांतिकारियों ने लूट लिया, जिसे गोनो पिंगुआ ने बेलगाड़ियों पर लाद कर पोराहाट के एराजा अर्जुन सिंह के पास भेज दिया.

इसी घटना के पश्चात ही मोरगा और सेरिंगसिया में क्रांतिकारियों की अंग्रेजी सेना से ऐतिहासिक लड़ाई हुई, जिसका नेतृत्व गोनो ने किया था. इस प्रकार उन्होंने जनजातीय स्तर पर जन विद्रोह संगठित किया और इसकी अगुआई की. उनके गांव के लोगों द्वारा उन्हें याद किये जाने का उल्लेख करते हुए इतिहासकार सेन ने प्रामाणित किया कि पोराहाट के राजा के अनुयायी के रूप में 1857 के राष्ट्रीय समर में गोनो पिंगुआ ने हिस्सा लिया और फरार हो गये, पर बाद में अंग्रेज अधिकारी जराईकेला के राजा के साथ उन्हें गिरफ्तार करने में कामयाब हो गये और उसे कालापानी की सजा दी.

इस जनजातीय नायक का मूल्यांकन करते हुए सेन ने लिखा है कि ‘गोनो पिंगुआ के विद्रोही तौर तरीकों और दबंग व्यक्तित्व ने निश्चित रूप से उन्हें दक्षिण कोल्हान के आदिवासियों के केंद्रीय नेता के रूप में स्थापित किया. उनकी नेतृत्व क्षमता ने राजा अर्जुन सिंह के नेतृत्व में हुए ब्रिटिश विरोधी विद्रोह को शक्तिशाली बनाया.

ब्रिटेन की महारानी के विरुद्ध लड़ाई छेड़ने और एक यूरोपीय मूल के व्यक्ति की मौत के लिए जिम्मेदार होने के कारण भारतीय दंडविधि की 302 धारा के तहत गोनो को उम्र कैद की सजा दी गयी.’ केंद्रीय सरकार की महात्वाकांक्षी योजना अमृत महोत्सव के अवसर पर 1857 के राष्ट्रीय संघर्ष में गोनो पिंगुआ की क्रांतिकारी भूमिका की विवेचना काफी गौरवशाली है और वर्तमान की ही नहीं, बल्कि भावी पीढ़ी को भी प्रेरित करनेवाली है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें