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6th JPSC मामले पर Supreme Court की अहम टिप्पणी, राज्य सरकार से पूछा- HC के आदेश का क्या होगा प्रभाव

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6th JPSC, Jharkhand News: सुप्रीम कोर्ट ने छठी जेपीएससी मामले में झारखंड हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती देनेवाली स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि हाइकोर्ट के आदेश का क्या प्रभाव होगा?

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6th JPSC, Jharkhand News: सुप्रीम कोर्ट ने छठी जेपीएससी मामले में झारखंड हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती देनेवाली स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि हाइकोर्ट के आदेश का क्या प्रभाव होगा? सरकार की ओर से कहा गया कि लगभग 62 अधिकारी जो नौकरी कर रहे हैं, वह बाहर हो सकते हैं और इतने ही नये अभ्यर्थियों के नौकरी में आने की संभावना है.

इस पर खंडपीठ ने जानना चाहा कि 326 अधिकारियों की नियुक्ति को बिना डिस्टर्ब किये हुए हाइकोर्ट के आदेश के तहत नियुक्त होनेवाले 62 अभ्यर्थियों को कैसे समायोजित किया जा सकता है? इस बिंदु पर विचार कर राज्य सरकार को शपथ पत्र दायर करने के लिए कहा गया. जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा कि अभ्यर्थियों की कोई गलती नहीं है. जेपीएससी की गलतियों का खामियाजा अभ्यर्थी क्यों भुगतें?

यथास्थिति बहाल रखने संबंधी आदेश बरकरार

खंडपीठ ने छठी जेपीएससी मामले में यथास्थिति बहाल रखने संबंधी पूर्व में पारित अंतरिम आदेश को बरकरार रखा. अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 27 अप्रैल को दिन के दो बजे का समय निर्धारित किया. इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता वी मोहनना और वरीय अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील पेश की.

वहीं कैविएटर की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल, वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार, अधिवक्ता विज्ञान शाह, अधिवक्ता अमृतांश वत्स और अन्य ने पक्ष रखा. वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि नयी मेरिट लिस्ट में शामिल होनेवाले 62 अभ्यर्थियों को समायोजित किया जाना सबसे उचित विकल्प है.

हस्तक्षेपकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार सिन्हा ने पक्ष रखा. ज्ञात हो कि प्रार्थी प्लानिंग सर्विस के फैजान सरवर, प्रार्थी बरुण कुमार व अन्य की ओर से अलग-अलग एसएलपी दायर की गयी है. प्रार्थियों ने झारखंड हाइकोर्ट के 23 फरवरी 2022 के फैसले को चुनौती दी है. फैसले को गलत बताते हुए उसे निरस्त करने का आग्रह किया गया है. वहीं कैविएटर मुकेश कुमार, सुमित कुमार महतो व अन्य की ओर से कैविएट याचिका दायर की गयी है.

हाइकोर्ट ने 23 फरवरी को सुनाया था फैसला

चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने 23 फरवरी 2022 को फैसला सुनाते हुए एकल पीठ के सात जून 2021 के आदेश को सही ठहराया था. एकल पीठ ने छठी जेपीएससी की मेरिट लिस्ट व अनुशंसा को रद्द कर दिया था. जेपीएससी को आठ सप्ताह में फ्रेश रिजल्ट निकालते हुए सरकार को अनुशंसा भेजने का आदेश दिया था.

एकल पीठ ने सरकार को आदेश दिया था कि अनुशंसा प्राप्त होने के एक माह के अंदर अभ्यर्थियों की नियुक्ति करें. साथ ही छठी जेपीएससी से अनुशंसित 326 अभ्यर्थियों (अधिकारियों) की नियुक्ति को भी अमान्य करार दिया था. इसके अलावा एकल पीठ ने इस गंभीर गलती के लिए जेपीएससी के जिम्मेवार अधिकारियों के खिलाफ करवाई का निर्देश दिया था. अदालत ने कहा था कि तत्कालीन जिम्मेवार अधिकारियों की जिम्मेवारी तय करते हुए उनके खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में इस तरह की दोबारा गलती नहीं हो.

  • कहा : गलती जेपीएससी की, तो खामियाजा अभ्यर्थी क्यों भुगतें

  • छठी जेपीएससी के मामले में यथास्थिति बहाल रखने का अंतरिम आदेश बरकरार

  • मामला छठी जेपीएससी के मामले में झारखंड हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती देने का

  • खंडपीठ ने जानना चाहा कि 326 नियुक्तियों को डिस्टर्ब किये बिना नये 62 अभ्यर्थी कैसे होंगे समायोजित

नयी मेरिट लिस्ट हो चुकी है जारी

जेपीएससी ने झारखंड हाइकोर्ट में अपील याचिका खारिज हो जाने के बाद छठी संयुक्त सिविल सेवा की नयी मेरिट लिस्ट जारी की थी. इसमें पूर्व में नियुक्त 326 अधिकारियों में से 62 अधिकारी नयी मेरिट लिस्ट में शामिल नहीं हो सके. संशोधित मेरिट लिस्ट में 62 नये अभ्यर्थी शामिल किये गये हैं.

Posted by: Pritish Sahay

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