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6th JPSC मामले में चयनित अभ्यर्थियों की चली जायेगी नौकरी या करते रहेंगे काम, हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

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छठी जेपीएससी मामले में तीन घंटे तक चली सुनवाई, अगली सुनवाई 28 सितंबर को. एकल पीठ के आदेश पर रोक 326 अफसर करते रहेंगे काम, सात जून को एकल पीठ ने छठी जेपीएससी के रिजल्ट और अनुशंसा को कर दिया था रद्द, अधिकारियों की नियुक्ति को अमान्य करार दिया था.

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6th JPSC News Today रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने छठी जेपीएससी परीक्षा को लेकर एकल पीठ के आदेश को चुनौती देनेवाली अपील याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई की, जो तीन घंटे तक चली. जिसमें एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी गयी. साथ ही यथास्थिति बहाल रखने का निर्देश दिया गया. रिट याचिका दायर करनेवाले प्रार्थियों को मामले में प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया गया. उन्हें नोटिस जारी कर अगली सुनवाई के दौरान उपस्थित होने के लिए कहा गया. अब अगली सुनवाई 28 सितंबर को होगी.

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कार्यशैली पर टिप्पणी की :

चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और जेपीएससी की कार्यशैली पर कड़ी टिप्पणी की. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि आपके बार-बार स्टैंड बदलने से ही संदेह उत्पन्न होता है. एकल पीठ में सुनवाई के दौरान सरकार और जेपीएससी रिजल्ट व अनुशंसा को सही ठहराते हैं. शपथ पत्र दायर करते हैं. प्रतिवादियों की ओर से स्टैंड लेते हैं.

वही जेपीएससी एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अपील याचिका दायर करते हैं. फिर अपील को वापस लेने का आवेदन दायर करते हैं. राज्य सरकार अपील की सुनवाई में अपना स्टैंड बदल देती है और एकल पीठ के आदेश का अनुपालन करने की बात कहती है. लगता है कि आपकी मंशा ठीक नहीं है. आपके इस तरह के कंडक्ट के कारण संदेह उत्पन्न होता है.

सरकार एकल पीठ का आदेश मानेगी : महाधिवक्ता

प्रार्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता प्रशांत भूषण, झारखंड के पूर्व महाधिवक्ता व वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा और अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने पक्ष रखा. अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया और अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने बताया कि क्वालीफाइंग पेपर का अंक जोड़ने की बात विज्ञापन में ही कही गयी है.

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि वह एकल पीठ के आदेश का अनुपालन करेंगे. जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने पक्ष रखा. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार का स्टैंड ही जेपीएससी का स्टैंड है. हस्तक्षेपकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पक्ष रखा.

क्या था हाइकोर्ट की एकल पीठ का आदेश

हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की एकल पीठ ने सात जून को छठी जेपीएससी का रिजल्ट और अनुशंसा को रद्द कर दिया था. 326 अधिकारियों की नियुक्ति को भी अमान्य घोषित कर दिया था. जेपीएससी को आदेश की प्रति मिलने के आठ सप्ताह के अंदर फ्रेश रिजल्ट प्रकाशित करने और राज्य सरकार को अनुशंसा भेजने का निर्देश दिया था. सरकार को कहा था कि जब अनुशंसा मिल जाये, तो चार सप्ताह में अनुशंसित अभ्यर्थियों की नियुक्ति की जाये. एकल पीठ ने जेपीएससी के अधिकारियों के प्रति टिप्पणी की थी. राज्य सरकार को उन पर कार्रवाई करने को कहा था.

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