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विशेष लोक अदालत में 5.77 लाख मामले निबटाये गये, 6.08 अरब रुपये का हुआ सेटलमेंट

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63418 लंबित कोर्ट केस का बोझ हुआ कम

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रांची (वरीय संवाददाता). झारखंड स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (झालसा) के तत्वावधान में आयोजित विशेष लोक अदालत में भूमि व राजस्व से संबंधित पांच लाख 77 हजार 375 मामले निबटाये गये. वहीं विभिन्न अदालतों में लंबित 63,418 केस भी सलटाये गये. इस दाैरान छह अरब आठ करोड़ 44 लाख 17 हजार 834 रुपये का सेटलमेंट हुआ. झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष सह झारखंड हाइकोर्ट के सीनियर जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की पहल पर शनिवार को राज्य के सभी जिलों में विशेष लोक अदालत लगायी गयी. इसमें भूमि अधिग्रहण, दाखिल-खारिज, सेटलमेंट, सीसीएल, बीसीसीएल सहित अन्य रेवेन्यू के मामले का निपटारा किया गया. वहीं जिला विधिक सेवा प्राधिकार रांची में आयोजित लोक अदालत में दाखिल-खारिज के 23499 मामले सहित 1,41,559 मामले का निष्पादन तथा 45,91,70,121 रुपये का सेटलमेंट किया गया. उदघाटन के समय जेसी इंचार्ज राजीव रंजन, प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय एसएस फातमी सहित न्यायिक पदाधिकारी, रांची जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारी, अधिवक्ता, पक्षकार आदि उपस्थित थे. मुआवजा का अर्थ सिर्फ रुपये का भुगतान नहीं, बल्कि सामाजिक सुरक्षा भी है : जस्टिस प्रसाद : राज्य स्तरीय विशेष लोक अदालत के उद्घाटन को संबोधित करते हुए झारखंड हाइकोर्ट के न्यायाधीश सह झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद ने कहा कि मुआवजा का अर्थ सिर्फ यह नहीं कि उन्हें रुपये का भुगतान कर दिया जाये, बल्कि मुआवजा का अर्थ सामाजिक सुरक्षा के तहत उनके परिवार के जीवन-यापन व रहने के लिए छत की व्यवस्था करना भी है. उन्होंने जिला प्रशासन व सभी पीएसयू कंपनी के अधिकारियों को सुझाव दिया कि पीड़ित की जगह वह खुद को रख कर देखें, तब जाकर समस्या का समाधान जल्द होगा. बीसीसीएल के सीएमडी व धनबाद के उपायुक्त से जस्टिस प्रसाद ने कहा कि वह मुआवजा संबंधित विवादों का निस्तारण 30 दिनों के अंदर करें, ताकि लोगों को उसका समुचित लाभ मिल सके तथा दर-दर की ठोकर खाने से वे बच जायें. जस्टिस आनंद सेन ने कहा कि भू अधिग्रहण से संबंधित विवाद के मामले ज्यादा बढ़ते जाते हैं. जल्द से जल्द उन्हें पुनर्वासित करना तथा उन्हें समुचित मुआवजा दिलाना हमारा सामाजिक दायित्व व कर्तव्य है. प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश राम शर्मा ने स्वागत भाषण दिया. मौके पर झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव भी उपस्थित थे. मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए जस्टिस प्रसाद ने कहा कि चूंकि धनबाद में कोयला उत्खनन व भू अधिग्रहण के ज्यादातर मामले पाये गये हैं, जिसमें लोगों को समय पर मुआवजा नहीं मिल पाया था. इस कारण धनबाद को ही विशेष आयोजन के लिए चुना गया.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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