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पानी और शौचालय की समस्या से जूझ रहे हैं रजरप्पा वाशरी के 342 मजदूर

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समस्या से जूझ रहे हैं रजरप्पा वाशरी के 342 मजदूर

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सुरेंद्र कुमार/शंकर पोद्दार

रजरप्पा. एक ओर सीसीएल रजरप्पा के प्रशासनिक भवन में करोड़ों रुपये खर्च कर कॉरपोरेट ऑफिस का रूप दिया गया है, वहीं दूसरी ओर रजरप्पा वाशरी स्थित मजदूरों के लिए बनायी गयी कैंटीन भूत बंगला बन गयी है. यहां रखी सामग्री टूट-फूट रही है. यहां से कई कीमती सामग्री की चोरी भी हो गयी है. यहां कार्यरत लगभग 342 कामगार पेयजल व शौचालय की समस्या से भी जूझ रहे हैं. जानकारी के अनुसार, रजरप्पा वाशरी में लगभग 30 वर्ष पहले कैंटीन का निर्माण हुआ था. बीच-बीच में एक-दो बार इसकी मरम्मत करायी गयी थी, लेकिन वह नाकाफी रही. पिछले कई दशक से रजरप्पा वाशरी से कोयले की धुलाई कर देश के विभिन्न संयंत्रों में भेजा जा रहा है. यहां शुरुआत के दौर में लगभग 750 कामगार कार्यरत थे, लेकिन कामगारों के सेवानिवृत्त होने के कारण अब महज 342 मजदूर ही रह गये हैं. एक जमाना था जब यहां मजदूरों को काफी सुविधाएं दी जाती थीं. इसमें कैंटीन, पेयजल, शौचालय की व्यवस्था प्रमुख थी. पिछले लगभग पांच साल से कैंटीन बंद है. मजदूरों ने बताया कि कैंटीन नहीं रहने के कारण कभी-कभी भोजन भी नहीं कर पाते हैं. कई मजदूर पेड़ के नीचे और जहां-तहां बैठ कर भोजन करते हैं. मजदूरों ने बताया कि यहां सार्वजनिक रूप से पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है. पानी खरीद कर पीना पड़ता है. कुछ मजदूर अपने घर से पानी लेकर आते हैं. मजदूरों ने बताया कि यहां शौचालय की समस्या भी गंभीर है. यहां तीन पाली में मजदूर ड्यूटी करते हैं. रात्रि पाली में उन्हें शौच के लिए जंगल में जाना पड़ता है. इससे हमेशा सांप, बिच्छू काटने का डर रहता है.

कैंटीन के लिए निकाला गया है प्रपोजल : वाशरी पीओ मोहन बाबू ने बताया कि कैंटीन के लिए प्रपोजल रखा गया है, लेकिन कोई लेना नहीं चाह रहा है. जल्द ही कैंटीन को शुरू कराने की पहल की जायेगी. उन्होंने बताया कि मजदूरों को स्वच्छ पानी पिलाने के लिए दो आरओ मशीन भी लगायी जायेगी. फिलहाल, सेक्शन वाइज 20 लीटर जार के पानी की व्यवस्था करायी जा रही है.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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