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झारखंड: किस्त जमा नहीं करने पर महिलाओं को उठा ले जाते हैं, यहां ऐसा है माइक्रो फाइनेंस कंपनियों का आतंक

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इलाके में करीब 10 माइक्रो फाइनेंस कंपनियां ग्रामीण महिलाओं को लोन देती हैं. कंपनियों के कर्मी किस्त जमा नहीं करनेवाली महिलाओं को घर से उठा ले जाते हैं. उनसे गाली-गलौज और अभद्र व्यवहार करते हैं. उनके गहने तक छीन लेते हैं.

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मेदिनीनगर (पलामू) चंद्रशेखर सिंह : पलामू जिले के छतरपुर प्रखंड में माइक्रो फाइनेंस कंपनियों से लोन लेनेवाले लोग दहशत में जी रहे हैं. पहले तो इन कंपनियों के कर्मी भोले-भाले ग्रामीणों (ज्यादातर महिलाएं) को तरह-तरह के प्रलोभन देकर लोन देते हैं. जब समय पर लोन की किस्त जमा नहीं होता, तो कंपनी के कर्मी लोगों को प्रताड़ित करते है. कंपनियों के कर्मी किस्त जमा नहीं करनेवाली महिलाओं को घर से उठा ले जाते हैं. उनसे गाली-गलौज और अभद्र व्यवहार करते हैं. उनके गहने तक छीन लेते हैं. पिछले सप्ताह प्रखंड के तेनुडीह गांव में किस्त न चुका पानेवाली एक महिला को कर्मी जबरन उठा कर बैंक तक ले गये और वहां उसे परेशान किया. बात दें कि इलाके में करीब 10 माइक्रो फाइनेंस कंपनियां ग्रामीण महिलाओं को लोन देती हैं. लोन वितरण के लिए कंपनी के कर्मी गांव की किसी महिला का सहारा लेते हैं. उसे कुछ पैसा देकर गांव की महिलाओं का एक समूह बनाकर उन्हें लोन दिया जाता है. एक महिला पर करीब एक लाख 40 हजार का लोन होता है. कंपनी के कर्मी किस्त की वसूली के लिए एक साप्ताह, 15 दिन या एक महीने की अवधि तय करते हैं.

  • पलामू में माइक्रो फाइनांस कंपनियों का आतंक, इएमआइ वसूली ने नाम पर हो रहा शोषण

  • निर्धारित तिथि को पैसा नहीं रहने पर कर्मियों के भय से घर छोड़ कर भाग जाती हैं महिलाएं

घर में खाना तक नहीं बनने देते हैं कंपनी के कर्मी

लोन लेनेवाली ज्यादातर महिलाएं मजदूरी करती हैं. चूंकि इनके घर के पुरुष सदस्य कमाने के लिए दूसरे राज्यों या शहरों में रहते हैं, ऐसे में इन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. समय पर मजदूरी का पैसा नहीं मिलने की वजह से जब महिलाएं समय पर किस्त नहीं चुका पाती हैं, तो इन्हें कई तरह की यातनाएं सहनी पड़ती हैं. भुक्तभोगी महिलाओं के अनुसार, किस्त नहीं चुका पाने पर फाइनेंस कंपनी के कर्मी घर में खाना भी नहीं बनने देते. कंपनी के कर्मी दरवाजा, घरेलू सामान, गैस सिलिंडर व चौकी आदि भी उठा ले जाते हैं. वे महिलाओं के जेवर तक उतरवा लेते हैं. पुलिस में शिकायत करने पर राशन बंद कर देने की धमकी दी जाती है. पैसा नहीं रहने पर कई महिलाएं फाइनेंस कर्मियों की दहशत के कारण घर छोड़कर भाग जाती हैं.

क्या कहती हैं भुक्तभोगी महिलाएं

भुक्तभोगी महिलाओं ने बताया कि फाइनेंस कंपनी का लोन चुकाने के लिए गांव में ही 10 प्रतिशत ब्याज पर पैसे लेकर देने पड़ते हैं. कंपनी के कर्मियों की दहशत ऐसी है कि पैसा नहीं रहने पर तय तारीख की सुबह कर्मियों के आने के पहले महिलाएं घर छोड़कर भाग जाती हैं. जब लोन लेनेवाली महिलाएं घर पर नहीं मिलती हैं, तो कंपनी के कर्मी गाली-गलौज करते हैं और उनके घर का छप्पर भी तोड़ डालते हैं.

ये कंपनियां करती हैं फाइनेंस का काम

ग्रामीण कोटा, सुगनिया, आरबीएल, भाया, फिजन, बीएसएस, कैसपर, सिंदुरिया, समस्त फाइनांस कंपनी.

थाने में की शिकायत, पर नहीं हुई कोई कार्रवाई

महिलाओं ने इस संबंध में थाना प्रभारी को आवेदन देकर जान-माल की सुरक्षा की गुहार लगायी है. हालांकि, पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. छतरपुर के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अजय कुमार ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है. इसकी जांच कर फाइनांस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. कलावती देवी ने बताया कि पिछले सप्ताह फाइनांस कंपनी के कर्मियों ने लाठी-डंडों से पीटकर उनके घर का खपड़ा तोड़ दिया. कर्मी चौखट-किवाड़ भी उखाड़ कर ले गये. पायल, कानबाली सहित उज्ज्वला योजना में मिला गैस सिलिंडर और चूल्हा भी उठाकर ले गये. सोना देवी ने बताया कि किस्त नहीं देने पर कर्मी जबरन बाइक पर बैठा कर ले जा रहे थे. बाद में गांव वालों ने उसे छुड़ाया. रीता देवी, लिल्मी देवी, बिमली देवी, जगवा देवी, सीता देवी, राजपतिया देवी, सोनी देवी, चिंता देवी, कुंती देवी सभी की कहानी एक सी है. सभी अपना दर्द बताकर भावुक हो जाती हैं.

इधर प्रशासन की नसीहत : फाइनांस कंपनी के झांसे में नहीं पड़ें

एलडीएम अंथोनी लियांगी ने कहा कि ग्रामीणों को फाइनांस कंपनी के झांसे में नहीं पड़ना चाहिए. ऐसी कंपनियां गरीबों को लोन देकर शोषण करती हैं. इसके लिए पलामू जिला प्रशासन व बैंक द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाता है. सरकार गरीबों को सस्ते दर पर लोन मुहैया कराती है, लेकिन फाइनांस कंपनी के लोग प्रलोभन देकर झांसे में ले लेते हैं. उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार को गंभीरता से लिया जायेगा.

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