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पथिक में स्थानीय लोग तो आ ही रहे है. साथ में बहार से आने वाले पर्यटक भी अपने साथ सोवेनियर के रूप में ले जाने के लिए हस्तशिल्प खरीद रहे है. बेतला और नेतरहाट जाने वाली सड़क के किनारे होने का लाभ पथिक को मिल रहा है. खास कर शनिवार व रविवार को पथिक में काफी भीड़ लग रही है.
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मेदिनीनगर-बेतला-नेतरहाट पथ पर दुबियाखाड़ मोड़ से कुछ दुरी पर भुसरिया में स्थित सेसा के व्यवसायिक प्रशिक्षण केंद्र में पथिक ग्राम दुकान खोला गया है. मेदिनीनगर से सड़क के रास्ते 15 से 20 मिनट में यहां पहुंचा जा सकता है. सुबह 11 बजे से शाम छह बजे तक यह खुला रहता है.
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सेसा के महासचिव डॉ कौशिक मल्लिक ने प्रभात खबर से कहा की पथिक के जरिये स्थानीय हस्तशिपों को एक नया ठिकाना मिलेगा. बाजार उपलब्ध नहीं होने के कारन ग्रामीण महिलाये हस्तशिल्प से दुरी बना ले रही थी. अब एक बाजार उपलब्ध हो जाने से उनमे हस्तशिल्प के प्रति रुझान पैदा होगा. डॉ मल्लिक ने बताया की यहां महिलाओं को अन्य राज्य के हस्तशिल्प निर्माण की भी ट्रेनिंग दी जाएगी.
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धरती आबा बिरसा मुंडा और पलामू के दो वीर शहीद नीलाम्बर-पीताम्बर की प्रतिमाओं की भी यहां खूब डिमांड है. मिटटी के बने इन मूर्तियों को बंगाल के कारीगरों द्वारा बनाया गया है. हल्के और सस्ते इन मूर्तियों को लोग स्मृतिचिन्ह स्वरुप भेंट करने के लिए काफी खरीद रहे है.
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स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई महिलाएं अपने हस्तशिल्प का निर्माण करती है. पथिक में उन्ही हस्तशिल्पों को बिक्री किया जाता है. पथिक के संचालन में भी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई महिलाएं योगदान दे रही है. ये सभी महिलाएं स्थानीय है. इससे उन्हें रोजगार का एक नया अवसर मिला है. पर्यटकों को नाश्ता उपलब्ध कराने के लिए भी कुछ ठेला लगाया गया है जो स्थानीय युवकों द्वारा संचालित है. उन्हें भी इससे रोजगार का एक साधन मिला है.
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पथिक में स्थानीय महिलाओं के साथ ग्रामीण बच्चो के द्वारा निर्मित हस्तशिल्प की भी काफी चर्चे है. खास कर बच्चो के द्वारा निर्मित पावदान , बैग आदि के काफी डिमांड है. बच्चो ने कुछ पत्थर के गहने भी बनाये है जो बेहद आकर्षक है.
रिपोर्ट : पलामू से सैकत चटर्जी