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खौफ खाते थे पलामू के अपराधी इस पूर्व IPS अधिकारी से, नेताओं को मिलने के लिए सोचना पड़ता था

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Kishore Kunal: पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल का निधन हो गया. साल 1982 में वे पलामू के भी एसपी बनाये गये थे. उस वक्त अपराधियों के बीच उनके नाम को लेकर जबरदस्त खौफ था.

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पलामू, चंद्रशेखर सिंह: पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल की मौत कार्डियक अरेस्ट के कारण रविवार को हो गयी. वह बिहार के मुजफ्फरपुर जिले रहने वाले थे. उनकी मौत पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कई दिग्गज नेताओं ने शोक जताया है. उनकी पहचान एक कड़क आईपीएस अधिकारी के रूप में होती थी. जिसकी झलक उन्होंने पलामू में दिखाई थी. 26 फरवरी 1982 को उनका पदस्थापन यहां पर हुआ था. वर्ष 1983 तक वे यहां के एसपी रहे.

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पलामू के लोगों के दिलों में बस गये थे किशोर कुणाल

किशोर कुणाल ने अपने अल्प कार्यकाल के दौरान ही ऐसी छाप छोड़े कि वे यहां के दिलों में बस गये. अपराधियों के बीच उनके नाम का जबरदस्त खौफ था. एसपी किशोर कुणाल ने चार्ज लेते ही घुड़सवार पुलिस पेट्रोलिंग चलाया. इस पेट्रोलिंग में छह जवान और एक हवलदार शामिल रहते थे. रात के वक्त वह खुद जीप से गश्ती करते थे. पलामू जिले में उस समय कई नामी गिरामी अपराधियों की तूती बोलती थी, लेकिन एसपी कुणाल किसी की नहीं सुनते थे.

किशोर कुणाल के लिए मिलने के लिए सोचते थे कई कद्दावर नेता

राजनीति के कई कद्दावर नेता एसपी किशोर कुणाल से मिलने के लिए सोचते थे. वह आम आदमी से काफी नरमी के साथ पेश आते थे. लेकिन उनकी छवि ऐसी थी कि लोग उनसे मिलने से पहले जरूर डरते थे. हालांकि मुलाकात के बाद लोगों का माइंड सेट बदल जाता था और वे अच्छा महसूस करते थे. बता दें कि एसपी कुणाल ने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली. पलामू से उनका ट्रांसफर हो जाने के बाद अपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोगों ने राहत की सांस ली थी.

घुड़सवार पुलिसिंग पेट्रोलिंग की शुरुआत की थी


एसपी किशोर कुणाल ने घुड़सवार पुलिसिंग पेट्रोलिंग की शुरुआत की थी. इस पेट्रोलिंग में छह जवान और एक हवलदार शामिल रहते थे. रात में स्वयं एसपी किशोर कुणाल जीप से गश्ती पर निकलते थे. पलामू में उस समय अपराध की दुनिया में कई ऐसे अपराधी थे, जिनकी तूती बोलती थी, लेकिन एसपी कुणाल किसी की नहीं सुनते थे. राजनीतिक क्षेत्र में भी कई कद्दावर नेता थे, जो एसपी कुणाल से मिलने के लिए सोचा करते थे. वह आम आदमी के साथ काफी नरमी के साथ मिलते थे. हालांकि किशोर कुणाल से मिलने से पहले लोग जरूर डरते थे. एसपी कुणाल के स्थानांतरण के बाद अपराध से जुड़े लोगों ने काफी राहत महसूस की थी.

विधायक थाने में हल्ला करते घुसे, तो हाजत में बंद करवा दिया


पलामू के इतिहास में एसपी कुणाल की पृष्ठभूमि काफी अच्छी थी. वे पलामूवासियों के दिल में छाप छोड़ गये थे. वे रोहतास से स्थानांतरित होकर पलामू आये थे. उस समय विनोद सिंह पलामू में विधायक हुआ करते थे. वे 1980 में चुनकर आये थे. बताया जाता है कि किशोर कुणाल लातेहार थाने में रात आठ बजे बैठे हुए थे. उसी समय विनोद सिंह थाने में हल्ला करते हुए घुसे. एसपी कुणाल ने उन्हें रात में ही हाजत में बंद करवा दिया था, लेकिन दूसरे ही दिन थानेदार ने उन्हें छोड़ दिया था. इस पर किशोर कुणाल काफी नाराज हुए थे. विनोद सिंह ने 1970 में विश्रामपुर के सब इंस्पेक्टर दयाशंकर मिश्र की थाने में ही हत्या कर दी थी. इस कारण पुलिस वाले उनसे काफी डरते थे.

आम आदमी के साथ काफी नरमी से मिलते थे किशोर कुणाल


पलामू एसपी के रूप में किशोर कुणाल 26 फरवरी 1982 को पदस्थापित हुए थे. अल्प समय में ही पलामू में उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनायी थी. पलामू से नौ मई 1983 को उनका स्थानांतरण हो गया. पलामू में अपराधियों के लिए वह दहशत के नाम से जाने जाते थे. एसपी किशोर कुणाल ने घुड़सवार पुलिसिंग पेट्रोलिंग की शुरुआत की थी. इस पेट्रोलिंग में छह जवान और एक हवलदार शामिल रहते थे. रात में स्वयं एसपी किशोर कुणाल जीप से गश्त करते थे. पलामू में उस समय अपराध की दुनिया में कई ऐसी हस्ती थी, जिनकी तूती बोलती थी, लेकिन एसपी कुणाल किसी की नहीं सुनते थे. राजनीतिक क्षेत्र में भी कई कद्दावर नेता थे, जो एसपी कुणाल से मिलने के लिए सोचा करते थे. वह आम आदमी के साथ काफी नरमी के साथ मिलते थे. हालांकि किशोर कुणाल से मिलने से पहले लोग जरूर डरते थे. एसपी कुणाल के स्थानांतरण के बाद अपराध से जुड़े लोगों ने काफी राहत महसूस की.

हेलीकॉप्टर में बैठे विधायक को कर लिया था गिरफ्तार


सब इंस्पेक्टर दयाशंकर मिश्र की हत्या की घटना के दूसरे दिन पलामू में 20 सूत्री कार्यान्वयन समिति की बैठक हुई थी. इसमें भाग लेने के लिए प्रभारी मंत्री रमेश झा बिहार सरकार के हवाई जहाज से पलामू आये थे. किशोर कुणाल ने 20 सूत्री की बैठक में विनोद सिंह को भाग लेते हुए देखा, तो वे आगबबूला हो गये. उन्होंने पूरे सर्किट हाउस को घेरने का आदेश दिया. एसपी कुणाल ने उन्हें गिरफ्तार करने की योजना बनायी थी, लेकिन विनोद सिंह सर्किट हाउस में मीटिंग खत्म होने के बाद मंत्री रमेश झा की गाड़ी में कूद कर बैठ गये, क्योंकि मंत्री चियांकी हवाई अड्डा जानेवाले थे. इसके बाद एसपी कुणाल मंत्री की गाड़ी के पीछे पलामू एसपी की गाड़ी लगाकर अपने वाहन में बैठ गये.

हेलीकॉप्टर से ऐसे निकालकर किया था गिरफ्तार


मंत्री के काफिले के पीछे वे चियांकी हवाई अड्डे पहुंच गये. मंत्री की गाड़ी वहां पहुंची. इसके बाद मंत्री के उतरने से पहले ही विनोद सिंह गाड़ी से छलांग लगाते हुए सीधे हेलीकॉप्टर में बैठ गये. यह देख एसपी किशोर कुणाल आगबबूला हो गये. उन्होंने मंत्री रमेश झा से कहा कि अभी आप हेलीकॉप्टर के अंदर नहीं जा सकते हैं, क्योंकि उसके अंदर एक अपराधी बैठा हुआ है. उसे गिरफ्तार करना है. लेकिन मंत्री रमेश झा ने कहा कि आप उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं. इस पर किशोर कुणाल ने कहा कि हमें क्या करना है, यह हमें पता है. उन्होंने अपने इंस्पेक्टर विनोद राम को हेलीकॉप्टर के अंदर विधायक को गिरफ्तार करने के लिए भेजा, लेकिन विनोद सिंह बाहर आने को तैयार नहीं हो रहे थे. तभी एसपी कुणाल ने अपने तीन-चार पुलिसकर्मियों को विमान के अंदर भेजा. घसीटते हुए बाहर लाने को कहा. विनोद सिंह को हेलीकॉप्टर से बाहर निकाला गया. इसके बाद एसपी कुणाल ने धक्का देते हुए अपनी जीप में बैठाकर गिरफ्तार कर लिया.

विनोद सिंह ने एसपी को दी थी धमकी


एसपी ने इंस्पेक्टर से कहा कि कल सुबह इसे कोर्ट ले जाना. थाने में कुर्सी पर बैठने मत देना. हाजत में बंद करके रखना. इससे विनोद सिंह काफी नाराज थे. विनोद सिंह ने कहा था कि जब जेल से बाहर निकलेंगे, तो आपकी पूरी खानदान को खत्म कर देंगे. इसके बाद भी एसपी ने उसकी बात नहीं मानी और उसे जेल भेज दिया था. बताया जाता है कि विनोद सिंह पर उस समय 80 से ज्यादा मामले दर्ज थे.

खेल को लेकर भी संजीदा रहते थे किशोर कुणाल


प्रोफेसर सुभाषचंद्र मिश्रा ने बताया कि एसपी किशोर कुणाल पुलिस अधिकारी के रूप में जितने सक्षम थे, उतने ही खेल को लेकर भी संजीदा रहते थे. पुलिस खेलकूद के दौरान वह मैदान में और मैदान से बाहर आयोजन को सफल बनाने में काफी तत्परता से लगे रहते थे. पलामू के एसपी के रूप में उन्होंने जिस तरह से अपराध पर नियंत्रण किया था, वह लोगों के जेहन में आज भी ताजा है.

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