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आपात स्थिति में जीवन रक्षा के लिए सीपीआर जरूरी : निदेशक

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कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन पर प्रशिक्षण शिविर

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मेदिनीनगर. लायंस क्लब अॉफ मेदिनीनगर ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति भवन में कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) को लेकर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया. शिविर में प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारियों के अलावा स्वास्थ्य सेवा एवं अन्य संस्था के सदस्य शामिल हुए. उदघाटन मुख्य अतिथि राज्य के भू-अर्जन निदेशक भोर सिंह यादव, हार्टीकल्चर निदेशक डॉ मोहम्मद फैज अहमद व पलामू डीसी शशिरंजन ने संयुक्त रूप से किया. निदेशक भोर सिंह यादव ने सीपीआर प्रशिक्षण की उपयोगिता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि सीपीआर किसी व्यक्ति की जान बचाने के लिए जीवन रक्षक के रूप में काम करती है. हृदय की गति रुकने, दुर्घटना या विशेष परिस्थिति में इस प्रक्रिया को अपनाया जा सकता है. इस प्रक्रिया के प्रति लोगों की जानकारी बढ़ाने के लिए इस तरह का प्रशिक्षण आवश्यक है. प्रशिक्षण से लोगों में जागरूकता आयेगी. समाज को स्वस्थ रखने में मदद मिलेगी. हार्टीकल्चर निदेशक डॉ फैज अहमद ने कहा कि कार्डियक अरेस्ट होने के बाद तत्काल सीपीआर की प्रक्रिया अपनाने से मरीज के बचने की संभावना बढ़ जाती है. उन्होंने इस प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी दी. डीसी शशिरंजन ने कहा कि इस तरह का प्रशिक्षण सभी लोगों को दिया जाना चाहिए, ताकि विशेष परिस्थिति में लोग इसका उपयोग कर सके. शिविर में सिविल सर्जन डॉ अनिल सिंह व क्लब के अध्यक्ष डॉ प्रवीण सिद्धार्थ ने गोल्डेन आवर इन ट्रॉमा में सीपीआर देने के तरीके की जानकारी दी. बच्चों को सांस रुकने की स्थिति में सीपीआर देने की विधि के बारे में समझाया. इस प्रक्रिया को समझाने के लिए डाक्टरों की टीम सक्रिय थी. शिविर में काफी संख्या में स्वास्थ्य सहिया, नर्सिंग कॉलेज व विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थी शामिल थे. शिविर को सफल बनाने में डॉ विजय सिंह, डॉ गौरव विशाल, डॉ रविश कुमार, डॉ उदय सिंह, डॉ अभय कुमार, डॉ निशांत, डॉ विनीत, डॉ अभिनव, डॉ अमित, डॉ सृष्टि गुंजन, क्लब की लिली मिश्रा, प्रियंका आनंद साहू, राघवेंद्र सिंह, अनुराधा मिश्रा, पुष्पाचंद्र, अमुक प्रियदर्शी, परिमल प्रसून, ऋषिकेश दुबे, गुरबीर सिंह, रंजीत मिश्रा, सुमित पाठक, शिक्षिका कल्पना कुमारी, नीलम देव, बबीता कुमारी सहित अन्य सक्रिय थे.

सीपीआर से कृत्रिम सांस देकर बचायी जा सकती है जान

क्लब के अध्यक्ष डॉ सिद्धार्थ ने कहा कि बुजुर्ग, हार्ट के मरीज एवं दुर्घटना के शिकार व्यक्ति जानकारी के अभाव में दम तोड़ देते हैं. लेकिन सीपीआर देकर उनकी जान बचायी जा सकती है. दुर्घटना या बेहोशी की हालत में हार्ट बीट रुक सकती है. ऐसी स्थिति में सीपीआर के माध्यम से कृत्रिम सांस देकर हार्ट बीट चालू किया जा सकता है. चिकित्सा विज्ञान में इस प्रक्रिया को जीवन रक्षक प्रणाली के रूप में मान्यता दी गयी है. उन्होंने बताया कि शिविर के आयोजन का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को इस विधि की जानकारी देना है ताकि आकस्मिक स्थिति में प्रभावित व्यक्ति की जान बचायी जा सके.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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