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लिट्टीपाड़ा में 44 साल से अपराजेय झामुमो, शुद्ध पेयजल को आज भी तरस रहे लोग

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Jharkhand Assembly Election: संताल परगना के लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट पर 44 साल से है झामुमो का कब्जा. साइमन मरांडी परिवार से 3 लोग बने विधायक.

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Jharkhand Assembly Election|पाकुड़, रमेश भगत : लिट्टीपाड़ा विधानसभा एसटी आरक्षित सीट है. यह झामुमो का अभेद्य किला है. पिछले 44 साल से झामुमो प्रत्याशी इस विधानसभा सीट से जीतते आ रहे हैं.

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1980 में लिट्टीपाड़ा से झामुमो के टिकट पर जीते साइमन मरांडी

पहली बार 1980 में झामुमो प्रत्याशी साइमन मरांडी ने लिट्टीपाड़ा विधानसभा से जीत हासिल की थी. तब से झामुमो ने इस सीट पर अपना इकबाल इस कदर बुलंद किया है कि कोई भी पार्टी उसे चुनौती नहीं दे पायी. इस विधानसभा सीट से विधायक बनकर साइमन मरांडी ने संयुक्त बिहार और झारखंड में अपनी अलग पहचान बनायी.

Simon Marandi Family Littipara Assembly Seat
लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट से साइमन मरांडी की पत्नी सुशीला हांसदा और बेटे दिनेश विलियम मरांडी भी बने विधायक.

1977 में निर्दलीय लड़कर विधायक बने साइमन मरांडी

साइमन मरांडी पहली बार 1977 में इस विधानसभा से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे. उन्होंने झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को संताल की राजनीति में प्रवेश कराया और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक सदस्य बने. 1977 से अब तक इस विधानसभा सीट पर साइमन मरांडी के परिवार का ही कब्जा है.

सबसे ज्यादा 5 बार लिट्टीपाड़ा के विधायक चुने गए साइमन मरांडी

लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट से साइमन मरांडी सबसे ज्यादा 5 बार विधायक बने. उनकी पत्नी सुशीला हांसदा 4 बार विधायक रहीं और वर्तमान में उनके बेटे दिनेश विलियम मरांडी झारखंड विधानसभा में लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.

Littipara Assembly Constituency Jharkhand Vidhan Sabha Chunav
आज भी शुद्ध पेयजल को तरस रहे हैं लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र के लोग. फोटो : प्रभात खबर

लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र के क्या हैं चुनावी मुद्दे

लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में पाकुड़ जिले का हिरणपुर, लिट्टीपाड़ा और अमड़ापाड़ा प्रखंड शामिल हैं. दुमका जिला के गोपीकांदर प्रखंड को मिलाकर कुल 4 प्रखंड लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में आते हैं. इस इलाके में पीने के पानी की समस्या, ग्रामीण सड़क की समस्या और पलायन बड़ा मुद्दा है. बरसाती नदी और झरने का पानी पीना यहां लोगों की मजबूरी है.

डायरिया और मलेरिया से परेशान रहते हैं पहाड़ी गांवों के लोग

कुआं, चापाकल, सोलर पैनल डीप बोरिंग जैसी सुविधाएं गांव में मुहैया कराने का प्रयास हुआ है, लेकिन उसके रख-रखाव की ठोस व्यवस्था कभी नहीं की गई. पहाड़ी गांवों में पानी से जुड़ी बीमारियों जैसे डायरिया, मच्छर जनित बुखार मलेरिया से लोग परेशान रहते हैं. कई लोगों की मौत हो जाती है. इलाके में रोजगार की व्यवस्था नहीं है. फलस्वरूप इलाके की बड़ी आबादी पड़ोसी राज्य बंगाल में खेतिहर मजदूर हैं. दूसरे राज्यों में भी रोजगार की तलाश में भटकते हैं.

गांव में रोजगार का साधन नहीं है. स्थानीय बाजार में भी रोजगार नहीं मिल पाता है. जिस कारण लोग पलायन करते हैं. लोग पलायन नहीं करें और रोगजार गांव या स्थानीय स्तर पर मिले.

सिलास मालतो, ग्रामीण

लिट्टीपाड़ा पिछड़ेपन की पराकाष्ठा झेल रहा है : दानियल किस्कु

Daniyal Kisku Bjp

साल 2019 के विधानसभा चुनाव में लिट्टीपाड़ा विधानसभा में दूसरे स्थान पर रहे भाजपा प्रत्याशी दानियल किस्कु ने कहा कि क्षेत्र में डॉ अनिल मुर्मू के कार्यकाल को छोड़ दें, तो साढ़े 42 साल तक एक ही परिवार के विधायक रहे हैं लेकिन उनकी एक भी ऐसी उपलब्धि नहीं है, जिसे वे गिना सकें. लिट्टीपाड़ा में डिग्री कॉलेज का काम तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने शुरू कराया. केंद्र सरकार की पहल पर क्षेत्र में नवोदय विद्यालय शुरू हुआ. रघुवर सरकार ने ही लिट्टीपाड़ा बहु ग्रामीण जलापूर्ती योजना शुरू की थी, लेकिन झामुमो की सरकार में योजना अब तक पूर्ण ही नहीं हो पायी. स्वास्थ्य, अशिक्षा और पलायन के मुद्दों पर तेजी से काम करने की जरूरत है.

लिट्टीपाड़ा के पहाड़ी इलाकों में काफी समस्या है. हमलोगों का जीवन बहुत कठिन और दुश्वार है. गांव में सड़क, पानी, स्वास्थ्य की अच्छी व्यवस्था नहीं है. इसलिए मूलभूत सुविधाओं का होना बहुत जरूरी है.

वैदा पहाड़िया, ग्रामीण

शिक्षा व संसाधन दोनों पर काम करने की जरूरत : डॉ सुशीला

पाकुड़ महिला कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ सुशीला हांसदा ने माना कि हिरणपुर में स्टोन माइंस, लिट्टीपाड़ा और अमड़ापाड़ा में कोल माइंस के बावजूद हम विकास के मामले में काफी पीछे हैं. इसके लिए शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है. स्कूलों में शिक्षकों की कमी है. पीने के पानी की व्यवस्था के लिए लिट्टीपाड़ा में बड़ी योजना शुरू की गयी, लेकिन पूर्ण नहीं होने के कारण योजना का लाभ स्थानीय लोगो को नहीं मिल पा रहा है. स्वास्थ्य, सड़क सहित खेती किसानों के लिए संसाधनों की व्यवस्था भी जरूरी है. ताकि लोगों को जीवन स्तर बेहतर हो सके. इसके लिए राजनीतिक जनप्रतिनिधियों को विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है, ताकि इलाके में लोगों का जीवन यापन बेहतर ढंग से हो सके.

Sushila Hansda

पहाड़िया जाति के अधिकांश लोग पहाड़ों में ही रहते हैं. यहां डाकिया योजना का चावल घर-घर नहीं बंटता है. दूर जाकर लाना पड़ता है. उसी तरह अन्य योजनाओं का लाभ भी हमें नहीं मिल पाता है.

अंदारी पहाड़िया, ग्रामीण

2014 विधानसभा चुनाव के परिणाम

उम्मीदवार का नामपार्टी का नामउम्मीदवारों को मिले मत
डॉ अनिल मुर्मूझामुमो67,194
साइमन मरांडीभाजपा42,111

2017 विधानसभा उप-चुनाव के परिणाम

उम्मीदवार का नामपार्टी का नामउम्मीदवारों को मिले मत
साइमन मरांडीझामुमो65,551
हेमलाल मुर्मूभाजपा52,651

2019 विधानसभा चुनाव के परिणाम

उम्मीदवार का नामपार्टी का नामउम्मीदवारों को मिले मत
दिनेश विलियम मरांडीझामुमो66,675
दानियल किस्कुभाजपा52,772



सड़कों का काम काफी हुआ है. अमड़ापाड़ा संताली टोला में सड़कें बन गयी है. गांव में पहले सड़क नहीं थी.अब अच्छी सड़क बन गयी है. वहीं अन्य सरकारी सुविधाएं भी मिल रही है.

चार्लेस मरांडी, ग्रामीण

लिट्टीपाड़ा से अब तक कौन-कौन बने विधायक

चुनाव का वर्षचयनित विधायक का नामपार्टी का नाम
1952रामचरण किस्कुझारखंड पार्टी
1957रामचरण किस्कुझारखंड पार्टी
1962रामचरण किस्कुझारखंड पार्टी
1967बी मुर्मूनिर्दलीय
1969सोम मुर्मूबीपीएचजे
1972सोम मुर्मूबीपीएचजे
1977साइमन मरांडीनिर्दलीय
1980साइमन मरांडीझामुमो
1985साइमन मरांडीझामुमो
1990सुशीला हांसदाझामुमो
1995सुशीला हांसदाझामुमो
2000सुशीला हांसदाझामुमो
2004सुशीला हांसदाझामुमो
2009साइमन मरांडीझामुमो
2014डॉ अनिल मुर्मूझामुमो
2017साइमन मरांडीझामुमो
2019दिनेश मरांडीझामुमो

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