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विकास से पिछड़ा गांव, आज भी झरने दूषित पानी पी रहे लोग

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झारखंड के गठन को 24 वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन राज्य के कई ग्रामीण क्षेत्र अब भी विकास से कोसों दूर हैं. लिट्टीपाड़ा प्रखंड के करमाटांड़ पंचायत के बड़ा कुड़िया गांव की स्थिति इसकी एक जीवंत मिसाल है.

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झारखंड के बड़ा कुड़िया गांव की दुर्दशा: मूलभूत सुविधाओं से वंचित ग्रामीण सुजित कुमार मंडल, लिट्टीपाड़ा झारखंड के गठन को 24 वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन राज्य के कई ग्रामीण क्षेत्र अब भी विकास से कोसों दूर हैं. लिट्टीपाड़ा प्रखंड के करमाटांड़ पंचायत के बड़ा कुड़िया गांव की स्थिति इसकी एक जीवंत मिसाल है. यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. यहां के ग्रामीण झरने के दूषित पानी पीने को मजबूर हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है. बड़ा कुड़िया गांव में करीब 18 परिवारों के 218 लोग रहते हैं, जो पूरी तरह झरने के पानी पर निर्भर हैं. ग्रामीणों ने बताया कि आजादी के बाद से उनके गांव में एक भी चापानल स्थापित नहीं किया गया. गांव से आधा किलोमीटर दूर पहाड़ी ढलान पर स्थित झरना ही उनकी पानी की जरूरतों का एकमात्र साधन है. गर्मियों में पानी का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे यह दूषित हो जाता है. इसी झरने का पानी इंसानों और मवेशियों दोनों के लिए उपयोग होता है. दूषित पानी पीने के कारण ग्रामीण बीमार पड़ते हैं और इलाज में उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है. बारिश के मौसम में पहाड़ों से बहने वाला गंदा पानी झरने में मिल जाता है, जिससे पानी और भी खराब हो जाता है. इससे ग्रामीणों की मुश्किलें कई गुना बढ़ जाती हैं. सड़क सुविधा का अभाव बड़ा कुड़िया गांव प्रखंड मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर स्थित है. इसमें से पांच किलोमीटर का हिस्सा ऐसा है जहां कोई सड़क नहीं है. सड़क की सुविधा न होने से ग्रामीणों को मुख्य सड़क तक पहुंचने में काफी परेशानी होती है. साथ ही, गांव के दोनों टोले भी आपस में जुड़े नहीं हैं. इस समस्या ने गांववासियों के जीवन को और कठिन बना दिया है. जलापूर्ति योजना अधूरी, ग्रामीण निराश: सरकार ने आदिम जनजाति पहाड़िया परिवारों के लिए जलापूर्ति योजना के तहत 217 करोड़ की लागत से पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू किया था. लेकिन योजना प्रारंभ होने के सात साल बाद भी बड़ा कुड़िया गांव तक पानी नहीं पहुंच सका है. प्रखंड के अन्य गांवों में पाइपलाइन बिछाई गई, पर इस गांव को अब भी योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. बड़ा कुड़िया गांव की दुर्दशा यह दर्शाती है कि झारखंड में विकास की योजनाएं अभी भी अंतिम पायदान तक नहीं पहुंच सकी हैं. ग्रामीणों के पास न तो साफ पानी है और न ही बुनियादी सड़क जैसी सुविधाएं. सरकार को इस गांव की समस्याओं पर प्राथमिकता के साथ ध्यान देकर समाधान करना चाहिए, ताकि यहां के लोग भी एक स्वस्थ और सम्मानजनक जीवन जी सकें.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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