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बकरी और मुर्गी पालन कर आत्मनिर्भर बनी लोहरदगा की सोमारी देवी

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खुद सोमारी देवी और उसके पति बॉक्साइट खदान में मजदूरी कर अपनी आजीविका चला रहे थे. कमाई बेहद कम होने की वजह से आर्थिक स्थिति हमेशा कचोटती रहती थी

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लोहरदगा जिले के नक्सल प्रभावित इलाका माने जाने वाला पेशरार प्रखंड के तुईमू गांव निवासी सोमारी देवी आज आत्मनिर्भर बन चुकी हैं. बदलते समय के साथ सोमारी ने अपनी सोच में भी बदलाव लायी. घर की माली हालात से जूझ रही सोमारी ने अपने बच्चों व परिवार की बेहतर जीवन यापन करने को लेकर कुछ अलग करने की ठानी. विदित हो कि पेशरार प्रखंड अंतर्गत तुईमु भगत टोली की रहनेवाली सोमारी देवी की आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब थी.

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खुद सोमारी देवी और उसके पति बॉक्साइट खदान में मजदूरी कर अपनी आजीविका चला रहे थे. कमाई बेहद कम होने की वजह से आर्थिक स्थिति हमेशा कचोटती रहती थी. वे हमेशा चाहती थीं कि उनका खुद का रोजगार हो, आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो और इसी सोच के साथ सोमारी ने महिला मंडल से जुड़ीं, जिसके बाद धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति में भी बदलाव आता गया. बतौर सोमारी देवी बताती हैं कि लगभग तीन वर्ष पहले वे महिला मण्डल से जुड़ने की सोची और तुईमू में ही जय चाला आजीविका सखी मण्डल की सदस्य बन गयीं.

हालांकि स्वयं सहायता समूह के पास छोटी पूंजी के कारण समस्या होती थी. संकुल कार्यकर्ताओं द्वारा रोजगार संबंधित कार्य करने के लिए बार-बार प्रेरित किया गया. सभी सदस्यों द्वारा नियमित बचत एवं चक्रीय निधि कोष तथा बैंक लिंकेज सीआईएफ राशि मिलने के बाद में समूह से 30 हजार रूपये ऋण लेकर तीन बकरियां एवं एक बकरा खरीदा.

आज सोमारी के पास छोटे बकरे व बकरियां मिलाकर कुल 30 बकरे-बकरियां हैं. बकरी पालन में सोमारी की काफी रूचि है और धीरे-धीरे वे एक बड़े फार्म हाउस में बदलना चाहती हैं. सालाना लगभग एक लाख रूपये आय बकरियां बेच कर हो जाती है. इसके अलावा वे मुर्गी पालन भी कर रही हैं जिसमें वे मुर्गियां बेच कर आय कर रही हैं. सोमारी देवी जेएसएलपीएस स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के लिए अन्य महिलाओं को भी प्रेरित करती हैं.

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