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देश के विकास में आंगनबाड़ी केंद्रों की महत्वपूर्ण भूमिका

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महिला एवं बाल विकास विभाग के पोषण 2.0 के तहत पोषण भी, पढ़ाई भी कार्यक्रम अंतर्गत सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी एवं महिला पर्यवेक्षिका के लिए आइपीइएल की विशेषज्ञ टीम ने जिला समाज कल्याण कार्यालय, लोहरदगा की ओर से उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन जिला परिषद कार्यालय, लोहरदगा के सभाकक्ष में किया गया.

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लोहरदगा.

महिला एवं बाल विकास विभाग के पोषण 2.0 के तहत पोषण भी, पढ़ाई भी कार्यक्रम अंतर्गत सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी एवं महिला पर्यवेक्षिका के लिए आइपीइएल की विशेषज्ञ टीम ने जिला समाज कल्याण कार्यालय, लोहरदगा की ओर से उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन जिला परिषद कार्यालय, लोहरदगा के सभाकक्ष में किया गया.कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में उप-विकास आयुक्त दिलीप प्रताप सिंह शेखावत ने कहा कि समाज और देश के विकास में आंगनवाड़ी केंद्रों की महत्वपूर्ण भूमिका है. आंगनवाड़ी केंद्रों में स्वास्थ्य और शिक्षा की आधारशिला रखा जाती है। गर्भवती महिला के नियमित जांच व पोषण, पोषाहार के जरिये स्वस्थ शिशु का ध्यान रखा जाता है। जन्म के बाद बच्चों को पोषाहार, कुपोषण की जांच, पोषणयुक्त आहार के जरिये स्वस्थ्य शिशु की पौध तैयार की जाती हैं. इसके साथ-साथ विद्यालय जाने से पहले आंगनवाड़ी केंद्र में ही बच्चों को प्रारंभिक साक्षरता का पाठ पढ़ाया जाता जाता है. बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, महिला पर्यवेक्षिका, आंगनवाड़ी सेविका/सहायिका का कार्य देश के भविष्य को गढ़ने में बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को स्थानीय भाषा में पढ़ाया जाना चाहिए. इसी प्रकार पीवीटीजी जैसे जनजातीय क्षेत्रों में भी उनकी संस्कृति व उनके तौर-तरीकों के साथ समन्व्यय बनाते हुए पढ़ाया जाना चाहिए.उप विकास आयुक्त ने कहा कि आज प्रशिक्षण के जरिये सभी मास्टर टेनर्स लाभ उठाएं और गहनता से प्रशिक्षण प्राप्त करें. आज राष्ट्रीय स्तर पर बात की जाय तो राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में आंगनवाड़ी केंद्रों और शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बेहतर कार्य हो रहा है। हमें उस मॉडल पर काम करने की जरूरत है. जब आज प्रशिक्षण के बाद आंगनवाड़ी केंद्रों पर कार्य करें तो ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करें.कार्यशाला में जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सीता पुष्पा ने बताया कि आज के उन्मुखीकरण कार्यशाला के बाद मास्टर ट्रेनर्स (सीडीपीओ और महिला पर्यवेक्षिका) द्वारा प्रखण्ड स्तर पर सभी प्रखण्डों में 11 से 18 दिसंबर तक आंगनवाड़ी सेविकाओं के क्षमतावर्द्धन के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किया जाएगा.आंगनवाड़ी केंद्रों में 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की प्रारंभिक देख और शिक्षा के बेहतर क्रियान्वयन को विस्तार दिया जा रहा है. इसी अवधारना के साथ नव चेतना और आधारशिला नामक दो पाठ्यक्रम तैयार किया गया है.नवचेतना जन्म से तीन वर्ष तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था प्रोत्साहन तथा आधारशिला 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा के तहत दिव्यांग बच्चों की स्क्रीनिंग समावेशन और रेफरल की प्रक्रिया भी शामिल है.

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