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फूलों की खेती से स्वावलंबी बन रहे हैं किसान

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प्रखंड क्षेत्र के मुर्की तोड़ार पंचायत के मन्हे गांव निवासी गंदरु उरांव का पुत्र प्रमोद उरांव फूल की खेती कर स्वयं तो स्वावलंबन की राह पर निकल पड़ा है.

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सेन्हा. प्रखंड क्षेत्र के मुर्की तोड़ार पंचायत के मन्हे गांव निवासी गंदरु उरांव का पुत्र प्रमोद उरांव फूल की खेती कर स्वयं तो स्वावलंबन की राह पर निकल पड़ा है. लेकिन क्षेत्र के युवाओं एवं किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुका है. प्रमोद उरांव ने बताया कि वह रोजी रोजगार के लिए 2023 में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिला अंतर्गत नारायणपुर गया था. वहां उसने देखा की यहां के किसान सिर्फ अनाज की खेती नहीं कर अन्य वैकल्पिक एवं नकदी फसल की खेती कर बेहतर जिंदगी गुजार रहे हैं. उसने वहां स्थानीय किसानों को फूलों का व्यवसाय के लिए गेंदा फूल का खेती करते हुए देखा था, जिसके बाद प्रमोद उरांव के मन में भी फूलों का व्यवसाय करने का लालसा हुआ. जब प्रमोद उरांव गांव वापस लौटा, तो उसने भी फूलोंं की खेती करने के जुगाड़ में जुट गया. प्रमोद की इस सोच को गांव वालों ने पहले तो हल्के में लिया. लेकिन जब खेत में गेंदा फूल की खेती लह लहा रहा है और खरीदार पहुंच रहे हैं तब गांव वालों को समझ में आया कि यह खेती आर्थिक आय के लिए लाभदायक है. प्रमोद ने बताया कि फूलों की खेती करने में अन्य कृषि कार्य के अपेक्षा कम पूंजी और कम मेहनत लगता है. उत्तर प्रदेश से लौटने के बाद फूलों का खेती करने के उद्देश्य से बीज का तलाश करने लगा. वह बायफ संस्था और एचडीएफसी बैंक में काम करने वाले स्थानीय लोगों से संपर्क किया और उसे संस्था के माध्यम से बीज उपलब्ध हो सका. पहली बार लगभग 50 डिसमिल जमीन में गेंदा फूल का खेती किया है.अभी प्रमोद उरांव का फूल तैयार हो चुका है.साथ ही गुलाब फूल भी लगाया हुआ है, वह भी तैयार हो गया है. प्रमोद उरांव ने बताया कि 40 से 50 रुपया की दर से फूल का एक एक लरी (माला) बिक्री होता है. इस बार कम जगह में फूलों का खेती किये हैं.इससे अच्छी आमदनी होने पर और अधिक जगहों में फूल का खेती करेंगे. फूलों की खेती से होने वाला आय से प्रमोद प्रभावित हुआ उसने बताया कि अगली बार बड़े पैमाने पर फूल की खेती की जायेगी. उसने अपने गांव के वैसे युवाओं को जो परंपरागत खेती से जुड़े हुए हैं, उन्हें भी फूलों की खेती करने की सलाह देते हुए प्रेरित कर रहा है. सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में इस तरह की खेती देख गांव वाले भी प्रभावित हुए. लोगों का कहना है कि खरीफ एवं रवि फसल से सिर्फ जीविका चलाया जा सकता है. स्वावलंबन के लिए वैकल्पिक खेती आवश्यक है. अब लोग फूलों की खेती के साथ-साथ सब्जी की खेती की ओर भी रुख करने लगे हैं.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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