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लोहरदगा के नवाडीह गांव में 1967 से प्रारंभ हुई दुर्गा पूजा, प्रभु साहू ने की थी इसकी शुरूआत

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किस्को प्रखंड क्षेत्र में दुर्गा पूजा को लेकर पूजा समितियों द्वारा तैयारियां शुरू कर दी गयी है. जगह जगह पंडाल व प्रतिमा का निर्माण कराया जा रहा है. लोहरदगा के नवाडीह में दुर्गा पूजा की शुरुआत वर्ष 1967 में प्रभु साहू द्वारा की गयी थी.

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किस्को प्रखंड क्षेत्र में दुर्गा पूजा को लेकर पूजा समितियों द्वारा तैयारियां शुरू कर दी गयी है. जगह जगह पंडाल व प्रतिमा का निर्माण कराया जा रहा है. किस्को प्रखंड क्षेत्र के आरेया, किस्को, पतगच्छा, नवाडीह एवं जनवल में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है. इसके अलावा भक्ति जागरण एवं मेले का भी आयोजन किया जाता है.

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क्षेत्र में दुर्गा पूजा का इतिहास काफी पुराना है. नवाडीह में दुर्गा पूजा की शुरुआत वर्ष 1967 में प्रभु साहू द्वारा की गयी थी. जो आज तक चलते आ रही है. सन 1967 से 1995 तक प्रभु साहू की देख रेख में पूजा हुई. 1995 के बाद ग्रामीणों द्वारा पूजा करायी जाने लगी. वहीं किस्को में 1978 से दुर्गा पूजा की शुरुआत स्व लाल नवल नाथ शाहदेव के द्वारा की गयी.

उसके बाद पूजा की व्यवस्था लाल अनिल नाथ शाहदेव द्वारा की जाने लगी. वर्ष 2017 से लाल मुकुल नाथ शाहदेव की देखरेख में दुर्गा पूजा हो रही है. वहीं पतगच्छा में पिछले 6 वर्षों से अर्जुन सिंह द्वारा पूजा पंडाल की व्यवस्था कराई जाती रही है. वही आरेया गांव में मां दुर्गा की पूजा पिछले 62 वर्षों से ग्रामीणों के सहयोग से की जा रही है.

जनवल गांव में पिछले 52 वर्षों से दुर्गा पूजा हो रही है. पूजा की शुरुआत स्व नागेश्वर साहू द्वारा की गयी थी. जिसके बाद पूजा की जिम्मेवारी उनके पुत्र तुलसी साहू एवं मुंशी साहू की देख रेख में होने लगी. इस दौरान कई स्थानों पर अखंड हरिकीर्तन एवं भक्ति जागरण का आयोजन किया जाता है.

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