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खरसावां व भीमा कोरेगांव की घटना पर श्रद्धांजलि सभा

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.प्रखंड के नचना गांव स्थित सरना भवन परिसर में खरसावां गोलीकांड (1948) और भीमा कोरेगांव (1818) के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी.

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बारियातू.प्रखंड के नचना गांव स्थित सरना भवन परिसर में खरसावां गोलीकांड (1948) और भीमा कोरेगांव (1818) के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी. कार्यक्रम की अध्यक्षता सुरेश गंझू ने की. इस दौरान सुरेश गंझू समेत प्रवीण लोहरा, दीपक लोहरा, अनुज उरांव, रामचंद्र उरांव, संजय राम, अरुण कुमार, अजय कुमार राम, सत्येंद्र अगरिया, बिशुन देव उरांव, फूलदेव लोहरा, बिजुली भुइयां, मधुमिता लोहरा, नमिता लोहरा, राजू रामवृक्ष लोहरा, रागनी कुमारी आदि ने कैंडल जलाकर व पुष्प अर्पित कर वीर शहीदों को नमन किया. सत्येंद्र अगरिया ने खरसावां गोलीकांड के बारे में कहा कि एक जनवरी 1948 को ओड़िशा में झारखंड आंदोलनकारियों की ओर से झारखंड के कुछ जिलों के विलय के विरोध में शांतिपूर्ण सभा की गयी थी. सभा के दौरान ही अंधाधुंध फायरिंग कर निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गयी थी. वहीं शवों को ट्रक में भरकर नदियों और कुओं में फेंका गया था. वहीं भीमा कोरेगांव युद्ध एक जनवरी 1818 को इस्ट इंडिया कंपनी और पेशवा बाजीराव द्वितीय के बीच लड़ा गया था. इस युद्ध में महार जाति के 500 बहादुर सैनिकों ने अंग्रेजों की ओर से लड़ते हुए पेशवा के 28 हजार सैनिकों की विशाल सेना को पराजित किया था. मंच संचालन कर रहे अरुण कुमार ने कहा कि खरसावां व भीमा कोरेगांव की घटनाएं आज भी शौर्य और बलिदान की मिसाल है. बावजूद उन्हें इतिहास के पन्नों में उचित स्थान नहीं मिला. कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने शहीदों की कुर्बानी को नमन कर उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया.

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