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डिग्री कॉलेज नहीं होने से उच्च शिक्षा से वंचित हो रहे विद्यार्थी

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प्रखंड में उच्च शिक्षा के लिए डिग्री कॉलेज का नहीं होना स्थानीय विद्यार्थियों व अभिभावकों के लिए परेशानी का सबब बना है. डिग्री कॉलेज नहीं होने से विद्यार्थी इंटर पास करने के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते हैं.

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बारियातू. प्रखंड में उच्च शिक्षा के लिए डिग्री कॉलेज का नहीं होना स्थानीय विद्यार्थियों व अभिभावकों के लिए परेशानी का सबब बना है. डिग्री कॉलेज नहीं होने से विद्यार्थी इंटर पास करने के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते हैं. बताते चलें कि बालूमाथ से अलग होकर वर्ष 2009 में बारियातू प्रखंड बना था. नौ पंचायत वाले इस प्रखंड में इंटर की पढ़ाई के लिए एकमात्र इंटर कॉलेज (परियोजना प्लस टू हाइस्कूल) है. इतना ही नहीं स्थानीय विद्यार्थियों की एक बड़ी समस्या यह भी है कि यहां इंटर विज्ञान की पढ़ाई ही नहीं होती. उक्त इंटर कॉलेज में कॉमर्स व आर्ट्स की ही पढ़ाई होती है. कुछ दिनों पहले ही उत्क्रमित उच्च विद्यालय गोनिया को प्लस टू का दर्जा मिला है, पर अब तक यहां इंटर की पढ़ाई शुरू नहीं हुई है.

हर वर्ष पांच सौ से ज्यादा विद्यार्थी इंटर पास करते हैं

परियोजना प्लस टू उच्च विद्यालय में इंटर आर्ट्स के लिए छह सौ सीट व कॉमर्स के लिए दो सौ सीट है. दोनों संकाय मिलाकर हर वर्ष औसत पांच सौ से अधिक विद्यार्थी इंटर की परीक्षा में सफल होते हैं. डिग्री कॉलेज नहीं रहने और आर्थिक तंगी के कारण में कई विद्यार्थी पढ़ाई छोड़ देते हैं. विशेषकर छात्राओं की शिक्षा अधूरी रह जा रही है. स्थानीय लोगों ने शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम से इस दिशा में पहल करने की अपील की है.

क्या कहते हैं लोग

इस संबंध में उमेश सिंह ने कहा कि बारियातू आदिवासी बहुल क्षेत्र है. यहां अधिकांश लोग खेती से जुड़े है. ऐसे में बाहर नहीं जा पाना विद्यार्थियों व अभिभावक दोनों की मजबूरी है. ऐसे में डिग्री कॉलेज नहीं होने के कारण बच्चों की पढ़ाई छूट रही है. सेवानिवृत्त शिक्षक जुठी प्रसाद सिंह ने कहा कि बारियातू प्रखंड बने 15 वर्ष बीत गया है, लेकिन आज तक डिग्री कॉलेज की समस्या पूर्ववत बनी है. संपन्न परिवार के बच्चे किसी तरह जिले से बाहर जाकर सभी विषयों की पढ़ाई कर लेते है, पर गरीब परिवार के प्रतिभावान बच्चे मजबूरी में पढ़ाई छोड़ रहे है. इस दिशा में सामूहिक प्रयास की आश्वयकता है. हाजी मोहम्मद खोबैब ने कहा कि अगर बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना है, तो हर प्रखंड में डिग्री कॉलेज खुलना चाहिए. यहां इंटर में विज्ञान पढ़ने की व्यवस्था नहीं है. निर्मल यादव ने कहा कि कई परिवार के बच्चे मजबूरीवश परिवार के साथ रहकर खेती व घरेलू काम में हाथ बंटाते है. अगर यहां डिग्री कॉलेज होता तो उनकी समस्या दूर हो जाती. बालूमाथ, बारियातू व हेरहंज प्रखंड में एक भी सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं है, उक्त तीनों प्रखंड के बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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