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गांव में विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र और स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं

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प्रखंड मुख्यालय से 40 किलोमीटर की दूरी पर नेतरहाट पंचायत स्थित आधे गांव में आदिम जनजाति के 49 वृजिया परिवार रहते हैं. इनकी आबादी लगभग दो सौ है, लेकिन गांव में मूलभूत सुुविधाओं का घोर अभाव है.

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दुर्भाग्य : मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है आदिम जनजाति बाहुल्य आधे गांव में

महुआडांड़ : प्रखंड मुख्यालय से 40 किलोमीटर की दूरी पर नेतरहाट पंचायत स्थित आधे गांव में आदिम जनजाति के 49 वृजिया परिवार रहते हैं. इनकी आबादी लगभग दो सौ है, लेकिन गांव में मूलभूत सुुविधाओं का घोर अभाव है.

गांव पहुंचने के लिए न सड़क है, न ही गांव में आज तक बिजली पहुंची है. यही नहीं गांव के आसपास विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र और स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं है. किसी भी काम के लिए ग्रामीणों को करीब दस किमी दूर पैदल चल कर दौना गांव पहुंचना पड़ता है. यहां से प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए उन्हें वाहन मिल जाते हैं.

बरसात में आधे गांव के लोगों को होती है और परेशानी : इन आदिम जनजाति के परिवार की माली हालत काफी खराब है. यहां के लोगों के लिए राज्य सरकार की डाकिया योजना ही एक मात्र सहारा है. आधे गांव पहाड़ पर घने जंगलों के बीच बसा है. गांव तक पहुंचने के लिए दुरूप पंचायत के दौना ग्राम से पहाड़ों के बीच से वन विभाग द्वारा दस किमी कच्ची सड़क का निर्माण कराया गया है.

बरसात में यह सड़क पैदल चलने लायक भी नहीं रहती है. ऐसे में उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. हालांकि बरसात खत्म होने के बाद वन विभाग द्वारा इस सड़क की मरम्मत करायी जाती है. सरकार की अन्य विकास योजनाएं यहां तक नहीं पहुंच पायी है.

महिलाओं की पेंशन कई वर्षों से है बंद : गांव के चतरी, मानती वृजियाइन, बेनिदिकता वृजियाइन व अनुकंपा वृजियाइन समेत दर्जनों आदिम जनजाति महिलाओं को मिलने वाली पेंशन विगत कई वर्षों से बंद है. इसके अलावा गांव के ही बंसत वृजिया, संतोष वृजिया, मोहन वृजिया, त्रिलोकी वृजिया, नवल वृजिया, मतयस वृजिया व मनोज वृजिया ने कहा कि वे सभी मैट्रिक तक की पढ़ाई किये हैं लेकिन अब तक सरकार या किसी अधिकारी की तरफ से उन्हें कोई सुविधा नहीं मिली है.

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