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Lok Sabha Chunav|कोडरमा लोकसभा सीट पर 12 चुनावों में मात्र 5 महिलाओं ने आजमायी है किस्मत

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Lok Sabha Chunav|कोडरमा लोकसभा सीट पर 1977 से अब तक 12 बार चुनाव हुए हैं. 142 लोगों ने किस्मत आजमाई, लेकिन उसमें महिलाओं की संख्या सिर्फ 5 रही. जानें पूरा इतिहास.

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Lok Sabha Chunav 2024|कोडरमा/रांची, विकास : लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी राजनीतिक दल अपना-अपना उम्मीदवार मैदान में उतारने में लगे हैं.

Lok Sabha Chunav : कोडरमा से फिर अन्नपूर्णा देवी मैदान में

कोडरमा लोकसभा क्षेत्र की बात करें, तो यहां से इस बार भाजपा ने केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सह सांसद अन्नपूर्णा देवी को पुन: मैदान में उतारा है, जबकि इंडिया महागठबंधन की ओर से भाकपा माले के बगोदर विधायक विनोद सिंह के नाम का ऐलान हो चुका है.

  • अन्नपूर्णा देवी के नाम है 2019 के लोकसभा चुनाव की सबसे बड़ी जीत हासिल करने का रिकार्ड
  • वर्ष 2004 में झामुमो की उम्मीदवार चंपा वर्मा रहीं थीं दूसरे स्थान पर

लोकसभा चुनावों में महिला उम्मीदवारों की संख्या रही काफी कम

इन दो नामों के अलावा अब तक किसी बड़े राजनीतिक दल ने अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, पर कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में अब तक हुए चुनाव का इतिहास बताता है कि लोकसभा चुनावों में यहां से किस्मत आजमाने में महिला चेहरों की संख्या काफी कम रही है.

1977 से अब तक 12 चुनावों में 142 उम्मीदवार, मात्र 5 महिला

कोडरमा में 1977 से अब तक 12 बार आम चुनाव हुए हैं. इसमें कुल 142 उम्मीदवार रहे हैं, पर अब तक के चुनावी समर में 5 महिला चेहरों ने ही अपनी किस्मत आजमाई है. हालांकि, इसमें शामिल अन्नपूर्णा देवी के नाम इस लोकसभा सीट से सबसे ज्यादा मत 4 लाख 55 हजार 600 से जीत हासिल करने का भी रहा है.

1984 में पहली बार सुधा रानी सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ीं

जानकारी के अनुसार, कोडरमा लोकसभा सीट से पहली बार 1984 में सुधा रानी सिन्हा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में कदम रखा था, पर उन्हें जनता का खास समर्थन नहीं मिल पाया था. उस चुनाव में उन्हें मात्र 1,903 वोट मिले थे.

भाजपा सांसद रीतलाल की पत्नी झामुमो के टिकट पर लड़ीं चुनाव

वर्ष 1989 में एक बार फिर सुधा रानी सिन्हा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में दांव आजमाया, पर इस बार भी उन्हें खास वोट नहीं मिले. 2004 में 5 बार सांसद रहे भाजपा नेता रीतलाल प्रसाद वर्मा की पत्नी चंपा वर्मा ने झामुमो से चुनावी मैदान में इंट्री की, पर उन्हें भी जीत हासिल न हो सकी.

2014 में कोडरमा सीट पर पहली बार 2 महिला लड़ीं चुनाव

वर्ष 2014 में एक साथ दो महिला उम्मीदवारों कंचन कुमारी व मंजू कुमारी ने किस्मत आजमाई. निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरी कंचन कुमारी को उस समय 20,669 मत मिले और वह छठे स्थान पर रही, जबकि तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार मंजू कुमारी को 12,785 मत मिले और वह आठवें स्थान पर रही.

कोडरमा और गिरिडीह में बड़ा मुद्दा हैं ढिबरा मजदूर

कोडरमा व गिरिडीह लोकसभा सीट के लिए ढिबरा मजदूर एक अहम मुद्दा बन गये हैं. करीब तीन लाख ऐसे मजदूर हैं, जो पूरी तरह ढिबरा चुनने का काम करते हैं. पर अभी वे बेरोजगार हो गये हैं. इन दिनों लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशियों से ढिबरा मजदूर व कारोबारी सवाल पूछ रहे हैं.

वर्षों से चल रहा है ढिबरा चुनने का अवैध कारोबार

गौरतलब है कि राज्य में ढिबरा चुनने का अवैध रूप से कारोबार वर्षों से चला आ रहा है. राज्य सरकार ने इसके वैध कारोबार की मंशा जाहिर की. इसके बाद ढिबरा के वैध कारोबार के लिए नियमावली अधिसूचित कर दी.

अभ्रक उद्योग पर उद्यमी और मजदूर दोनों असमंजस में

ढिबरा मजदूरों की जिला स्तरीय सहकारी समिति औद्योगिक स्वावलंबी को-ऑपरेटिव सोसाइटी के अध्यक्ष अशोक वर्मा ने कहा कि अभ्रक क्षेत्र कोडरमा जिले के लाखों ढिबरा मजदूरों और उद्यमियों के मन में यही प्रश्न है कि अभ्रक उद्योग को पुनर्जीवित किया जायेगा या नहीं.

कोडरमा और गिरिडीह के दर्जनों अभ्रक प्लांट राजस्थान शिफ्ट

वहीं, गिरिडीह के एक माइका व्यापारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ढिबरा के साथ लिथियम के अंश होने की बात कह कर काम को टाल दिया गया है. पर स्थिति यह है कि रोजगार के अभाव में सहकारी समिति के सैकड़ों सदस्य दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर गये हैं. कोडरमा और गिरिडीह के दर्जनों अभ्रक उद्यमी अपने प्लांट राजस्थान ले गये हैं.

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