अगली सुनवाई छह सप्ताह के बाद होगी
-मामला लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति का लाभ देने कावरीय संवाददाता, रांची
झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने लोहार-लोहरा जाति के संवैधानिक विसंगतियों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. इस दाैरान अदालत ने प्रार्थी का पक्ष सुना. इसके बाद अदालत ने मामले में केंद्र सरकार व राज्य सरकार को जवाब दायर करने का निर्देश दिया. साथ ही अगली सुनवाई के लिए छह सप्ताह के बाद की तिथि निर्धारित करने का निर्देश दिया. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि लोहार संविधान के प्रारंभ से ही जनजातीय आदेश 1950 का हिस्सा रहा है. लोहार के लिए जनजाति आदेश-1950 की सूची में प्रयोग में लायी गयी रोमन लिपि को लोहरा मान लिया गया, जबकि यह शाब्दिक रूप से लोहार ही है. लोहरा को तो बाद के 1956 की अनुसूचित जनजाति आदेश में लोहार का ही पर्यायवाची शब्द अथवा क्षेत्रीय नाम के रूप में लोहार के साथ में सूचीबद्ध किया गया था. यह बाद के 1976 के जनजातीय आदेश का भी हिस्सा रहा है, लेकिन झारखंड राज्य के गठन के समय झारखंड की जनजातीय आदेश की सूची से लोहार को बिना किसी ठोस कारण के हटा दिया गया तथा सिर्फ लोहरा को सूचीबद्ध किया गया. प्रार्थी ने बिहार के समय से एसटी की सूची में शामिल लोहार जाति को उसका हक देने के लिए राज्य सरकार को उचित आदेश देने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अतीत कुमार ने याचिका दायर की हैै. उन्होंने लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति का लाभ देने की मांग की है.