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करमदाहा में 15 दिवसीय मकर संक्रांति मेले की तैयारी शुरु

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दुखिया बाबा महादेव मंदिर प्रांगण में लगने वाले 15 दिवसीय ऐतिहासिक करमदहा मेले की तैयारियां शुरु हो गयी है.

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मुरलीपहाड़ी. मकर संक्रांति के अवसर पर नारायणपुर प्रखंड के करमदहा स्थित दुखिया बाबा महादेव मंदिर प्रांगण में लगने वाले 15 दिवसीय ऐतिहासिक करमदहा मेले की तैयारियां शुरु हो गयी है. इस मेले के लिए अभी से दुकानदार एवं खेल तमाशे वाले जगह चिह्नित कर दुकानें सजाने में जुट गये हैं. देखते ही देखते यह 15 दिवसीय ऐतिहासिक करमदहा मेला 13 जनवरी तक पूर्ण रूप से सज-धज कर तैयार हो जाता है और 15 जनवरी मकर संक्रांति के एक दिन बाद यह मेला शुरू हो जाता है. पूर्व में यह मेला यहां पूरे 30 दिनों का हुआ करता था, जो समय के साथ कुछ वर्षों से इस मेले का अवधि घट कर अब 15 दिनों का रह गया है. इस 15 दिवसीय ऐतिहासिक करमदहा मेले में हर साल संताली यात्रा, मौत का कुंआ, टोरो-टोरो, ब्रेक डांस, सर्कस, तारा माची, अप्पू ट्रेन, ड्रैगन, छोटे-बड़े झुले के अलावा मीना बाजार, लोहा सामग्री के दुकान, बर्तन दुकान, मीना बाजार आदि लगते हैं. मनोरंजन के साधनों के साथ-साथ खरीदारी करने के सामान भी उपलब्ध रहते हैं. यही नहीं इस मेला में बिकने वाला खाजा काफी मशहूर है. यहां का एक खाजा एक किलो का होता है. इसलिए यहां आने वाले लोग खाजा खरीदकर ले जाना नहीं भूलते हैं. यहां आने वाले लोग सर्वप्रथम बराकर नदी में पवित्र स्नान कर दुखिया बाबा मंदिर में जलार्पण कर पूजा अर्चना करते हैं. बराकर नदी किनारे बिकने वाले दही-सब्जी एवं चूड़ा-मुड़ी खाकर पिकनिक मनाते हैं. इसके बाद मेले का लुत्फ उठाते हैं. यह ऐतिहासिक करमदहा मेला झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा सहित कई अन्य प्रदेशों के प्रमुख मेले में से एक है. सबसे ज्यादा राजस्व देता है करमदहा मेला – नारायणपुर प्रखंड के करमदहा स्थित दुखिया महादेव मंदिर प्रांगण में लगने वाले 15 दिवसीय ऐतिहासिक करमदहा मेले की बंदोबस्ती को लेकर डाक किया जाता है. इस मेला से सरकार को लाखों के राजस्व की आमदनी होती है. इस वर्ष मेला का डाक 59 लाख एक हजार रुपये में हुआ है. चंदाडीह लखनपुर गांव के इलियास अंसारी ने मेला का डाक लिया है. जानकारी के अनुसार जिले में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला मेला करमदहा मेला ही है.

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