18.1 C
Ranchi
Wednesday, February 19, 2025 | 06:39 am
18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

कृष्ण और सुदामा के दोस्ती के नेक इरादे की लोग आज भी मिसाल देते हैं : कथावाचक

Advertisement

समस्त वेद-पुराणों के ज्ञाता और विद्वान ब्राह्मण थे. भगवान कृष्ण के सहपाठी रहे सुदामा एक बहुत ही गरीब ब्राह्मण परिवार से थे. उनके सामने हालात ऐसे थे कि बच्चों के पेट भरना भी मुश्किल हो

Audio Book

ऑडियो सुनें

बिंदापाथर. नाला प्रखंड क्षेत्र के वर्धनडंगाल गांव में श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन वृंदावन धाम के श्रीमद्भागवत कथावाचक राजेश किशोर गोस्वामी जी महाराज ने कथा सुनाया. कथावाचक ने कहा कि सुदामा जी भगवान श्री कृष्ण के परम मित्र तथा भक्त थे. वे समस्त वेद-पुराणों के ज्ञाता और विद्वान ब्राह्मण थे. भगवान कृष्ण के सहपाठी रहे सुदामा एक बहुत ही गरीब ब्राह्मण परिवार से थे. उनके सामने हालात ऐसे थे कि बच्चों के पेट भरना भी मुश्किल हो गया था. गरीबी से तंग आकर एक दिन सुदामा की पत्नी ने उनसे कहा कि वे खुद भूखे रह सकते हैं. लेकिन बच्चों को भूखा नहीं देख सकते. ऐसे कहते -कहते उनकी आंखों में आंसू आ गए. ऐसा देखकर सुदामा बहुत दुखी हुए और पत्नी से इसका उपाय पूछा. इस पर सुदामा की पत्नी ने कहा आप बताते रहते हैं कि द्वारका के राजा कृष्ण आपके मित्र हैं तो एक बार क्यों नहीं उनके पास चले जाते? वह आपके दोस्त हैं तो आपकी हालत देखकर बिना मांगे ही कुछ न कुछ दे देंगे. इस पर सुदामा बड़ी मुश्किल से अपने सखा कृष्ण से मिलने के लिए तैयार हुए. उन्होंने अपनी पत्नी सुशीला से कहा कि किसी मित्र के यहां खाली हाथ मिलने नहीं जाते इसलिए कुछ उपहार उन्हें लेकर जाना चाहिए, लेकिन उनके घर में अन्न का एक दाना तक नहीं था. भगवान कृष्ण सुदामा को अपने महल में ले गए और पाठशाला के दिनों की यादें ताजा की. सुदामा कुछ दिन द्वारिकापुरी में रहे, लेकिन संकोचवश कुछ मांग नहीं सके. सुदामा घर पहुंचे तो वहां उन्हें अपनी झोपड़ी नजर ही नहीं आई. वह अपनी झोपड़ी ढूंढ़ रहे थे. तभी एक सुंदर घर से उनकी पत्नी बाहर आईं. उन्होंने सुंदर कपड़े पहने थे. सुशीला ने सुदामा से कहा, देखा कृष्ण का प्रताप, हमारी गरीबी दूर कर कृष्ण ने हमारे सारे दुःख हर लिए. सुदामा को कृष्ण का प्रेम याद आया. उनकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए. कहा कृष्ण और सुदामा का प्रेम यानी सच्ची मित्रता यही थी. कहा जाता है कि कृष्ण ने सुदामा को अपने से भी ज्यादा धनवान बना दिया था. दोस्ती के इसी नेक इरादे की लोग आज भी मिसाल देते हैं. कथा के साथ साथ भजन संगीत भी प्रस्तुत किये गए ””””अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो…”””” की धुन से उपस्थित श्रोता भावविभोर होकर कथा स्थल पर भक्ति से झुम उठे. इस सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का सफल संचालन के लिए आयोजक कमेटी के उज्ज्वल कुमार घोष, कार्तिक वर्धन, शांतिपद राय, प्रशांत मंडल, निर्मल कुमार शील, राधेश्याम चंद, अनंत कुमार पाल, राजकुमार दास आदि सदस्य तथा ग्रामीण युवा वर्ग काफी सक्रिय दिखे. मौके पर आयोजक मंडली के द्वारा सुदामा का आकर्षक वेशभूषा धारण किया. जिससे पूरा परिसर भक्तिमय हो उठा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें