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World Water day 2021 : टाटा स्टील ने कायम की मिसाल, गंदे पानी का ट्रीटमेंट कर बढ़ा रही शहर की हरयाली, रोजाना इतने लीटर पानी की हो रही बचत

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धरती के जल स्तर में आ रही कमी को दूर करने के लिए पानी को लेकर हमें अपने आदत और व्यवहार में बदलाव की जरूरत है. अगर पानी को लेकर सचेत नहीं हुए, तो आने वाले समय में घोर संकट की स्थिति उत्पन्न होगी. कई शहर व राज्यों में यह स्थिति देखने को मिल भी रही है. विश्व जल दिवस पर पढ़ें यह विशेष रिपोर्ट

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Jharkhand News, Jamshedpur News, जमशेदपुर : जल ही जीवन है…यह स्लोगन हम बचपन से सुनते आ रहे हैं. धरती पर कुल जल का एक तिहाई हिस्सा ही पीने योग्य है. ऐसे में पानी की उपलब्धता को बरकरार रखना बड़ी चुनौती है. पानी का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन उसकी उपलब्धता सीमित होती जा रही है.

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धरती के जल स्तर में आ रही कमी को दूर करने के लिए पानी को लेकर हमें अपने आदत और व्यवहार में बदलाव की जरूरत है. अगर पानी को लेकर सचेत नहीं हुए, तो आने वाले समय में घोर संकट की स्थिति उत्पन्न होगी. कई शहर व राज्यों में यह स्थिति देखने को मिल भी रही है. विश्व जल दिवस पर पढ़ें यह विशेष रिपोर्ट

टाटा स्टील व उसकी अनुषंगी इकाई टाटा स्टील यूटिलिटी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेस लिमिटेड (जुस्को) मिल कर जल संरक्षण के क्षेत्र में मिसाल कायम कर रही है. जीरो वाटर डिस्चार्ज मामले में जमशेदपुर देश के प्रमुख शहरों में शामिल है. घरों से निकलने वाले गंदे पानी का ट्रीटमेंट कर उसे रिसाइकिल किया जा रहा है. 1984 में जमशेदपुर में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की शुरुआत हुई थी. आज कंपनी के प्रयास से रोजाना 35 मिलियन लीटर पानी की बचत हो रही है.

गंदे पानी को साफ कर कंपनी शहर की हरियाली बढ़ाने के साथ नदी को प्रदूषित होने से बचा रही है. गंदा पानी ट्रीटमेंट के बाद पीने योग्य नहीं होता है, इसलिए उस पानी का उपयोग गार्डेनिंग व औद्योगिक उपयोग के लिए किया जा रहा है. शहर के विभिन्न क्षेत्र में संचालित वेस्टेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में प्रतिदिन 35 मिलियन लीटर गंदे पानी को साफ किया जा रहा है.

वर्तमान में जुस्को का मुख्य केंद्र जल संरक्षण, नदी की सफाई ही है. इसलिए वाटर मैनेजमेंट के कई प्रोजेक्ट पर काम किये जा रहे हैं जिसका लाभ आने वाले समय में दिखेगा.सिवेज वाटर ट्रीटमेंट के बाद 80 प्रतिशत उपयोग हो पाता है. टाटा स्टील और जुस्को का लक्ष्य है कि आने वाले समय में प्रतिदिन 50 से 70 मिलियन लीटर प्रतिदिन गंदे पानी का ट्रीटमेंट कर उपयोग में लाया जाये. साथ ही नदी को प्रदूषित होने से भी बचाया जाये. यह काम चरणबद्ध तरीके से संचालित हो रही है.

पीएसटीपी हो रही सफल, हर दिन दो हजार किलो लीटर ट्रीटमेंट : टाटा स्टील यूटिलिटी एंड इंफ्रास्टक्चर सर्विसेस लिमिटेड द्वारा जमशेदपुर के विभिन्न प्रतिष्ठानों में छोटे व स्थानीय स्तर पर सिवेज पानी को ट्रीटमेंट किया जा रहा है. ट्रीटमेंट पानी का उपयोग उसी प्रतिष्ठान के पेड़ पौधे, टायलेट उपयोग में किया जा रहा है. टीएमएच, कमिंस, आइएसडब्ल्यूपी, प्रकृति विहार, टाटा ट्यूब डिवीजन, सीआरएम बारा, गोलमुरी गोल्फ कोर्स, टिनप्लेट क्लब हाउस, जेम्को में पीएसटीपी योजना से गंदे पानी का ट्रीटमेंट कर उपयोग में लाया जा रहा है.

2016 से जीरो लिक्विड डिस्चार्ज की योजना, 2018 से दूसरा चरण

नौ संस्थानों में स्थानीय स्तर पर पैकेज सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (पीएसटीपी) के जरिये गंदे पानी का किया जा रहा रिसाइकिल

टीएमएच, आइएसडब्ल्यूपी, कमिंस, प्रकृति विहार, ट्यूब डिवीजन, सीआरएम बारा, गोलमुरी गोल्फ कोर्स, टिनप्लेट क्लब हाउस, जेम्को में पीएसटीपी संचालित

वर्तमान में प्रतिदिन 35 मिलियन लीटर नाली, गंदे पानी का किया जा रहा ट्रीटमेंट

50 से 70 मिलियन लीटर गंदे पानी को प्रतिदिन ट्रीटमेंट करने का रखा गया लक्ष्य

200 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) पानी का प्रतिदिन पीने के लिए किया जा रहा ट्रीटमेंट

ट्रीटमेंट के बाद पेड़-पौधों को दिया जा रहा पानी

सिवेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट शहर के लिए लाइफ लाइन साबित हो रही है. पेड़-पौधों को पानी देने के लिए जहां अलग से पीने योग्य पानी का उपयोग होता था. अब उस पानी की बचत हो रही है. सिवेज वाटर (क्वार्टर, घरों से आने वाला गंदा पानी) को ट्रीटमेंट कर उसे स्टोर कर टैंकर के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों के सड़क किनारे, चौक चौराहों में लगे पेड़-पौधों में पानी डाला जाता है. इसके अलावा पाइपलाइन के माध्यम से इंडस्ट्रियल उपयोग के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है.

पानी बचाने की जिम्मेदारी हर व्यक्ति की है. वर्तमान में बिजली से ज्यादा खपत पानी की है. उपयोग के साथ दुरुपयोग भी काफी हो रहा है. इस पर नियंत्रण की जरूरत है.

सुकन्या दास, प्रवक्ता, टाटा स्टील यूटिलिटी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेस लिमिटेड

प्रदूषित होने से बच रही नदी

नाली, नालों से पानी सीधे नदी में जाती है. इससे नदी का जल प्रदूषित होता है. लेकिन इस तरह के ट्रीटमेंट प्लांट से न केवल पानी को सीधे नदी में जाने से रोका जा रहा है बल्कि उसका रिसाइकलिंग भी हो पा रहा है.

Posted By : Sameer Oraon

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