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आज कठिन दौर में गांधी की ओर देख रही दुनिया : कुमार प्रशांत

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जमशेदपुर पहुंचे प्रमुख गांधीवादी चिंतक, लेखक और गांधी शांति प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने कहा कि जब तक आप हिंसा नहीं करते, तब तक आप गांधी के दिखाये मार्ग पर हैं. चाहे आपको गांधी का मतलब समझ में आता हो या नहीं.

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जमशेदपुर, संजय प्रसाद : प्रमुख गांधीवादी चिंतक, लेखक और गांधी शांति प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुमार प्रशांत निजी कार्यों से जमशेदपुर आये थे. इस दौरान उनसे आज के परिप्रेक्ष्य में महात्मा गांधी की प्रासंगिकता, धार्मिक उन्माद, विश्व शांति में गांधी की भूमिका आदि विषयों पर गांधी शांति प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने कहा कि आज पूरी दुनिया महात्मा गांधी की ओर देख रही है. दुनिया और मीडिया में गांधी की बात हो रही है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा सरीखे नेताओं को गांधी में ही दुनिया की समस्याओं का समाधान दिखता है.

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महात्मा गांधी हमेशा प्रासंगिक हैं

कुमार प्रशांत ने कहा कि जब तक आप हिंसा नहीं करते, तब तक आप गांधी के दिखाये मार्ग पर हैं. चाहे आपको गांधी का मतलब समझ में आता हो या नहीं. महात्मा गांधी कल भी प्रासंगिक थे, आज भी हैं और आगे भी रहेंगे. जय प्रकाश नारायण ने ‘गांधी कितने प्रासंगिक’ के सवाल पर कहा था कि जब तक आप महात्मा गांधी की चर्चा करते रहेंगे, तब तक गांधी प्रासंगिक रहेंगे.

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गांधी की बात करते नहीं, बात बनाते हैं प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाहर जाकर गांधी की बात करते नहीं, बल्कि गांधी जी की बात बनाते हैं. क्योंकि बाहर दूसरी कोई बात बनती नहीं है. असल में मोदी जी जिस विचार धारा को मानते हैं. जिस विचारधारा के वे प्रतिनिधि हैं, वह गांधी जी की विचारधारा के बिल्कुल उलट है. इसलिए अगर उन्हें बचे रहना है, तो देश में गांधी की विचारधारा को उन्हें खत्म करना ही पड़ेगा. अगर गलती से ऐसा हो गया कि उनके कहने से गांधी मजबूत हो गये, तो वे खुद खत्म हो जायेंगे. इसलिए वे अपने इर्द-गिर्द उन लोगों को रखते हैं, जो नाथूराम गोडसे और सावरकर की बात करते हैं और चुप रहते हैं. वे बाहर जाकर गांधी की बात करते हैं. यह सिर्फ उनकी अस्तित्व रक्षा का सवाल है.

देश में छोटी-छोटी बातों से फैलाया जा उन्माद

आज देश में हिंदू धर्म के नाम पर जो हो रहा है, उस पर कुमार प्रशांत ने कहा कि धर्म के नाम पर सिर्फ उन्माद फैलाया जा रहा है. छोटी-छोटी बातों के जरिये उन्माद खड़ा किया जा रहा है. इसका हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. हर आदमी के अंदर एक कमजोरी छिपी होती है. उस कमजोरी को जब आप उजागर करते हैं, तो समाज विकृत होता है. हालांकि, उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी काफी समझदार है. सवाल है एप्रोच करने का. नयी पीढ़ी को कैसे आप ट्रीट करते हैं. गांधी के नाम पर गलत बातों के जरिये लोगों को दिग्भ्रमित किया जा रहा है. दुनिया भर की मीडिया में आज भी गांधी छाये रहते हैं. महात्मा गांधी के पास नकल नहीं थी. पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जब गांधी को नकल के तरीके से देखने की कोशिश की, तो गांधी ने उनको चिट्ठी लिखी. कहा कि तुमको मैंने अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाया है. लेकिन मेरे और तुम्हारे बीच की खाई बढ़ती जा रही है. एक बार आ जाओ, हमलोग बात कर दुनिया को बता देते हैं कि हमारे बीच कितना मतभेद है.

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युवा पीढ़ी को अपनी बातें रखने का नहीं मिल रहा मंच

उन्होंने कहा कि आज युवा पीढ़ी की हालत काफी दयनीय है. उसे घर में कोई प्यार नहीं करता है. समाज में उसकी कोई इज्जत नहीं है. कॉलेज में भी लोग उन्हें आफत समझ रहे हैं. वह अपनी बात किसी मंच पर नहीं रख पा रहा है. आज हर मां-बाप को कम से कम एक घंटा विशेष रूप से अपने बच्चों को देना चाहिए. उनके साथ हंसी-ठिठोली, खेलना-कूदना, उनसे बातें शेयर करना काफी जरूरी है. जब आप अपने बच्चों को समय नहीं देंगे, तो समाज कैसे उसको समय देगा.

अन्ना हजारे का लोगों ने फायदा उठाया

‘आज अन्ना हजारे कहां हैं ’ के सवाल पर कुमार प्रशांत ने कहा कि अन्ना हजारे की शारीरिक क्षमता अब पहले जैसी नहीं रही. वे काफी बीमार रहते हैं. अपने समय में उन्होंने काफी बड़ा काम किया. महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार के चार-पांच बड़े मुकदमे लड़े और उसमें जीत भी हासिल की. वर्ष 2014 में अन्ना हजारे का लोगों ने फायदा उठाया, वे समझ नहीं पाये. उस समय उन्हें लगता था कि वे ठीक कर रहे हैं. नेतृत्व क्षमता और बौद्धिक क्षमता अलग होती है. अन्ना हजारे सेना से सेवानिवृत्त एक साधारण व्यक्ति हैं.

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