12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

झारखंड के कोंकादासा गांव में आखिर कब उगेगा विकास का सूरज? नए साल पर पढ़िए ये ग्राउंड रिपोर्ट

Konkadasa Village Ground Report: झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के कोंकादासा गांव के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. प्रभात खबर की टीम ने यहां की जमीनी हकीकत जानने का प्रयास किया. पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Konkadasa Village Ground Report: जमशेदपुर-साल 2025 का जब हम स्वागत कर रहे हों. नये साल को लेकर उम्मीदों की गठरी खुलने लगी हो. ऐसे वक्त में प्रभात खबर की टीम आपको साल 2024 के अंतिम दिन ऐसे गांव की कहानी बता रही है, जो 2025 में भी 20वीं सदी जैसी मामूली सुविधाओं के लिए जूझ रहा है. गांव में बिजली नहीं है. पीने के पानी का संकट है. इलाज के लिए करीब आठ किलोमीटर का लंबा जंगली रास्ता पार करके बोड़ाम जाना होता है. इसके बावजूद गांव के लोगों को सत्ता, सत्ता के प्रतिनिधियों से कोई खास शिकायत नहीं है, लेकिन इनके चेहरों को देखकर यह मासूम का सवाल जरूर पढ़ा जा सकता है कि क्या 2025 में यहां विकास का सूरज उगेगा? पढ़िए प्रभात खबर के स्थानीय संपादक संजय मिश्र की रिपोर्ट और देखिए फोटो जर्नलिस्ट ऋषि तिवारी की तस्वीरें.

कोंकादासा गांव की जमीनी हकीकत


कोंकादासा. दलमा पहाड़ पर समुद्र तल से करीब ढाई हजार फीट ऊपर बसा बोड़ाम प्रखंड की बोंटा पंचायत का एक गांव. नये साल पर इस गांव की कहानी यह है कि यहां 26 घर है. 25 घर भूमिज (सरदार) आदिवासी और एक घर संथाल आदिवासी का है. गांव की कुल आबादी है 213. 21 वीं सदी के 25 वें साल में भी इस गांव में अब तक बिजली नहीं पहुंची है. गांव में सौर ऊर्जा से चलने वाले दो हैंडपंप हैं, जिनमें एक खराब है. एक आंगनबाड़ी केंद्र और एक प्राथमिक विद्यालय है.

आठ किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ने के बाद है ये गांव


टाटा से बोड़ाम जाने वाली सड़क पर चिमटी गांव से थोड़ा पहले बाई ओर दलमा पहाड़ पर जाने के लिए मुड़ रही कच्ची सड़क पर चढ़ने के बाद डेढ़ घंटे तक तकरीबन आठ किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ने के बाद ही आप कोंकादासा गांव पहुंच सकते हैं. गांव क्या कहिए बियावान जंगल में गिनती के कुछ कच्चे मकान. नीचे से ऊपर आने के दौरान कई बार यह लगेगा कि यहां तो गांव नहीं हो सकता है. तभी दिखता है वन विभाग का वीरान पड़ा विश्रामागार. थोड़ा आगे बढ़ने पर गांव के एक मात्र संताली परिवार का घर. शंभू मुर्मू बताते हैं कि सालों पहले उनके दादा इस गांव में बस गए थे.

आज तक सांसद न विधायक आए गांव


गांव-घर की स्थिति बताने के लिए मिलते हैं मित्तन सिंह सरदार और अजीत सरदार. अजीत गुलेल लेकर शिकार की तैयारी कर रहे हैं. हिंदी नहीं जानने के कारण बांग्ला में ही वे बोलना शुरू करते हैं. बताते हैं कि यहां आज तक न कोई सांसद आया और न ही कोई विधायक, लेकिन इस साल मई में लोकसभा और नवंबर में विधानसभा चुनाव के लिए नौ किलोमीटर पैदल चलकर वोट देने गए थे. पंचायत चुनाव के लिए भी वोट दिया. मुखिया कौन है नहीं मालूम. वार्ड सदस्य का भी नाम नहीं जानते हैं. मित्तन बताते हैं कि वे केवल कक्षा तीन तक ही पढ़ पाए. फिर नौकरी की तलाश में बहुत चक्कर लगाया. गोवा में जाकर राज मिस्त्री का काम सीखा. फिर तीन साल साल पहले गांव लौट आए. अब जमशेदपुर में रोज जाकर रोजी-रोटी कमाते हैं. इस गांव में तीन लोगों के पास मोटरसाइकिल है जो जमशेदपुर या बोड़ाम में जाकर काम करते हैं.

12 किलोमीटर दूर है हाईस्कूल


गांव करीब 70 बच्चे हैं, जिनमें 22 बच्चों की पढ़ाई पांचवीं के बाद छूट गयी है क्योंकि हाईस्कूल 12 किलोमीटर दूर है. कोई गंभीर बीमार हो जाए, जंगल में कोई जानवर हमले में घायल हो जाए, तो मौत निश्चित है. तीन साल पहले तक गांव में हाथियों का आतंक होता था. पता नहीं, अचानक खुद ही गांव में हाथियों का आना बंद हो गया है. मित्तन ने बताया कि भला हो चार साल पहले जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) की टीम पहुंची तो यहां सौर ऊर्जा से चलने वाले दो हैंडपंप लगे, जिसमें एक खराब हो गया है. कुएं का पानी गरमी में सूख जाता है.

अबुआ आवास की योजना का भी नहीं मिला लाभ


गांव के बच्चे हो या पत्तों से दोना या पत्तल बना रही महिलाएं-बुर्जुग किसी के पास सरकार, सरकार के प्रतिनिधियों से कोई खास शिकायत नहीं है. इस गांव में अभी अबुआ आवास की योजना नहीं पहुंची है. मुफ्त सरकारी राशन के लिए भी हर परिवार को काफी मशक्कत करनी होती है. बच्चों और महिलाओं को देखने से ही यह लगता है कि वे कुपोषण का शिकार है लेकिन इनके लिए कोई जांच शिविर नहीं लगता है.

जरूरी सुविधाओं के लिए भी कर रहे संघर्ष


जरूरी सुविधाओं के लिए भी संघर्ष करते इस गांव के लोग का नजरिया बहुत ही सकारात्मक है लेकिन शहर के आने वाले हर व्यक्तियों को देखकर उनके आंखों में यह सवाल जरूर उठता है कि आखिर यहां विकास का सूरज कब उगेगा?

विधायक मंगल कालिंदी ने किया वादा


कोंकादासा गांव के बारे में बताने पर विधायक मंगल कालिंदी ने प्रभात खबर से यह वादा किया कि नये साल में वे जल्द ही इस गांव में पहुंचेंगे. गांव की समस्याओं की सूची तैयार करेंगे. पंचायत की मदद से सरकारी योजनाओं का लाभ मिले, इसे सुनिश्चित करवायेंगे.

ये भी पढ़ें: खरसावां गोलीकांड की बरसी आज, 77 साल बाद भी अबूझ पहेली बनी है शहीदों की संख्या, सीएम हेमंत सोरेन देंगे श्रद्धांजलि

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें