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टाटा स्टील के उत्थान में डॉ ईरानी क्या था योगदान? यूनियन अध्यक्ष आरबीबी सिंह ने ऐसे किया याद

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टाटा स्टील के एमडी के तौर पर डॉ जेजे ईरानी के साथ लंबे समय तक काम करने वाले टाटा वर्कर्स यूनियन के तत्कालीन अध्यक्ष आरबीबी सिंह ने उनको याद करके गहरा दुख जताया. उन्होंने कहा कि यह दुखद घटना है

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टाटा स्टील के एमडी के तौर पर डॉ जेजे ईरानी के साथ लंबे समय तक काम करने वाले टाटा वर्कर्स यूनियन के तत्कालीन अध्यक्ष आरबीबी सिंह ने उनको याद करके गहरा दुख जताया. उन्होंने कहा कि यह दुखद घटना है. उन्होंने कहा कि डॉ जेजे ईरानी अगर नहीं होते, तो शायद टाटा स्टील नहीं बचती. उस वक्त यूनियन के तौर पर हम लोगों को लगता था कि मजदूर विरोधी फैसले ले रहे हैं. हम लोग विरोध भी करते थे. लेकिन हम लोगों ने हालात को समझते हुए साथ दिया था.

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डॉ जेजे ईरानी की खासियत यही थी कि इएसएस भी दिये, तो अब तक के सबसे बड़े ऑफर के साथ दिये थे. बड़े पैमाने पर स्थायीकरण कर्मचारियों को उन्होंने कर दिया था. उन्होंने बताया कि पीएम ट्राॅफी मिलने पर उसके हिस्से का पैसा कर्मचारियों को घड़ी के तौर पर देने की घोषणा डॉ ईरानी ने कर दी थी. लेकिन बोर्ड राजी नहीं हुआ था, लेकिन उ़न्होंने मजदूर हित में अपने फैसले को सही ठहराया और कर्मचारियों को घड़ी दी. उनके जैसा बेहतर कारपोरेट पर्सन नहीं हो सकता है.

टाटा स्टील में बड़े पैमाने पर अस्थायी कर्मचारी काम करते थे. अस्थायी कर्मचारियों के स्थायीकरण का काफी लंबा आंदोलन चला था. उस वक्त टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष आरबीबी सिंह थे. गेट जाम और बड़ा आंदोलन हुआ करता था. कई बार के आंदोलन से कंपनी भी आजिज हो चुकी थी. इसके बाद डॉ जेजे ईरानी ने टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष आरबीबी सिंह के साथ काफी लंबी वार्ता की थी. इस वार्ता के बाद डॉ जेजे ईरानी ने तय किया कि एक बार में सारे कर्मचारियों का स्थायीकरण कर दिया जायेगा.

पहले हर माह नौ लोगों का स्थायीकरण हुआ करता था, लेकिन सारे कर्मचारी इससे नाखुश थे. वे लोग चाहते थे कि उनका स्थायीकरण की समस्या का एक बार निराकरण हो जाये. इसके बाद तय हुआ कि सभी अस्थायी कर्मचारियों का एक साथ स्थायीकरण किया जायेगा. इसके बाद एक साथ करीब एक हजार लोगों का एक साथ स्थायीकरण किया गया. इस दौरान टाटा स्टील के कोल्ड रोलिंग मिल (सीआरएम) की स्थापना की गयी, ताकि कंपनी को बचाया जा सके. उस वक्त सबसे दक्ष कर्मचारियों की बहाली सीआरएम में की गयी. भारत में पहली बार सीआरएम की टाटा स्टील ने स्थापना की थी, जिसका उपयोग कार के उपयोग के लिए स्टील का इस्तेमाल किया जाता था.

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