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दर-दर की ठोकरें खा रहे झारखंड आंदोलनकारी सनातन सोय, आज तक राज्य सरकार की पेंशन समेत अन्य सुविधाएं नहीं मिली

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सनातन सोय बताते हैं कि उन्हें अपने साथी आंदोलनकारियों से इस तरह की अपेक्षा नहीं थी. वे सोच भी नहीं सकते थे कि उन्हें उनके दरवाजे से बैरंग ही आना होगा. जिन लोगों का अलग झारखंड राज्य आंदोलन से दूर-दूर तक नाता नहीं है, वे आंदोलनकारी होने का लाभ ले रहे हैं.

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जमशेदपुर शहर के वरिष्ठ झारखंड आंदोलनकारी सनातन सोय आज अपनी पहचान के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. 65 वर्षीय सनातन सोय का नाम विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में झारखंड आंदोलनकारी के रूप में प्रकाशित हो चुका है. वहीं उसे अभी तक पेंशन समेत अन्य सुविधाएं मिलना शुरू नहीं हुआ है. सनातन सोय बताते हैं कि वे अपना नाम को सत्यापन कराने के लिए कई सांसद, विधायक व वरिष्ठ झारखंड आंदोलनकारी साथियों का दरवाजा खटखटा चुके हैं, लेकिन उन्हें हर जगह निराशा ही मिली. हर किसी ने यह कहकर सत्यापन करने से मना कर दिया कि उन्हें सत्यापन के लिए थाना में जाना चाहिए, जहां अलग झारखंड आंदोलन के दौरान उन पर मामला दर्ज हुआ था. वहीं जब वे थाना में जाते हैं, तो रिकॉर्ड नहीं है कहकर वहां से भी लौटा दिया जाता है. हालांकि वे अभी भी इस प्रयास में है कि किसी तरह से वे अपना नाम को सत्यापन करा लें, ताकि उन्हें झारखंड आंदोलनकारियों को मिल रही सुविधाएं मिले.

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जिनका आंदोलन से दूर-दूर तक रिश्ता नहीं, उन्हें मिल रहा लाभ : सनातन

सनातन सोय बताते हैं कि उन्हें अपने साथी आंदोलनकारियों से इस तरह की अपेक्षा नहीं थी. वे सोच भी नहीं सकते थे कि उन्हें उनके दरवाजे से बैरंग ही आना होगा. जिन लोगों का अलग झारखंड राज्य आंदोलन से दूर-दूर तक नाता नहीं है, वे आंदोलनकारी होने का लाभ ले रहे हैं. वहीं जिसने अलग झारखंड राज्य आंदोलन में अपना पूरा जीवन खत्म कर दिया, उसे नजरअंदाज किया जा रहा.

90 के दशक में सनातन की तूती बोलती थी

1990 के दशक में शहर में सनातन गोप की तूती बोलती थी. उसने अपने दमखम पर शहर में भुइयांडीह, सिदगोड़ा, बागुनहातु, बागबेड़ा, परसुडीह समेत अन्य जगहों पर झामुमो का कार्यालय खुलवाया. झारखंड आंदोलन के दौरान हुए हर आंदोलन में उनका महती योगदान रहता था. सनातन बताते हैं कि वे चंपई सोरेन, कृष्णा मार्डी, अल्हन मार्डी, डॉक्टर टुडू, रोड़ेया सोरेन समेत अन्य वरिष्ठ झारखंड आंदोलनकारियों के साथ उनके काफी करीबी रिश्ते रहे हैं.

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अलग झारखंड आंदोलन में सनातन सोय का अहम योगदान है. आंदोलन के दौरान सरकार ने उनके घर को जमींदोज कर दिया था. जो व्यक्ति सनातन सोय को नहीं जानता है, इसका मतलब है उन्हें अलग झारखंड राज्य आंदोलन के बारे में कुछ पता नहीं है. वरिष्ठ झारखंड आंदोलनकारी सनातन सोय को राज्य सरकार अविलंब पेंशन समेत अन्य सुविधाएं दे.

– दुलाल भुइयां, पूर्व मंत्री सह वरिष्ठ झारखंड आंदोलनकारी

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