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Jamshedpur News : वैदिक और आधुनिक शिक्षा का मंत्र सीख रहे पटमदा के कुलटांड गांव के बच्चे

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पूर्वी सिंहभूम जिले में एक गांव है, जहां के बच्चे वैदिक परंपरा के अनुसार रह रहे हैं. प्रकृति की गोद में बसे इस गांव का नाम कुलटांड है, जो पटमदा में है. इस गांव में रहने वाले बच्चे स्कूली शिक्षा के साथ-साथ वैदिक ज्ञान की पाठशाला में हर रोज पढ़ाई करते हैं.

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– मानस सत्संग समिति के संयोजक यज्ञाधीश पूज्य श्री जम्मू वाले बाबा पंचमुखी हनुमान मंदिर में रह कर बच्चों को दे रहे वैदिक ज्ञान की शिक्षा

– ग्रामीणों को नशा से दूर करने को लेकर निकालते हैं प्रभात फेरी, गांव-गांव जाकर देते हैं संदेश

Jamshedpur News (Nikhil Sinha) :

पूर्वी सिंहभूम जिले में एक गांव है, जहां के बच्चे वैदिक परंपरा के अनुसार रह रहे हैं. प्रकृति की गोद में बसे इस गांव का नाम कुलटांड है, जो पटमदा में है. इस गांव में रहने वाले बच्चे स्कूली शिक्षा के साथ-साथ वैदिक ज्ञान की पाठशाला में हर रोज पढ़ाई करते हैं. गांव में 28 परिवार निवास करते हैं. सभी परिवार के कुल 45 बच्चे कुलटांड में संचालित इस वैदिक पाठशाला में पढ़ाई करते हैं. करीब दो वर्ष पूर्व इस गांव में स्थित शिव शक्ति पंचमुखी हनुमान मंदिर में इस वैदिक पाठशाला की स्थापना की गयी थी. जिसमें बच्चे वैदिक शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा को हासिल कर रहे हैं. वेदों के साथ-साथ अंग्रेजी, गणित और सामाजिक विज्ञान की पढ़ाई कर रहे हैं. बच्चों को संस्कृत में यजुर्वेद और ऋग्वेद के श्लोक कंठस्थ कराए जा रहे हैं. वेदों की पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों में सामाजिक भावना भी जगाने का काम किया जा रहा है. वैदिक पाठशाला की कोशिश है कि यहां पढ़ने वाले बच्चे अपनी प्राचीन परंपरा और आधुनिक परंपरा दोनों को सीख सकें. आश्चर्य की बात यह है कि सभी बच्चे आदिवासी, मुंडा परिवार से हैं. घर में वे लोग संथाली बोलते हैं. लेकिन उनका संस्कृत में मंत्र उच्चारण सुनकर आप मुग्ध हो जायेंगे. गांव के बच्चे हर दिन सुबह स्कूल जाते हैं. उसके बाद शाम को शिव शक्ति पंचमुखी हनुमान मंदिर परिसर स्थित वैदिक पाठशाला में पढ़ाई करते हैं. इस संबंध में जानकारी देते हुए मानस सत्संग समिति के संयोजक यज्ञाधीश पूज्य श्री जम्मू वाले बाबा ने बताया कि गांव के बच्चे जैसे-तैसे पढ़ाई करते थे. उनका जीवन यापन भी कुछ अजीबो- गरीब था. इसके बारे में गांव के रहने वाले रामनाथ सिंह ने उनसे संपर्क किया और गांव में वैदिक पाठशाला खोल कर बच्चों को ज्ञान देने की बात कही. रामनाथ सिंह की बातों से प्रेरित होकर वह एक दिन कुलटांड गांव पहुंचे. उन्होंने गावं का भ्रमण किया. बच्चों के आचरण को देखा और फिर उसके बाद गांव के ही मंदिर में वैदिक पाठशाला खोलने की योजना बनायी. उनका एक मात्र उद्देश्य है गांव के छोटे-छोटे बच्चों में वेद और सामाजिक ज्ञान का संचार करना. शिष्टाचार और आचरण का ज्ञान देना.

संस्कृत-भोजपुरी में करते हैं भजन- आरती

वैदिक पाठशाला में पढ़ाई करने वाले बच्चे भगवान की आरती संस्कृत और भोजपुरी में भी करते हैं. उन्हें मंत्रोउच्चारण का भी ज्ञान दिया जाता है. किस मंत्र का क्या महत्व है, उसके बारे में जानकारी दी जा रही है. इसके अलावे बच्चों को बैठने, बोलने और अतिथियों का स्वागत कैसे किया जाता है उसके बारे में भी जानकारी दी जाती है. इन बच्चों को गीता- रामायण के दर्जनों श्लोग कंठस्त याद हैं.

हर रविवार को अलग-अलग गांव में बच्चे निकालते हैं प्रभातफेरी

इस पाठशाला के बच्चे हर रविवार को अलग-अलग गांव में प्रभातफेरी निकालते हैं. प्रभातफेरी के दौरान बच्चे गांव-गांव जा कर लोगों को गीता का श्लोक, भजन गाकर सुनाते हैं. वेद के बारे में जानकारी देते हैं. इस दौरान बच्चे ढ़ोल, झाल लेकर गांव के हर घर में जाते हैं. इस दौरान वे लोग दूसरे गांव के बच्चों को भी इस वैदिक पाठशाला में आकर वेद का ज्ञान लेने की अपील करते हैं.

नशा से दूर रखने का देते हैं संदेश

वैदिक पाठशाला के बच्चे गांव के लोगों को नशा से दूर रहने का संदेश देते हैं. नशा से क्या-क्या बीमारियां हो सकती है. उसके बारे में बताते हैं. हर बच्चा अपने आसपास के लोगों को नशा से दूर रखने का काम करता है. गांव के लोगों की मानें तो यहां नशा करने वाले लोगों की संख्या में कमी आयी है.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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