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झारखंड : फव्वारे और ड्रिप इरिगेशन सिस्टम ने पूर्वी सिंहभूम के किसानों का बदला अंदाज, आमदनी भी हो रही बेहतर

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पूर्वी सिंहभूम जिले के किसानों का खेती-किसानी का अंदाज बदला है. यह बदलाव टपक सिंचाई परियोजना से हुआ है. यहां के किसान फव्वारे और ड्रिप इरिगेशन के सहारे सिंचाई कर अपनी फसलों की उत्पादकता बढ़ा रहे हैं. इससे उनकी आमदनी में भी बढ़ोतरी हो रही है.

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Jharkhand News: फव्वार और ड्रिप इरिगेशन सिस्टम ने पूर्वी सिंहभूम जिले के किसानों की खेती-किसानी का अंदाज ही बदल दिया है. टपक सिंचाई परियोजना से जहां एक ओर पानी की बचत हो रही है, वहीं उपज खूब हो रहे हैं. परिणामस्वरूप, किसान आर्थिक रूप से मजबूत होने लगे हैं. किसानों को 90 फीसदी सब्सिडी पर यह सुविधा दी जाती है, जिसको आसानी से किसान लगा सकते हैं. जिला कृषि पदाधिकारी मिथलेश कालिंदी ने बताया कि खेतिहर किसानों को इस परियोजना से खूब लाभ हो रहा है.

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जबरदस्त हो रही तरबूजे के साथ लत्तेदार सब्जियों की खेती

पूर्वी सिंहभूम जिले के देवघर के रहने वाले एरिक हपादगारा तरबूज और लत्तेदार सब्जियों की खेती कर रहे हैं. करीब 2.86 हेक्टेयर में वह खेती कर रहे हैं. एरिक भी ड्रिप सिंचाई अपनाने वाले किसानों में शामिल हैं. शुरुआत में एरिक परंपरागत विधियों से खेती करते थे. उन्होंने खेत में बोरिंग कर डीजल पंप के जरिए खेतों में पानी छोड़ते थे. इसमें डीजल पर उन्हें काफी खर्च करना पड़ता था. इसमें मेहनत तो लगती ही थी, संसाधन की निगरानी की भी चिंता रहती थी. वहीं अब एरिक ने अपने खेत में ड्रिप सिंचाई को अपनाकर अंतरवर्तीय खेती कर रहे हैं. अब एरिक तरबूजे के साथ-साथ लत्तेदार सब्जियों की भी खेती कर रहे हैं.

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केला की बढ़ गयी पैदावार

केले की अच्छी उत्पादकता के लिए ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा दिया जा रहा है. अकडुचंद्र साहू घाटशिला के पाइरागुड़ी इलाके में केले की खेती करते हैं. उन्होंने भी अपने खेतों में केले की उत्पादकता को बढ़ा लिया है. श्री साहू बताते हैं कि पारंपरिक सिंचाई करने पर कम केले होते थे, लेकिन जबसे ड्रिप सिंचाई को अपनाया, तो केले की उत्पादकता में काफी बदलाव देखने को मिला. ड्रिप सिंचाई से केले की फसल में बढ़ोतरी हुई है.

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