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Elephant News: झारखंड में हाथियों का बढ़ा तांडव, पश्चिम बंगाल ने रोकने के लिए लगाया करंटवाला तार, सर्वे करने पहुंची टीम

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Elephant News: पश्चिम बंगाल ने हाथियों को रोकने के लिए करंट वाला तार लगाया है. ओडिशा और पश्चिम बंगाल से हाथियों के मूवमेंट के लिए टीम सर्वे करने पहुंची. आरसीसीएफ स्मिता पंकज ने बताया कि मानव और हाथी के बीच के संघर्ष को रोकने के लिए कोशिशें हो रही हैं. हमारा प्रयास है कि किसी तरह इसे रोका जाए.

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Elephant News: जमशेदपुर-चाकुलिया, बहरागोड़ा समेत आसपास के इलाकों में हाथियों का तांडव बढ़ता जा रहा है. इसे लेकर बड़ी परेशानियां सामने आ रही हैं. इसका बड़ा कारण बंगाल द्वारा हाथियों के मूवमेंट को रोका जाना है. बंगाल की ओर पुरुलिया के पास हाथियों के घाटशिला अनुमंडल की ओर से जाने वाले रास्ते को पहले बंगाल ने एक ट्रेंच (बड़ा गड्ढा) खोद दिया था, लेकिन अब तो बंगाल ने हद ही कर दी है. हाथियों के मूवमेंट को रोकने के लिए अब पुरुलिया की ओर बंगाल के वन विभाग ने करंट वाले तार से घेराबंदी कर दी है, ताकि हाथियों का मूवमेंट उनके इलाके में नहीं हो सके. यही वजह है कि चाकुलिया, बहरागोड़ा, घाटशिला इलाके में लगातार हाथियों द्वारा उत्पात मचाया जा रहा है, जबकि वे लोग कहीं और इलाके में भटक रहे हैं.

मौसम के बदलाव के साथ हाथी स्थान बदलते रहते हैं

वन विभाग की ओर से की गयी जांच में पाया गया है कि पहले हाथी दलमा से निकलकर बंगाल की ओर आसानी से चले जाते थे. वे लोग मौसम के बदलाव के साथ स्थान बदलते रहते हैं. यह आम विचरण के रूप में माना जाता है, लेकिन हाथियों के रास्ते को करीब 10 साल पहले ही बड़ा ट्रेंच खोदकर बंगाल सरकार ने रोक दिया. इसका प्रतिवाद झारखंड सरकार ने किया था. झारखंड सरकार की पहल पर बंगाल के साथ एक मीटिंग भी हुई थी, लेकिन वह ट्रेंच खोदा रखा गया.

की गयी है इलेक्ट्रिक फेंसिंग

अब हाथियों ने जब रास्ता बदल लिया और बंगाल की ओर दूसरी तरफ से इंट्री करने लगे, तो एक बार फिर से वहां इलेक्ट्रिक फेंसिंग कर दिया गया है. यही वजह है कि हाथी अब दूसरी तरफ से इंट्री करने लगे हैं और आबादी वाले एरिया में जा रहे हैं, इससे मानव के साथ उनका टकराव बढ़ गया है. अपने प्राकृतिक गलियारे (एलिफेंट कोरिडोर) से छेड़छाड़ के कारण जंगली हाथियों का गुस्सा किसानों पर उतरता है. खासकर धान की उपज होते ही हाथियों के झुंड की दस्तक से किसानों की रात की नींद गायब हो जाती है. रात भर जागकर वे मेहनत से उपजाई धान की फसल की पहरेदारी करते हैं, फिर भी वे इसकी रक्षा नहीं कर पाते. कोरिडोर में ट्रेंच काटना एक बात हुई, अगर किसी दूसरे रास्ते से हाथी झारखंड से बंगाल चला जाये, तो बिजली का करंट दौड़ा दिया गया है. अगर फिर भी रास्ता बदलकर हाथी जाते हैं, तो मेदिनीपुर वन रेंज के कर्मचारी अपने इलाके से हाथियों को तत्काल खदेड़ कर झारखंड पहुंचा देते हैं. बंगाल से सटे झारखंड का घाटशिला हाथियों का प्राकृतिक वन आश्रयणी (सेंचुरी) है, जो दलमा एलिफेंट कोरिडोर से जुड़ा है. हाथियों का झुंड किसानों के खेतों में यहां अक्सर आतंक मचाता है. बंगाल के ट्रेंच काटने और इलेक्ट्रिक फेंसिंग के बाद से हाथियों की बौखलाहट बढ़ी है.

हाथियों के गुस्सैल रवैये और मानव-हाथी टकराव का हो रहा सर्वे

हाथियों के गुस्सैल रवैये और मानव हाथी के बीच के टकराव के अध्ययन का सिलसिला जारी है. एक टीम ने सर्वे की है. दूसरी टीम भी आने वाली है. टाटा मोटर्स भी एक स्वयंसेवी संस्था के साथ मिलकर हाथी और मानव संघर्ष को रोकने के लिए वृहद प्लान तैयार कर रही है. हाथियों के कॉरिडोर और उनके नये मूवमेंट और बदलावों पर विस्तार से काम करने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम हो रह है.

आरसीसीएफ और डीएफओ ने की बैठक

दलमा और जमशेदपुर के डीएफओ सबा आलम अंसारी के साथ आरसीसीएफ स्मिता पंकज ने बैठक की. उन्होंने चाकुलिया समेत आसपास के इलाके में होने वाले टकराव और हाथियों के उत्पात की जानकारी ली. इस दौरान उन्होंने मौजूदा समस्या को कैसे दूर किया जाना है, उस पर भी बातचीत की है.

मानव और हाथी के संघर्ष को रोकने के लिए प्रयास जारी : आरसीसीएफ

आरसीसीएफ स्मिता पंकज ने बताया कि मानव और हाथी के बीच के संघर्ष को रोकने के लिए कोशिशें हो रही हैं. हम लोग यह प्रयास कर रहे हैं कि किसी भी तरह इसको रोका जाए. इसके लिए रणनीति बनायी जा रही है. बंगाल सरकार के साथ पत्राचार हुआ है और अगर इलेक्ट्रिक फेंसिंग है तो उस समस्या से कैसे निजात पाना है, इसके लिए वरीय अधिकारियों के साथ रायशुमारी की जा रही है.

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