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बोलतीं डिजाइनें

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जुबिली पार्क में अग्नि का स्ट्रक्चर लगाया गया है. पूरी संरचना को धरती माता से उठती और आसमान तक पहुंचने वाली लौ के रूप में व्यक्त किया गया है.

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जमशेदपुर. विश्व डिजाइन दिवस हर साल 27 अप्रैल को मनाया जाता है. यह दिन इस बात को दर्शाता है कि डिजाइन हमारी दुनिया को कैसे बदल सकती है. डिजाइन का हमारे दैनिक जीवन पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है, जितना हम समझते हैं उससे कहीं अधिक. डिजाइन सोचने का एक तरीका भी है, जो समस्याओं का समाधान करता है और जीवन को बेहतर बनाता है. ऐसे ही डिजाइनरों ने टाटा स्टील की ओर से आयोजित प्रतियोगिता के आधार पर चयनित डिजाइनों के माध्यम से स्ट्रक्चर तैयार किया है. ये स्ट्रक्चर अपने आपमें कई कहानियां कहते हैं. डिजाइनरों ने जमशेदपुर के साथ झारखंड की राजधानी रांची, ओडिशा, मुंबई समेत देश के कई हिस्सों में टाटा स्ट्रक्चरा की डिजाइन को मूर्त रूप दिया है, जिसे देख लोग राेमांचित हो उठते हैं.

नवाचार को जन्म देती है डिजाइन

किसी भी तरह की डिजाइन नवाचार को जन्म देती है और सुंदरता पैदा करती है. विश्व डिजाइन दिवस हमें डिजाइनरों के असाधारण कार्यों की सराहना करने का अवसर देता है. ये वे लोग हैं, जो हमारे आसपास की दुनिया को आकार देते हैं. यह दिन हमें डिजाइन की शक्ति के बारे में सोचने और यह विचार करने का भी अवसर देता है कि हम इसका इस्तेमाल दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए कैसे कर सकते हैं. जुबिली पार्क में अग्नि का स्ट्रक्चर लगाया गया है. पूरी संरचना को धरती माता से उठती और आसमान तक पहुंचने वाली लौ के रूप में व्यक्त किया गया है. आग (अग्नि) भारतीय संस्कृति में कई चीजों का प्रतीक है. पवित्रता, आध्यात्मिकता, ज्ञान और प्रबुद्धता, ये सभी सत्य के मार्ग की ओर ले जाते हैं. अग्नि इरादे का प्रतीक है और अवचेतन मन (परम अहंकार) के उच्च तरंगों का प्रतिनिधित्व करता है, वह हिस्सा जो हमें फलते – फूलते देखना चाहता है और अहंकार को बताता है कि हमें विकसित होने के लिए क्या करना चाहिए. शाश्वत ज्वाला की अवधारणा कालातीत है और विभिन्न पीढ़ियों को आसानी से पार कर सकती है. यह प्रारूप तीन आर्किमिडीयन स्पाइरल से प्रेरित है, जो त्रिभुज के तीन कोनों से अलग-अलग संख्या में क्रांतियों और उतार-चढ़ाव से गुजरते हैं तथा अंत में शीर्ष पर मिलते हैं. प्रारूप को नजरों को ऊपर ले जाने के लिए इस अनुपात में बांटा गया है, जैसे कि कोई मूर्तिकला दिखती है. संरचना को दो भागों में बांटा गया है, जमीन के नीचे की संरचना (नींव) और सुपरस्ट्रक्चर (मूर्तिकला). संरचना को टाटा स्ट्रक्चरा 355 स्टील ट्यूब्स के साथ बनाया गया है. स्टील और उसकी उपयोगिता की विशिष्टता का जश्न मनाने के लिए, टाटा स्टील ने स्टील स्ट्रक्चरल हॉलो सेक्शन का उपयोग करके अपनी रचनात्मकता दिखाने के लिए दुनिया भर के वास्तुकारों को एक साथ लाने के लिए एक वैश्विक डिजाइन प्रतियोगिता नोशन्स ऑफ इंडिया की संकल्पना की. 2021 में आयोजित इस प्रतियोगिता के दूसरे संस्करण में अग्नि विजेता प्रविष्टियों में से एक थी, जिसमें 13 देशों के प्रतिभागियों से 5,200 से अधिक पंजीकरण प्राप्त हुए थे. अग्नि को दिल्ली के आर्किटेक्चर की टीम एक्सियोम डिजाइन के अमित शर्मा की ओर से तैयार किया गया है.

रांची में अंगूठे के निशान स्ट्रक्चर में लगा है टाटा स्टील का पाइप

झारखंड की राजधानी रांची में अंगूठे के निशान बिलियन इंप्रेशन की स्थापना की गयी है. रांची के बिरसा मुंडा कारा के सामने इसकी स्थापना की गयी है, जिसका उद्घाटन जल्द होगा. इससे शहर की एक पहचान हो जायेगी. इसको प्रसिद्ध आर्किटेक्ट नामदेव तालुरू और जया नीला ने तैयार किया है. यह भी नोशंस ऑफ इंडिया में सामने आया था, जिसमें पाइप टाटा स्टील का इस्तेमाल किया गया है. यह भी राजधानी रांची की नयी पहचान बनेगी.

ओडिशा में बनाये गये रथ की सामग्री तैयार हुई टीजीएस में

गम्हरिया स्थित टाटा स्टील ग्रोथ शॉप में तैयार टाटा स्ट्रक्चरा के माध्यम से ओडिशा के बिजू पटनायक पार्क भुवनेश्वर में रथ का चक्र लगाया गया है. यह अनोखा चक्र है, जिसमें 13.5 टन का टाटा स्ट्रक्चरा स्टील लगाया गया है. यह होलो स्टील है, जिसको अलग तरीके से तैयार कराया गया है. इसको भी देश के प्रसिद्ध आर्किटेक्ट नुरू करीम ने ही तैयार किया है.

मुंबई में टाटा का तैयार स्ट्रक्चर बना पहचान

मुंबई के क्राॅस मैदान में महात्मा गांधी के चरखा को लगाया गया है. महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए इसको तैयार किया गया है. यह डिजाइन अनोखा है, जिसको नुरू करीम ने तैयार किया है. टाटा स्टील के जमशेदपुर के ट्यूब डिवीजन में तैयार टटा स्ट्रक्चरा से इसको तैयार किया गया है, जो आकर्षण का केंद्र बन चुका है.

डायमंड आकृति बनी दोराबजी पार्क का आकर्षण

जमशेदपुर के दोराबजी टाटा पार्क में लगा डायमंड का स्ट्रक्चर दुनिया में दोराबजी टाटा और उनकी पत्नी मेहरबाई टाटा के प्रेम और समर्पण को दर्शाता है. वर्ष 1924 में जब सर दोराबजी टाटा के पास कंपनी विस्तार और कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं थे, तब दुनिया के चुनिंदा जुबिली डायमंड को गिरवी रखकर मेहरबाई टाटा ने कंपनी को बचाया था और मजदूरों को वेतन दिया था. उसकी याद में इसको तैयार किया गया है. इसको विश्वप्रसिद्ध आर्किटेक्ट नुरू करीम ने तैयार किया है, जो आज एक पहचान बन चुकी है.

टाटा स्टील के बिष्टुपुर गेट पर

लगा है डिजाइन द्वार

बिष्टुपुर थाना के पास स्थित टाटा स्टील के आइटीएस गेट पर डिजाइनर एस्केप के देबाशीष डे की ओर से तैयार होलो स्टील का स्ट्रक्चर तैयार किया गया है. इसके तहत कंपनी के गेट को आकर्षक बनाया गया है. यह एक नया ब्रांड बनकर तैयार हुआ है, जो गेट को आकर्षक बनाया है. इसकी डिजाइनिंग भी काफी लंबे समय के बाद की गयी है, जो टाटा स्टील की सुरक्षा और दृढ़ता को दर्शाता है.

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