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CSIR-NML जमशेदपुर की 75वीं वर्षगांठ आज, मैग्नीशियम उत्पादन से विश्व में बढ़ेगी देश की धाक

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एनएमएल जमशेदपुर की आज 75वीं वर्षगांठ है. इस संस्थान ने देश को गौरवान्वित किया है. यहां से मैग्नीशियम का उत्पादन शुरू होगा. इसका इस्तेमाल रॉकेट और एटॉमिक एनर्जी में होगा. टेक्नोलॉजी तैयार करने में डायरेक्टर डॉ संदीप घोष चौधरी और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ कृष्णा कुमार की अहम भूमिका है.

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जमशेदपुर, संदीप सावर्ण: नेशनल मेटलर्जिकल लेबोरेटरी (एनएमएल) जमशेदपुर की आज 75वीं वर्षगांठ है. इसने अपनी रिसर्च से विश्व में अलग पहचान बनायी है और देश को गौरवान्वित किया है. देश के विकास में इसका अहम योगदान रहा है. इसने विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक और अहम अनुसंधान (रिसर्च) किया है. यह रिसर्च भारत को स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विश्व के अग्रणी देशों में स्थापित कर देगी. यह संस्थान अब मैग्नीशियम का उत्पादन शुरू करेगा. इसके लिए संस्थान पायलट प्लांट शुरू कर रहा है. विश्व में अभी मैग्नीशियम के उत्पादन में चीन का एकाधिकार है. इस प्रोजेक्ट से विश्व में भारत की धाक बढ़ेगी. यह प्लांट मैग्नीशियम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा. आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया और विकसित भारत को लेकर सरकार की पहल में मददगार बनेगा.

रोजाना 120 से 200 किलोग्राम मैग्नीशियम होगा तैयार


सीएसआईआर-एनएमएल के इस प्लांट में रोजाना 120 से 200 किलोग्राम मैग्नीशियम तैयार होगा. इसकी क्वालिटी इतनी बेहतर होगी कि इसका इस्तेमाल भारतीय सेना के साथ रॉकेट तैयार करने, न्यूक्लियर एनर्जी और स्पेस टेक्नोलॉजी में हो सकेगा. लैब टेस्ट में सफलता मिलने के बाद इस प्लांट को स्थापित किया जा रहा है. इस टेक्नोलॉजी को तैयार करने में सीएसआईआर-एनएमएल के डायरेक्टर डॉ संदीप घोष चौधरी के साथ वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ कृष्णा कुमार की अहम भूमिका है. इसका इस्तेमाल हवाई जहाज के पुर्जे, भारतीय सेना के हथियार, रॉकेट, मिसाइल, न्यूक्लियर एनर्जी, स्पेस टेक्नोलॉजी, मोबाइल, लैपटॉप तैयार करने के साथ ही कई अन्य जरूरत की चीजों में किया जा सकता है. यह प्लांट सीएसआईआर स्पेशल प्रोजेक्ट स्कीम के तहत शुरू किया जा रहा है.

दुनिया में चीन के वर्चस्व को तोड़ेगा भारत


भारत में सालाना 55 हजार मीट्रिक टन मैग्नीशियम की जरूरत है. वर्ष 2023 में भारत ने इसे चीन से आयात किया था. इसके एवज में भारत को कुल 88.18 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च करना पड़ा था. मैग्नीशियम के मामले में ना सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया की निर्भरता चीन पर है. रूस और दक्षिण अफ्रीका के बाद तीसरे स्थान पर भारत में इसका उत्पादन भले ही होता है, लेकिन वह उच्च शुद्धता वाला नहीं होता है. यह देश की जरूरत के मुकाबले नगण्य है. सीएसआईआर-एनएमएल द्वारा मैग्नीशियम के उत्पादन से भारत कम लागत पर ही उच्च गुणवत्ता वाले मैग्नीशियम का ना सिर्फ उत्पादन करेगा, बल्कि इस टेक्नोलॉजी को दूसरी कंपनियों को देकर बड़े पैमाने पर मैग्नीशियम का उत्पादन करने में मदद करेगा. इससे भारत इस दिशा में आत्मनिर्भर बन सकता है. इससे देश के राजस्व में वृद्धि होगी.

वर्ष 1972 से 1986 तक एनएमएल में होता था उत्पादन


70 के दशक में भारत एटॉमिक एनर्जी, रॉकेट एवं सैन्य संसाधनों की कमी से जूझ रहा था. उस दौर में देश को इस क्षेत्र में मजबूत बनाने के लिए सीएसआईआर-एनएमएल ने भारत सरकार के निर्देश पर मैग्नीशियम तैयार करने की तकनीक का विकास किया था. उस वक्त एनएमएल में मैग्नीशियम का उत्पादन हुआ था, लेकिन बाद में किसी कारण से इसे बंद कर दिया गया.

ऐसे तैयार किया जायेगा उच्च गुणवत्तावाला मैग्नीशियम


सीएसआईआर-एनएमएल के प्लांट में सबसे पहले डोलोमाइट को क्रश किया जायेगा. इसके बाद 1100 डिग्री सेंटीग्रेड पर उसे हीट किया जायेगा. फिर प्रोसेस कर क्रूड मैग्नीशियम तैयार किया जायेगा. इस क्रूड मैग्नीशियम से प्योर मैग्नीशियम को अलग कर हाई प्योरिटीवाला मैग्नीशियम तैयार किया जायेगा. एनएमएल द्वारा तैयार की गयी टेक्नोलॉजी से रॉ मैटेरियल से लेकर प्रोडक्शन तक के सभी कार्य किए जाएंगे. यह प्रोजेक्ट 120 किलोग्राम के पैमाने पर कैलक्लाइंड डोलोमाइट के रिटॉर्ट आधारित वैक्यूम रिडक्शन और 10 किलोग्राम प्रति घंटे के पैमाने पर नवीन वैक्यूम आसवन तकनीक के माध्यम से शोधन पर आधारित होगा.

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