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Jamshedpur News : आदिवासी को हिंदू बताने वाले प्रमोद पेठकर अनर्गल बयानबाजी से बाज आये, अन्यथा कोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे: बैजू मुर्मू

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देश परगना बैजू मुर्मू ने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति पूजक हैं. आदिकाल से ही प्रकृति के सानिध्य में रहकर अपना जीवन गुजर कर रहे हैं. आदिवासी समाज हर परिस्थिति में हंसी-खुशी के साथ रहते हैं. लेकिन जहां तक धार्मिक आस्था की बात है तो वे सिर्फ प्रकृति धर्म- सरना धर्म को ही मानते हैं. आदिवासी समाज को वैसे गैर आदिवासी संगठन से तकलीफ है जो बार-बार आदिवासियों के धर्म पर टिका-टिप्पणी करते हैं.

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Jamshedpur News : नरवापहाड़ मुर्मू फॉर्म हाउस में माझी परगना महाल धाड़ दिशोम देश परगना बाबा बैजू मुर्मू की अध्यक्षता में एक बैठक हुई. बैठक में आदिवासी समुदाय के सर्वांगीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति, रोजगार, पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था तथा पारंपरिक ग्राम सभा को मजबूत करने आदि विषय पर चर्चा किया गया. इस दौरान आरएसएस के सहयोग संगठन वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय प्रचार एवं मीडिया संचार प्रमुख प्रमोद पेठकर के उस बयान की निंदा की गयी जिसमें उसने “सभीजनजातीयों को हिंदू हैं, सरना धर्म से जोड़कर सनातन और सरना में विभाजन की कोशिश” वाली बात कही है. देश परगना बैजू मुर्मू ने कहा कि आरएसएस और हिंदू परिषद के नेता आदिवासियों को हिंदू बताने की अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं. जो बिलकुल ही उचित नहीं है. आदिवासी समाज प्रकृति पूजक हैं. समाज में मूर्ति पूजा की परंपरा बिलकुल नहीं है. आदिवासी समाज अपना आदिकाल से धर्म सरना को मानते आ रहे हैं. 25 करोड आदिवासी इसकी संवैधानिक पहचान के लिए लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं. ऐसे में आरएसएस और हिंदू परिषद के नेताओं को आदिवासियों के धार्मिक मामले में टिका-टिप्पणी करने बाज आना चाहिए, अन्यथा आदिवासी समाज ऐसे नेताओं को अपने तरीके से सबक सिखाना भी जानता है.

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आदिवासियों को गुमराह करना बंद करें, सख्त कदम उठायेंगे

परगना बाबा ने कहा कि आदिवासी कल्याण आश्रम जैसे कई संगठन बनाकर भोले भाले आदिवासियों को गुमराह करना बंद करें, अन्यथा आदिवासी समाज कानूनी कार्रवाई करने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को मजबूर होगा. हम न हिंदू हैं, न मुस्लिम हैं, न सिख हैं व न ईसाई हैं. आदिवासी सिर्फ सरना धर्मावलंबी हैं. आदिवासी को शांतिपूर्वक आदिवासी बनकर रहने दिया जाये. आदिवासियों के धर्म के साथ छेड़छाड़ बिलकुल बरदाश्त नहीं किया जायेगा.

आदिवासियों की आस्था व विश्वास के हो रहा खिलवाड़

देश परगना बैजू मुर्मू ने कहा कि आदिवासियों का खानपान सबसे अलग है. मांस व मछली आदि का सेवन करते हैं. आदिकाल से इनकी बलि प्रथा है. करीब-करीब हर धार्मिक, सामाजिक व पारंपरिक अनुष्ठान में बलि की परंपरा है. आरएसएस के सहयोग संगठन वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय प्रचार एवं मीडिया संचार प्रमुख प्रमोद पेठकर को इन सब चीजों की जानकारी नहीं है तो उसे सच को जानने के लिए हर क्षेत्र के आदिवासी गांव में घुमाया जायेगा. ताकि वे हिंदू और आदिवासी के बीच की फर्क को समझ सके. बेवजह आदिवासी को हिंदू बताना, समाज की आस्था व विश्वास के खिलवाड़ करने का प्रयास हो रहा है.

परगना बाबा ने कहा कि कोई भी कुछ करेगा और आदिवासी कुछ भी नहीं करेंगे, वे चुपचाप उनकी बातों को सुनते रहेंगे. इस तरह की सोच से प्रमोद पेठकर को बाहर आना चाहिए. आदिवासी समुदाय अपने अस्तित्व व पहचान पर प्रहार करने वाले को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं. इसके लिए समाज सख्त कदम उठा भी सकता है. इसलिए प्रमोद पेठकर को अनर्गल बयानबाजी से दूर बनाकर रखना चाहिए.

आदिवासी प्रकृति पूजक, मूर्ति पूजा की परंपरा नहीं

देश परगना बैजू मुर्मू ने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति पूजक हैं. आदिकाल से ही प्रकृति के सानिध्य में रहकर अपना जीवन गुजर कर रहे हैं. आदिवासी समाज हर परिस्थिति में हंसी-खुशी के साथ रहते हैं. लेकिन जहां तक धार्मिक आस्था की बात है तो वे सिर्फ प्रकृति धर्म- सरना धर्म को ही मानते हैं. आदिवासी समाज को वैसे गैर आदिवासी संगठन से तकलीफ है जो बार-बार आदिवासियों के धर्म पर टिका-टिप्पणी करते हैं. वैसे संगठनों को सलाह है कि वे केवल अपने बारे में सोचे तो अच्छा होगा. आदिवासी समाज जहां हैं, जैसे भी हैं-बिलकुल खुश हैं. आदिवासी समाज को किसी दूसरे समाज से कोई गिला-शिकवा बिलकुल नहीं है. लेकिन कोई हमारे धर्म, पर्व-त्योहार, खानपान, रहन-सहन आदि पर टिका-टिप्पणी करे, यह बिलकुल ही बरदाश्त नहीं होगा.

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