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इचाक में कोल्ड स्टोरज नहीं, किसानों को होती है परेशानी

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इचाक प्रखंड किसान बहुल्य प्रखंड है. 80 प्रतिशत लोग कृषि पर आश्रित हैं. धनिया और आलू के उत्पादन में इचाक के किसान झारखंड में अव्वल हैं.

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किसानों को सब्जियों व अन्य सामान रखने के लिए नहीं मिलती है जगह

सामान को खराब होने से बचाने के लिए औने-पौने दाम में बेचते हैं किसान

इचाक.

इचाक प्रखंड किसान बहुल्य प्रखंड है. 80 प्रतिशत लोग कृषि पर आश्रित हैं. धनिया और आलू के उत्पादन में इचाक के किसान झारखंड में अव्वल हैं. इचाक के किसानों द्वारा उत्पादित धनिया भारत के महानगरों के अलावा विदेशों के होटलों में भी अपनी खुशबू बिखेरती है. लेकिन किसानों की फसल के लिए आज तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने प्रखंड में कोल्ड स्टोरेज बनवाने की बात नहीं सोची. किसान बड़ी मशक्कत कर प्रत्येक वर्ष भारी मात्रा में आलू, धनिया पत्ता, सिमला मिर्च, टमाटर, बैगन समेत अन्य साग सब्जी का उत्पादन करते हैं. कोल्ड स्टोरेज नहीं होने के कारण जल्दबाजी में किसानो को अपने उत्पादित साग सब्जी व फसल को औने-पौने दाम में बेचना पड़ता है. इस कारण किसानों को इस खेती से अच्छी कमाई नहीं हो पाती है. नतीजतन किसानों के चेहरे में मायूसी देखी जाती है. इचाक प्रखंड के किसानों का कहना है कि बरकट्ठा विधानसभा क्षेत्र कृषि के क्षेत्र में है अव्वल होने के बाद भी यहां के जनप्रतिनिधि किसानों के प्रति चिंता नहीं करते. औने पौने दाम के फसलों को बेच देने से किसानों को पूंजी व मेहनत की तुलना में आमदनी अच्छी नहीं हो पाती है. राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने वर्ष 2022 में घोषणा किए थे कि इचाक में जल्द ही कोल्ड स्टोरेज बनेगा. लेकिन अभी तक कोल्ड स्टोरेज नहीं बना, न ही इसके लिए आज तक किसी नेता या जनप्रतिनिधि ने पहल की.

क्या कहते हैं किसान :

इचाक ग्रीन एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के ब्रांड एम्बेसडर अशोक कुमार मेहता ने कहा कि इचाक प्रखंड में कोल्ड स्टोरेज नहीं रहने से यहां के किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. अच्छी उपज के बाबजूद कच्चा साग सब्जी का रख रखाव नहीं होने के कारण बर्बाद होने के भय से किसान औने पौने दाम पर जल्दबाजी में व्यापारियों के हाथ बेच देते हैं. प्रगतिशील किसान प्रेमनाथ कुमार ने कहा कि इचाक प्रखंड में किसानों के लिए कोल्ड स्टोरेज जरूरी है. आलू, धनिया, टमाटर समेत अन्य प्रकार की सब्जी, जरबेरा फूल का उत्पादन करने के बाद रखरखाव के साधन नहीं होने से जल्दबाजी में किसानों को बेचना पड़ता है. इससे लागत की तुलना में मुनाफा अच्छा नहीं हो पाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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