26.4 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 03:34 pm
26.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

गुमला के तबेला गांव में नक्सलियों का आना-जाना हुआ बंद, तो अब ग्रामीण चाहते हैं विकास

Advertisement

Jharkhand News (गुमला) : नक्सलियों के डर से कई युवक दूसरे राज्य पलायन किये थे. लेकिन, हाल के दिनों में नक्सलियों की आवाजाही कम हुई, तो युवक अब अपने गांव वापस लौटने लगे हैं. पहले कुछ युवकों ने तो अपनी शादी तक टाल दी थी. लेकिन, नक्सली दहशत कम हुआ, तो एक युवक मुंबई से अपने गांव वापस लौट आया है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Jharkhand News (दुर्जय पासवान, गुमला) : नक्सलियों के डर से गांव के कई युवक दूसरे राज्य पलायन कर गये थे. लेकिन, हाल के दिनों में नक्सलियों की आवाजाही कम हुई, तो पलायन किये युवक अब अपने गांव वापस लौटने लगे हैं. नक्सली के डर से कुछ युवकों ने तो अपनी शादी तक टाल दी थी. लेकिन, नक्सली दहशत कम हुआ, तो एक युवक मुंबई से अपने गांव वापस लौट आया है और शादी करने जा रहा है. हम बात कर रहे हैं गुमला जिला अंतर्गत चैनपुर प्रखंड के बारडीह पंचायत स्थित तबेला गांव का.

- Advertisement -

तबेला गांव गुमला शहर से करीब 85 किमी दूर है. एक समय था. इस गांव के स्कूल के बरामदे में नक्सली बैठे रहते थे. रात को भी स्कूल के बरामदे में ही सोते थे, लेकिन लगातार पुलिस की दबिश के बाद तबेला गांव में नक्सलियों का आना-जाना बंद हो गया है. 10 साल पहले इस गांव के एक नाबालिग लड़के को नक्सली उठाकर ले गये थे. लेकिन, वो लड़का दस्ते से भागकर अपने गांव आया और दूसरे राज्य पलायन कर गया था. अब वह लड़का बालिग हो गया है और दूसरे राज्य में ही मजदूरी करता है.

ग्रामीण कहते हैं कि आजादी के 7 दशक हो गये, लेकिन गांव का समुचित विकास नहीं हो सका है. पहले प्रशासन नक्सल का बहाना बनाकर गांव का विकास करने से कतराता था. लेकिन, अब तो नक्सली नहीं आते. ग्रामीणों ने प्रशासन से गुहार लगाया है. हमारे गांव में बिजली, सड़क, पक्का घर, गरीबों को राशन, स्वास्थ्य सुविधा की व्यवस्था करे.

Also Read: गुमला में पत्नी ने बंध्याकरण करायी, तो पति ने घर घुसने पर लगाया रोक, सहिया को भी धमकाया
तबेला से पंचायत का दर्जा छिन लिया गया

तबेला, लोटाकोना, बरखोर गांव है. घर 70 है. आबादी करीब 500 है. पहले तबेला पंचायत हुआ करता था, लेकिन नक्सल इलाका होने व गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं होने के कारण तबेला से पंचायत का दर्जा छीनते हुए मौजा बना दिया गया. जबकि बगल गांव बारडीह को पंचायत का दर्जा मिल गया. यही वजह है कि तबेला गांव का विकास रूक गया.

गांव में बिजली पोल व तार लगा है, लेकिन बिजली नहीं जली है. आज भी लोग ढिबरी युग में जी रहे हैं. किसी को पीएम आवास नहीं मिला है. ग्रामीण बरसात से बचने के लिए कच्ची मिट्टी के घर में प्लास्टिक बांधकर रहते हैं. 15 साल पहले गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र बना था. आज वो बिना उपयोग के खंडहर हो गया. अस्पताल भवन बनाने में 25 लाख खर्च हुआ था. यह पैसा बर्बाद हो गया. गांव तक जाने के लिए एक साल पहले एक किमी पक्की सड़क बनी थी. परंतु सड़क अब उखड़ने लगी है. जबकि गांव के अंदर कहीं पक्की सड़क नहीं है.

आवेदन के बाद भी पेंशन नहीं

गांव के वृद्ध गोस्नर बरवा को वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिलता है. जबकि वह विकलांग भी है. लाठी के सहारे वह कहीं आता जाता है. ट्राईसाइकिल भी नहीं मिली है. गोस्नर ने कहा कि पेंशन के लिए कई बार आवेदन दिया. लेकिन, अधिकारियों ने फरियाद नहीं सुनी. गांव के वृद्ध मनरखन लोहरा ने कहा कि तबेला से होकर एक रास्ता उरू गांव जाता है. जहां छोटी नदी में पुलिया नहीं है. अक्सर मवेशी भोजन की तलाश में चरते हुए उरू गांव के जंगल में चले जाते हैं. पुलिया नहीं रहने के कारण आने-जाने में परेशानी होती है.

Also Read: गुमला में डायन बिसाही के शक में तीन वृद्धों को पीटा बेहोश हुए तो मरा समझ छोड़ कर भाग गये
स्कूल भवन बना, लेकिन उपयोग नहीं

गांव के सोहन लोहरा व प्रभात केरकेटटा ने कहा कि गांव में हाई स्कूल तक की पढ़ाई होती है. यहां अनगिनत स्कूल भवन बनाकर छोड़ दिया गया. स्कूल भवन नया बनने के बाद जर्जर हो जा रहा है. एक दिन भी भवन का उपयोग नहीं हुआ और लाखों रुपये बर्बाद हो गया. ग्रामीणों के अनुसार, करीब दो करोड़ रुपये का स्कूल भवन बनना था, लेकिन अधूरा काम करके ठेकेदार भाग गया.

ग्रामीण प्रेम सागर केरकेटटा ने कहा कि वर्ष 2006-2007 में गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र बना था. लेकिन, इस अस्पताल में एक दिन भी स्वास्थ्यकर्मी नहीं बैठा. नया भवन देखते-देखते खंडहर हो गया. जनता के पैसा से बने भवन का उपयोग नहीं हुआ. वहीं, मेंजस तिग्गा ने कहा कि पहले तबेला गांव को पंचायत का दर्जा था. लेकिन, राजनीति दांव-पेंच व अधिकारियों की लापरवाही से तबेला से पंचायत का दर्जा छिनकर बारडीह को पंचायत बना दिया गया. जिससे गांव विकास से दूर हो गया.

Posted By : Samir Ranjan.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें