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Teachers Day 2020 : लॉकडाउन में 3 शिक्षकों ने गांव- गांव घूम कर बच्चों को पढ़ाया, पेड़ के नीचे लगायी पाठशाला

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Teachers Day 2020 : लॉकडाउन (Lockdown) में स्कूल बंद (School closed) है. कोरोना संक्रमण (Coronavirus infection) के कारण बच्चे घर पर हैं. इससे बच्चों की पढ़ाई बाधित है. इस संकट से निकलने और बच्चों की पढ़ाई चालू रहे. इसके लिए गुमला के कुछ शिक्षकों ने अलग तरह का प्रयोग कर न सिर्फ बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखे, बल्कि उन्हें कई प्रकार की शैक्षणिक गतिविधि में भी शामिल कर मिशाल पेश की है. शिक्षकों ने बच्चों को ऑनलाइन (Online) के अलावा ऑफलाइन (Offline) पढ़ाया. पेड़ के नीचे कक्षा चली. दरी में बैठकर शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाया. किताबी ज्ञान के अलावा कई ज्ञानवर्धक शिक्षा भी दी. इन्हीं शिक्षकों में रायडीह प्रखंड के नवीन चंद्र झा, नीलेश कुमार मिश्रा एवं कोमता प्रसाद हैं. इन तीनों शिक्षकों ने अपने स्कूल के अंतर्गत आने वाले गांव के बच्चों को पूरे लॉकडाउन में शिक्षा सूत्र से बांधे रखे.

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Teachers Day 2020 : गुमला (दुर्जय पासवान) : लॉकडाउन (Lockdown) में स्कूल बंद (School closed) है. कोरोना संक्रमण (Coronavirus infection) के कारण बच्चे घर पर हैं. इससे बच्चों की पढ़ाई बाधित है. इस संकट से निकलने और बच्चों की पढ़ाई चालू रहे. इसके लिए गुमला के कुछ शिक्षकों ने अलग तरह का प्रयोग कर न सिर्फ बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखे, बल्कि उन्हें कई प्रकार की शैक्षणिक गतिविधि में भी शामिल कर मिशाल पेश की है. शिक्षकों ने बच्चों को ऑनलाइन (Online) के अलावा ऑफलाइन (Offline) पढ़ाया. पेड़ के नीचे कक्षा चली. दरी में बैठकर शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाया. किताबी ज्ञान के अलावा कई ज्ञानवर्धक शिक्षा भी दी. इन्हीं शिक्षकों में रायडीह प्रखंड के नवीन चंद्र झा, नीलेश कुमार मिश्रा एवं कोमता प्रसाद हैं. इन तीनों शिक्षकों ने अपने स्कूल के अंतर्गत आने वाले गांव के बच्चों को पूरे लॉकडाउन में शिक्षा सूत्र से बांधे रखे.

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शिक्षक नवीन झा का प्रयोग पूरे राज्य ने अपनाया

रायडीह प्रखंड के राजकीयकृत मध्य विद्यालय कांसीर के प्रधान शिक्षक नवीन चंद्र झा (Naveen Chandra Jha) ने अपने स्कूल से लॉकडाउन अवधि में बच्चों को पढ़ाने के अलग तरीके अपनाये. इस तरीके को पूरे राज्य ने अपनाया. शिक्षक श्री झा ने न सिर्फ ऑनलाइन, बल्कि ऑफलाइन शिक्षण तकनीक का प्रयोग करते हुए बच्चों को पढ़ाये. ऑनलाइन प्रयास के अंतर्गत उन्होंने डीजी साथ कार्यक्रम के तहत विद्यालय के नामांकित बच्चों का एक व्हाट्सअप ग्रुप (Whatsapp group) बनाया. जिसमें विद्यालय के 40 बच्चे जुड़े हुए हैं. बच्चों को साप्ताहिक क्विज (Quiz) में भाग लेने के लिए प्रेरित किये. अब तक कांसीर स्कूल के 120 से अधिक बच्चे क्विज में सफलता के परचम लहरा चुके हैं.

वर्चुअल क्विज समेत अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन

इसके अलावा शिक्षक श्री झा द्वारा विद्यालय में ऑनलाइन नामांकन (Online Admission) की प्रक्रिया प्रारंभ की गयी. इस माध्यम से अब तक 20 बच्चों का नामांकन विद्यालय में हो चुका है. किताबी ज्ञान के अलावा शिक्षक श्री झा ने बच्चों को कविता (Poetry), देशभक्ति गान (patriotic anthem), और कहानी सुनाओ प्रतियोगिता (tell story competition) का आयोजन सफलतापूर्वक किये. संपूर्ण लॉकडाउन की अविध में गूगल लिंक (Google link) के माध्यम से प्रखंड स्तरीय (Block level), जिला स्तरीय (District level) तथा राज्य स्तरीय (State level) ऑनलाइन तथा वर्चुअल क्विज प्रतियोगिता (Virtual quiz contest) का आयोजन किया गया.

Also Read: झारखंड हाइकोर्ट ने हेमंत सोरेन सरकार से पूछा, अच्छे डॉक्टर व मेडिकल स्टाफ के बावजूद रिम्स की स्थिति बदतर क्यों कांसीर स्कूल का कार्यक्रम पूरे राज्य में हुआ लोकप्रिय

कांसीर स्कूल से शुरू अभियान से सैकड़ों छात्र तथा शिक्षक शामिल होकर अपने छुट्टी की अवधि का सदुपयोग कर ज्ञानार्जन किये. धीरे- धीरे यह कार्यक्रम पूरे राज्य में लोकप्रिय हो गया. श्री झा ने कहा कि जिन बच्चों के पास मोबाइल नहीं था. मैं उन बच्चों के घर तक उन्हें टास्क दिया. पेड़ के नीचे एवं किसी भवन के बरामदे में बैठ कर पढ़ाया. इसके अतिरिक्त साप्ताहिक मोहल्ला क्लास का संचालन भी किया जाता है. इसके तहत गांव के किसी बगीचे या खुले स्थान पर सीमित बच्चों के साथ सोशल डिस्टैंसिंग को ध्यान में रखते हुए गणित एवं भाषा की कक्षा बच्चों के सुविधानुसार संचालित की जाती है. जिन बच्चों का जन्मदिन है, लेकिन वे स्कूल बंद के कारण नहीं आ पा रहे हैं. उन बच्चों के घर जाकर जन्मदिन मनाया.

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चुनौती के रूप में लिया और बच्चों को नीलेश ने पढ़ाया

रायडीह प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय महुआटोली के शिक्षक नीलेश कुमार मिश्रा (Nilesh Kumar Mishra) ने लॉकडाउन अवधि में न सिर्फ बच्चों को पढ़ाने का काम किये, बल्कि बच्चों को शिक्षा एवं कई प्रकार के ज्ञानवर्धक प्रतियोगिता से जोड़े रखें. श्री मिश्रा ने कहा कि कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) के इस विकट काल में छात्रों के द्वारा अपनी पढ़ाई जारी रखना वास्तव में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है. लेकिन, इसे एक चुनौती मानते हुए मेरे द्वारा छात्रों की पढ़ाई में सहायता एवं निरंतरता के लिए कुछ अभिनव प्रयोग किये गये हैं.

छात्रों को दिया गया ऑनलाइन प्रमाण पत्र

सबसे पहले अपने सहयोगी शिक्षकों की सहायता एवं उत्प्रेरण से छात्रों को विद्यालय के सभी शिक्षक- शिक्षिकाओं द्वारा तैयार किये गये वर्कशीट का प्रत्यक्ष रूप से वितरण कराया. इसे हल कर 7 से 10 दिनों में गांव में रोस्टर के अनुसार पहुंचे. शिक्षकों के पास जमा करने का निर्देश दिया. इसके बाद सभी वर्कशीट की जांच कर बेहतर प्रदर्शन करने वाले छात्रों को डीजी साथ के व्हाट्सअप समूह में ऑनलाइन प्रमाण पत्र (Online certificate) प्रदान किया जाता है. इससे छात्रों में पढ़ाई के प्रति अभिप्रेरणा जगती है. साथ ही मेरे द्वारा कुछ वीडियो लेशन तथा पावर प्वाइंट प्रस्तुति भी निर्मित की जाती है. इसे छात्रों के व्हाट्सअप समूह में निरंतर प्रेषित किया जाता है. इसे छात्र देखकर अपनी कॉपी पर नोट करते हैं. इस प्रयोग से भी बच्चों में पढ़ाई के प्रति एक नये उत्साह का संचार होता है. जिन अभिभावकों के पास मोबाइल नंबर उपलब्ध है. उनसे व्यक्तिगत रूप से चर्चा कर उनके बच्चों को निरंतर पाठ्य पुस्तक का पठन कर पढ़ाई जारी रखने हेतु प्रेरित करते हैं.

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पेड़ के नीचे बैठ कर छात्रों को पढ़ाते हैं कोमता प्रसाद

रायडीह प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय पहाड़टोली के शिक्षक कोमता प्रसाद (Komta prasad) ने कोरोना संकट के बाद लगे लॉकडाउन में बच्चों को पढ़ाने के लिए पेड़ के नीचे सोशल डिस्टैंसिंग के तहत कक्षा ली. जिसका परिणाम है. बच्चे पूरे लॉकडाउन में बेकार नहीं बैठे, बल्कि वे पढ़ाई करते नजर आये. श्री प्रसाद ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान जहां ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा नहीं है, वहां के बच्चों को ऑफलाइन पढ़ा रहे हैं. रायडीह प्रखंड के कई ऐसे गांव हैं जहां नेट की सुविधा नहीं है. सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे गरीब होते हैं. उनके मां-बाप के पास स्मार्टफोन नहीं है और नेट की सुविधा नहीं होने के कारण बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाना संभव नहीं हो पा रहा है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए नेट विहीन क्षेत्र के स्कूली बच्चों को शिक्षक गांव के पेड़ के नीचे बैठाकर पढ़ाने का काम कर रहे हैं. बच्चों का ज्ञान को अद्यतन रखना जरूरी है. यहां नेट काम नहीं करता. इसलिए बच्चों को शारीरिक दूरी बनाकर पेड़ के नीचे पढ़ाने का काम कर रहा हूं.

Posted By : Samir Ranjan.

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