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गर्मी से सूखने लगी नदियां, इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों पर भी आफत

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खेतीबारी प्रभावित, पेयजलापूर्ति बंद

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गुमला.

गर्मी तेज हो गयी है. इसका असर दिखने लगा है. नदी, नाला, कुएं का जलस्तर रसातल में जा रहा है. प्रभात खबर ने एक साथ 11 नदियों की पड़ताल की. नदियों में पानी कितना है. किसान, पशु-पक्षी की क्या स्थिति हो रही है. पेयजल की वर्तमान हकीकत की जानकारी ली. नदियों में तेजी से पानी कम हो रहा है. जिससे तेज गर्मी पड़ रही है. गुमला जिले की लाइफ लाइन कही जाने वाली नदियां सूख गयी हैं. कुछ नदियों में थोड़ा सा पानी है. कुछ नदियों में कामचलाऊ बांध बनाया गया है. परंतु इसी प्रकार गर्मी रही, तो एक सप्ताह बाद ये नदियां भी सूख जायेंगी. इसमें कई नदियों से शहर से लेकर गांव तक पानी की सप्लाई होती है. नदियां सूखने से सबसे ज्यादा परेशानी पशु-पक्षियों को हैं. क्योंकि नदी-नालों के सहारे ही पशु-पक्षी अपनी प्यास बुझाते हैं. नदी किनारे बसे गांव के लोगों को भी संकट झेलनी पड़ सकती है. नदी किनारे स्थित खेत में सिंचाई के लिए पानी खत्म हो गया है. हालांकि कुछ लोग नदियों में बोरा बांध बनाकर पानी रोकने में लगे हुए हैं. जिससे पानी जमा कर कुछ दिनों तक उसका उपयोग कर सके.

कोयल नदी :

नागफेनी गांव से दक्षिणी कोयल नदी बहती है. नदी सूखने लगी है. कहीं-कहीं पास में पानी है. इसी नदी से गुमला शहर में पानी सप्लाई होती है और 52 हजार आबादी की प्यास बुझती है. नदी सूखने से शहर में जलसंकट गहराने की संभावना है. नदी किनारे बसे गांव व पशुओं के लिए परेशानी शुरू हो गयी है.

खटवा नदी :

यह नदी शहर से तीन किमी दूरी पर गुमला व लोहरदगा मार्ग पर है. नदी सूख चुकी है. कुछ बहुत पानी जमा है. जिसका उपयोग ग्रामीण पशुओं को पानी पिलाने व कपड़ा धोने में कर रहे हैं. कुछ साल पहले तक शहर में यहीं से पानी सप्लाई होती थी. परंतु धीरे-धीरे नदी का अस्तित्व खत्म हो गया है.

शंख नदी :

यह नदी झारखंड व छत्तीसगढ़ राज्य के बॉर्डर पर स्थित रायडीह प्रखंड के मांझाटोली गांव से होकर बहती है. नदी सूखने लगी है. कहीं-कहीं कुछ पानी जमा है. जिसका उपयोग फिलहाल लोग कर रहे हैं. परंतु एक सप्ताह बाद नदी का जलस्तर और खिसकेगा. जिससे पानी मिलने की उम्मीद कम है.

बसिया प्रखंड :

बसिया मुख्यालय से होकर गुजरने वाली दक्षिण कोयल नदी से बसिया, कोनबीर सहित आसपास के क्षेत्रों में लाखों की आबादी को जलापूर्ति होती है. इस नदी में जलापूर्ति के लिए दो बड़े सप्लाई कूप का निर्माण हुआ है. परंतु यह नदी अब सूखने लगी है.

पालकोट प्रखंड :

बंगरू पंचायत से होकर तोरपा नदी बहती है. नदी का उदगम स्थल कटरडांड़ छपला है. नदी कुरा, बंगरु होते हुए कोयल नदी में मिलती है. नदी के किनारे गांव के लोग सब्जी की खेती करते हैं. चोरडांड़ के ग्रामीणों ने कहा कि नदी सूखने लगी है. श्रमदान से बोरा बांध बनाकर पानी रोकेंगे.

सिसई प्रखंड :

सिसई मुख्यालय के दक्षिणी दिशा से पारस नदी बहती है. इस नदी से अवैध रूप से बालू का उठाव होता है. इस कारण नदी का अस्तित्व खत्म हो रहा है. अभी नदी का पानी सूख गया है और घास उग आयी है. अगर इसे बचाया नहीं गया, तो यह नदी खत्म हो जायेगी.

बिशुनपुर प्रखंड :

प्रखंड मुख्यालय से एक किमी दूर बड़ी कोयल नदी जो लोंगा, तुमसे गांव होते हुए बनारी से गुजरती है. इस नदी से पीएचइडी विभाग द्वारा जलापूर्ति की जाती है. एक हजार परिवारों को पानी आपूर्ति की जाती है. परंतु धीरे-धीरे यह नदी सूखने लगी है. अप्रैल खत्म होते ही गंभीर संकट हो सकता है.

जारी प्रखंड :

गोविंदपुर गांव से होते हुए बड़काडीह, रूद्रपुर, बितरी, जारी, भिखमपुर, पतराटोली, करमटोली, रेंगारी, श्रीनगर, जामटोली, बरवाडीह, जरडा गांव से होकर लावा नदी गुजरती है. नदी सूखने लगी है. नदी के कई हिस्से सूख गये हें. इससे नदी के किनारे खेतों में पटवन के साथ पशुओं को पानी की किल्लत हो गयी है.

डुमरी प्रखंड :

छत्तीसगढ़ व झारखंड सीमाना के पकरीगछार गांव के समीप से बासा नदी निकल कर डुमरी होते हुए बहती है. गर्मी में यह नदी सूख जाती है. अभी नदी में कुछ बहुत पानी है. एक सप्ताह के अंदर पूरा नदी सूख जायेगी. जिससे पशु-पक्षियों को परेशानी होगी.

घाघरा प्रखंड :

देवाकी गांव से होकर अड़िया नदी बहती है. अभी नदी पूरी तरह सूख गयी है. जहां-तहां कुछ बहुत पानी है. कुछ दिनों में यह नदी पूरी तरह सूख जायेगी. जिससे नदी के किनारे बसे गांव व पशु-पक्षियों को परेशानी होगी. प्रखंड की अन्य नदियों की स्थिति भी खराब है.

भरनो प्रखंड :

प्रखंड के मारासिल्ली पंचायत के सिंगरी नदी का पानी सूखने लगा है. नदी से बालू का उठाव होता है. इसलिए नदी का अस्तित्व भी खत्म होने के कगार पर है. नदी को बचाने के लिए बालू के उठाव पर रोक लगाने की जरूरत है. प्रखंड की अन्य नदियों की स्थिति भी खराब है.

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