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गुमला में बारिश ने धीमी की गेहूं की खेती, रबी की खेती अच्छी

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गुमला जिला में धान के बाद सर्वाधिक उत्पादित होनेवाली फसल गेहूं है. जिले में हर साल 10 हजार हेक्टेयर से भी ज्यादा भूमि पर गेहूं की खेती होती है. परंतु इस साल गेहूं की खेती काफी धीमी है.

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गुमला : गुमला जिला में धान के बाद सर्वाधिक उत्पादित होनेवाली फसल गेहूं है. जिले में हर साल 10 हजार हेक्टेयर से भी ज्यादा भूमि पर गेहूं की खेती होती है. परंतु इस साल गेहूं की खेती काफी धीमी है. विगत सप्ताह की बारिश ने गेहूं की खेती को धीमा कर दिया है. ऐसे तो जिले में गेहूं की खेती दिसंबर माह तक होती है. जिसमें सिर्फ नवंबर माह तक पांच हजार हेक्टेयर से भी ज्यादा भूमि पर खेती हो जाती थी.

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परंतु इस साल विगत सप्ताह की बारिश के कारण अब तक करीब 3500 हेक्टेयर भूमि पर ही खेती हो सकी है. बताते चले कि जिले के अधिकांश किसान धान की खेती करते हैं. खेत में धान का फसल तैयार होने पर उसकी कटाई के बाद उसी खेत में गेहूं की खेती करते हैं. परंतु विगत सप्ताह की बारिश ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी. बारिश के कारण जहां कई किसानों का धान खेत में ही बरबाद होने के कगार पर पहुंच गया.

वहीं खेतों में पानी जमा हो जाने के कारण किसानों को धान काटने में भी परेशानी हो रही है. समय पर धान नहीं कट पाने के कारण किसान गेहूं की खेती की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं. अब जैसे-जैसे किसान अपने-अपने खेतों से धान काट रहे हैं. वैसे-वैसे गेहूं की खेती की तैयारी भी कर रहे हैं. वहीं धान के अलावा रबी के अन्य फसलों की खेती की स्थिति विगत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष काफी अच्छी है. जिले में हर साल चना 11 हजार हेक्टेयर, मटर 4500, मसूर 2500, अन्य दलहन एक हजार, सरसों 16000 व कुसुम 2000 हेक्टेयर भूमि पर खेती होती है.

विगत वर्ष नवंबर माह तक गेहूं एक हजार हेक्टेयर, चना 1120, मटर 2832, मसूर 80, अन्य दलहन 28 एवं सरसों 8425 हेक्टेयर भूमि पर ही हुआ था. वहीं कुसुम की खेती शुरू भी नहीं हुई थी, जबकि इस अब तक चना लगभग 4700 हेक्टेयर, मटर 3500, मसूर 850, अन्य दलहन 800, सरसों 12000 व तीसी की खेती लगभग 30 हेक्टेयर भूमि पर हो चुकी है. जिला कृषि पदाधिकारी अशोक कुमार सिन्हा ने बताया कि विगत सप्ताह की बारिश के कारण भले ही कुछ किसानों को नुकसान हुआ हो और धनकटनी में देरी होने के कारण गेहूं की खेती में भी देरी हो रही है. परंतु इस बारिश के कारण ही रबी के अन्य फसलों यथा चना, मटर, मसूर सहित अन्य दलहन एवं सरसों व तीसी फसल को काफी फायदा भी हो रहा है. गेहूं की खेती के बाद गेहूं के फसल को भी फायदा होगा.

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