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झारखंड विधानसभा में उठा डोभा घोटाला का मामला, गुमला विधायक भूषण तिर्की ने बताया कैसे हुआ खेल

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गुमला में बारिश के पानी को जमा करने, जमीन के अंदर के जलस्तर को बढ़ाने व खेतों की सिंचाई के लिए वर्ष 2021 से पहले मनरेगा से 20 हजार से अधिक डोभा खोदा गया था, परंतु, अब 90 प्रतिशत डोभा खेत से गायब है.

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गुमला जिले में 20 हजार से अधिक डोभा गायब हैं. यह मुद्दा विधानसभा सत्र के दौरान उठा है. गुमला विधायक भूषण तिर्की ने विधानसभा में अपने भाषण के दौरान गुमला जिले में डोभा खोदने में हुए घोटाला का मुद्दा उठाया है. उन्होंने कहा है कि पूर्व की सरकार के समय करोड़ों रुपये के डोभा घोटाला हुए हैं. बता दें कि गुमला जिले में डोभा निर्माण में खूब खेल हुआ है. तालाब व गड्ढा को डोभा दिखा कर पैसा निकाल लिया गया. छोटे तालाब को डोभा का रूप दे दिया गया. कहीं 10 फीट गहरा गड्ढा खोदना था, वहां पांच से छह फीट गड्ढा खोद कर पैसा निकाल लिया गया.

आज डोभा की जो स्थिति है. इसमें 90 प्रतिशत डोभा संबंधित योजना स्थल से गायब है. बताते चलें कि बारिश के पानी को जमा करने, जमीन के अंदर के जलस्तर को बढ़ाने व खेतों की सिंचाई के लिए वर्ष 2021 से पहले मनरेगा से 20 हजार से अधिक डोभा खोदा गया था, परंतु, अब 90 प्रतिशत डोभा खेत से गायब है. अगर कहीं डोभा है, तो उसका कोई उपयोग नहीं है. कुछ गिने-चुने डोभा को छोड़ दिया जाये, तो अधिकांश डोभा बेकार पड़े हैं और किसानों के लिए यह कोई उपयोगी नहीं है.

2021 से पहले डोभा निर्माण में सरकार से लेकर प्रशासन तक बहुत रुचि दिखायी गयी. बिचौलिया व मनरेगा से जुड़े कर्मी हावी रहे, परंतु, जब डोभा खोदा गया, तो एक साल बाद सभी डोभा गायब होते चले गये. 30 गुणा 30 गुणा 10 साइज के एक डोभा की कीमत 22 हजार रुपये थी. जबकि इससे थोड़ा बड़ा डोभा को 40 हजार व 60 हजार रुपये में खोदा गया.

गुमला जिले में 60 करोड़ रुपये से अधिक का डोभा खोदा गया है. प्रभात खबर ने एक साथ सभी 12 प्रखंडों से ग्राउंड रिपोर्टिंग की थी. खबर छपने के बाद गुमला डीडीसी ने सभी 12 प्रखंड के बीडीओ को जांच का आदेश दिये थे, परंतु, अब तक जांच नहीं हुई. कुछ बीडीओ दो-तीन डोभा की जांच की. वे भी वैसे डोभा की जांच हुई, जो किसानों के बूते जीवित है.

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