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Gumla News : लॉकडाउन में गांव-घर लौटे कई मजदूरों को नहीं मिल रहा काम, परिजन भी हैं चिंतित, अब पुन: कर रहे पलायन

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लॉकडाउन में गांव-घर लौटे कई मजदूरों को नहीं मिल रहा काम

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गुमला : आदिवासी बहुल व पिछड़ा जिला है. 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर आश्रित है. बरसाती खेती पर जिंदगी टिकी हुई है. बरसात में धान की खेती होती है, परंतु बरसात खत्म होते ही अधिकांश खेत बेजान हो जाते हैं. किसानों के हाथ में काम नहीं रहता है, इसलिए गुमला जिला से बड़े पैमाने पर किसानों का पलायन होता है. दूसरे राज्यों में जाकर मजदूरी करते हैं. झारखंड में गुमला पहला जिला है, जहां से सबसे अधिक पलायन होता है. प्रभात खबर ने प्रवासी मजदूरों की स्थिति पर पड़ताल की. पड़ताल करने से पता चला कि कोरोना संक्रमण ने प्रवासी मजदूरों की जीविका पर सबसे ज्यादा असर डाल है.

श्रम विभाग गुमला से मिली रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन अवधि में गोवा, महाराष्ट्र, हरियाणा, तेलंगाना, दिल्ली, पंजाब, असम सहित कई राज्यों से 36 हजार 240 लोग अपने गांव-घर (गुमला) लौटे. इसमें प्रवासी मजदूरों की संख्या 22 हजार 371 है. गांव-घर लौटने के बाद सभी प्रवासी मजदूरों का श्रम विभाग से निबंधन किया गया.

वहीं मनरेगा सहित अन्य योजनाओं में रोजगार देने की पहल की गयी, परंतु मनरेगा इन मजदूरों की स्थिति सुधारने में नाकाम साबित रहा है. यही वजह है कि कई मजदूर अभी भी गांव घर में बेकार हैं. संकट में जीवन गुजर रहा है. गांव-घर में रोजगार नहीं मिलने के बाद कई मजदूर पुन: दूसरे राज्य पलायन कर रहे हैं. श्रम विभाग की माने, तो जो मजदूर पलायन कर रहे हैं, उनका पहले निबंधन किया जा रहा है. साथ ही जिस कंपनी में काम करने जा रहे हैं,

उस कंपनी की पूरी जानकारी भी गुमला प्रशासन रख रहा है, ताकि गुमला के मजदूरों को दूसरे राज्यों में परेशानी न हो. पालकोट से ग्राउंड रिपोर्ट : प्रवासी मजदूरों को नहीं मिल रहा काम

पालकोट प्रखंड की नाथपुर पंचायत में डहूडांड़ सड़क टोली गांव है. प्रतिनिधि महीपाल सिंह ने गांव पहुंच कर प्रवासी मजदूरों के हाल पर ग्राउंड रिपोर्टिंग की. इस गांव के दर्जनों लोग रोजी रोजगार व काम की तलाश में पलायन कर गये थे, परंतु कोरोना संक्रमण के बाद जब लॉकडाउन लगा, तो मजदूर अपने घर लौट गये. इस गांव के अधिकतर मजदूर गोवा में काम करते थे. कोरोना संकट के बाद अपने राज्य झारखंड आना पडा़.

गोवा में ये सभी मजदूर बिल्डिंग बनाने में मजदूरी करते थे. जब गांव आये, तो आज इन युवकों के हाथ खाली हैं. इन्हें काम नहीं मिल रहा है. महीनों से घर में बेकार पड़े हैं. इनके पास इतना पैसा भी नहीं है कि खुद का रोजगार कर सके. गोवा से लौटे प्रवासी मजदूरी अरविंद उरांव, प्रवीण सोरेंग, मानसा उरांव व गुड्डू उरांव ने बताया कि जब से कोरोना संक्रमण शुरू हुआ है, तब से हमारे ऊपर संकट छाया हुआ है. गोवा से गांव लौटे. अभी भी कोरोना का डर है, इसलिए गोवा वापस नहीं जा रहे हैं.

प्रखंड मजदूर

गुमला 2429

सिसई 2966

भरनो 3188

घाघरा 1970

बिशुनपुर 3630

रायडीह 1606

चैनपुर 980

डुमरी 546

जारी 330

पालकोट 2065

बसिया 1635

कामडारा 1026

कुल 22371

Posted By : Sameer Oraon

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