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जंगलों में ढाई माह में 90 बार लगी आग

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इस साल गर्मी के मौसम में गुमला जिले के जंगलों में महज ढाई माह के अंतराल में लगभग 90 बार आग लग चुकी है.

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: जंगलों में आग लगने के कारण पेड़-पौधों को हो रहा नुकसान वन्य प्राणियों का भी उजड़ रहा आशियाना. 18 गुम 12 में जंगल में लगी आग को बुझाते कर्मी जगरनाथ पासवान, गुमला इस साल गर्मी के मौसम में गुमला जिले के जंगलों में महज ढाई माह के अंतराल में लगभग 90 बार आग लग चुकी है. हालांकि विगत कुछ दिनों से जिले में यदा-कदा हो रही बारिश के कारण जंगलों में आग लगने की घटना नहीं हुई है. परंतु इससे पूर्व जंगलों में एक ही दिन में तीन से चार जगहों पर आग लगने की घटना हुई है. जिससे जंगल का लगभग 200 एकड़ क्षेत्र प्रभावित हुआ है. ज्ञात हो कि गर्मी का मौसम आते ही जंगलों में आग लगने की घटना आम हो जाती है. आये दिन जंगलों में कहीं न कहीं आग लगने की घटना होते रहती है. इधर, इस साल जंगलों में आग लगने की सबसे ज्यादा घटना माह अप्रैल के मध्य से लेकर माह मई के मध्य तक में हुई है. हालांकि समय रहते वन विभाग की आग बुझाने वाली टीम द्वारा आग पर काबू पा लिया गया. आग को काबू पाने में स्थानीय लोगों द्वारा भी सहयोग किया गया. परंतु आग पर काबू पाने से पहले ही न केवल उक्त आग लगने वाले जगह की जमीन जलने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो गयी, बल्कि विभिन्न प्रकार के छोटे-छोटे अनगिनत पौधें जलकर बेकार होने के साथ ही काफी संख्या में बड़े-बड़े पेड़ भी झुलस गये. इसके साथ ही उक्त क्षेत्र में अपना आशियाना बनाकर रह रहे वन्य प्राणियों को भी अपना ठिकाना बदलना पड़ा. महुआ और केंदू पत्ता चुनने के लिए लगायी जाती है आग वन विभाग गुमला के अनुसार जंगलों में आग लगने का मुख्य कारण महुआ और केंदू पत्ता है. जंगलों में सबसे अधिक लगभग 90 प्रतिशत आग लगने की घटना महुआ और केंदू पत्ता चुनने के होती है. इसके अतिरिक्त 10 प्रतिशत आग लगने की घटना प्राकृतिक कारणों से होती है. स्थानीय ग्रामीण महुआ और केंदू पत्ता चुनने के लिए उक्त पेड़ों के नीचे आग लगा देते हैं. ताकि पेड़ के नीचे गिरकर इधर-उधर फैला सूखा पत्ता जल जाये और महुआ अथवा केंदू पत्ता चुनने में आसानी हो. आग से निपटने में उपयोगी साबित हो रही वन विभाग की टीम जंगल में लगी आग से निपटने में वन विभाग द्वारा बनायी गयी टीम बहुत ही उपयोगी साबित हो रहा है. वन विभाग द्वारा जंगलों में लगी आग से निपटने के लिए पांच-पांच लोगों का पांच टीम बनाया गया है. बिशुनपुर, गुमला, रायडीह, बसिया व चैनपुर में टीम बनाया गया है. उक्त प्रखंडों में पड़ने वाले जंगलों में आग लगने की घटना ज्यादा होती है. वहीं उक्त टीमों को वन विभाग द्वारा आग बुझाने के लिए फायर ब्लोअर, फायर बीटर समेत अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराया गया है. जो 24 घंटे कामकर जंगलों में लगी आग पर काबू पाने का काम करते हैं. जंगल में आग लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी : डीएफओ डीएफओ अहमद बेलाल अनवर लोगों से जंगलों में आग नहीं लगाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि जंगल हर एक इंसान की संपदा है. इस संपदा का दोहन नहीं, संरक्षण करें. आग लगने के बाद जंगल के पेड़-पौधों तथा जंगली प्राणियों को कितना नुकसान होगा. यह समझने वाली बात है. इससे भी ज्यादा नुकसान पर्यावरण को होगा. बस महुआ व केंदू पत्ता से होने वाली कुछ आमदनी के लिए जंगल में आग लगा देते हैं. उन्होंने कहा कि वन विभाग जंगल में महुआ और केंदु पत्ता चुनने के लिए आग लगाने वालों को चिन्हित कर रहा है. ऐसे लोगों पर भारतीय वन अधिनियम 1927 के तहत कार्रवाई की जायेगी.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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