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अधजले शव की होगी फॉरेंसिक जांच

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गुमला के चिकित्सीय दल ने पोस्टमार्टम करने से किया इनकार

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गुमला. गुमला थाना की डुमरडीह पंचायत स्थित कोरांबी गांव निवासी बुद्धेश्वर उरांव (60) के अधजले शव को गुमला पुलिस ने गुरुवार की देर शाम सात बजे सदर अस्पताल गुमला लाया गया, जहां उसे सदर अस्पताल के शव गृह में रखा गया. जो शुक्रवार की दोपहर एक बजे तक सदर अस्पताल में एक सफेद कपड़े में बंधा शवगृह में पड़ा रहा. दोपहर एक बजे बाद गुमला पुलिस ने उक्त सफेद कपड़े में बंधे शव को लेकर एफएसएल रांची में फॉरेंसिंक जांच के लिए ले जाया गया. बताते चलें कि गुमला पुलिस ने अधजला शव लाने के बाद सदर अस्पताल गुमला में सदर अस्पताल प्रबंधन गुमला द्वारा तीन चिकित्सीय दल का गठन शव के पोस्टमार्टम के लिए किया गया था, जिसमें डॉक्टर असीम अगुस्टीन मिंज, डॉक्टर प्रेमचंद्र भगत व डीएस डॉक्टर अनुपम किशोर थे. लेकिन तीनों चिकित्सकों ने शव का मुआयना करने के बाद सदर अस्पताल गुमला में शव के पोस्टमार्टम नहीं होने की बात कह कर उसे रांची एफएसएल के लिए पत्र प्रेषित कर दिया. इस कारण गुमला पुलिस को शव को लेकर रिम्स एफएसएल जांच के लिए दोपहर में लेकर जाना पड़ा. इस संबंध में डीएस डॉक्टर अनुपम किशोर ने बताया कि अधजला शव पुलिस द्वारा लाया गया था. शरीर का कुछ हिस्सा बचा हुआ था. नॉर्मल केस में सदर अस्पताल गुमला के चिकित्सकों द्वारा पोस्टमार्टम किया जाता है. लेकिन इस अधजले शव के लिए फॉरेंसिक एक्सपर्ट की जरूरत पड़ती है. फोरेंसिक एक्सपर्ट सिर्फ मेडिकल कॉलेज में होता है. जिले में इसकी बहाली नहीं होती है. अधजला शव के शरीर का कुछ हिस्सा बचा होने के कारण उसके स्कीन व हड्डी से फॉरेंसिक एक्सपर्ट डीएनए लेकर उसके परिवार के बच्चों से भी डीएनए लेकर उसकी जांच करते हैं. जिसमें शव उसके परिवार का है या नहीं है. यह प्रमाणित होता है. डीएनए की मिलान होने पर फोरेंसिक एक्सपर्ट रिपोर्ट देते हैं. इससे यह प्रमाणित होता है कि शव उसके परिवार का है. इसलिए उसके शव को फॉरेंसिक जांच के लिए रांची रेफर कर दिया गया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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