27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Durga Puja 2021 : गुमला के असुर जनजाति के लोग करते हैं महिषासुर की पूजा, जानें क्या है इसके पीछे की कहानी

Advertisement

दशहारा में लोग मां दुर्गा की पूजा अर्चना करते हैं, लेकिन गुमला में एक समदाय ऐसा भी है जहां लोग महिषासुर की पूजा करते हैं. ये जनजाति हैं असुर. इनका मानना है कि वे महिषासुर के ही पूर्वज हैं

Audio Book

ऑडियो सुनें

गुमला में असुर जनजाति के लोग महिषासुर की पूजा करते हैं. महिषासुर को अपना पूर्वज माननेवाले असुर जनजाति जंगल व पहाड़ों में निवास करते हैं. मां दुर्गा की पूजा के बाद इस जनजाति के लोग अपनी प्राचीन परंपराओं के आधार पर महिषासुर की पूजा करते हैं. श्रीदुर्गा पूजा में जहां हम, मां दुर्गा की पूजा करते हैं. ठीक इसके विपरीत एक समुदाय आज भी महिषासुर की पूजा करते हैं. हम बात कर रहे हैं, असुर जनजाति की.

- Advertisement -

आज भी असुर जनजाति के लोग अपने प्रिय आराध्य देव महिषासुर की पूजा ठीक उसी प्रकार करते हैं. जिस प्रकार हर धर्म व जाति के लोग अपने आराध्य देव की पूजा करते हैं. झारखंड राज्य के गुमला जिला ही नहीं, अन्य जिले जहां असुर जनजाति के लोग निवास करते हैं. वे आज भी महिषासुर की पूजा करते हैं.

दुर्गा पूजा के बाद दीपावली पर्व में महिषासुर की पूजा करने की परंपरा आज भी जीवित है. ऐसे इस जाति में महिषासुर की मूर्ति बनाने की परंपरा नहीं है. लेकिन जंगलों व पहाड़ों में निवास करने वाले असुर जनजाति के लोग श्रीदुर्गा पूजा की समाप्ति के बाद महिषासुर की पूजा में जुट जाते हैं. दीपावली पर्व की रात महिषासुर का मिट्टी का छोटा पिंड बनाकर पूजा करते हैं. इस दौरान असुर जनजाति अपने पूर्वजों को भी याद करते हैं.

लक्ष्मी, गणेश की पूजा करते हैं. इसके बाद देर शाम को दीया जलाने के बाद महिषासुर की पूजा की जाती है. दीपावली में गौशाला की पूजा असुर जनजाति के लोग बड़े पैमाने पर करते हैं. जिस कमरे में पशुओं को बांधकर रखा जाता है.

उस कमरे की असुर लोग पूजा करते हैं. वहीं हर 12 वर्ष में एक बार महिषासुर के सवारी भैंसा (काड़ा) की भी पूजा करने की परंपरा आज भी जीवित है. गुमला जिले के बिशुनपुर, डुमरी, घाघरा, चैनपुर, लातेहार जिला के महुआडाड़ प्रखंड के इलाके में भैंसा की पूजा की जाती है. बिशुनपुर प्रखंड के पहाड़ी क्षेत्र में भव्य रूप से पूजा होती है. इस दौरान मेला भी लगता है.

असुर जनजाति मूर्ति पूजक नहीं हैं. इसलिए महिषासुर की मूर्तियां नहीं बनायी जाती है. पर पूर्वजों के समय से पूजा करने की जो परंपरा चली आ रही है. आज भी वह परंपरा कायम है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें