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पुलिस के चक्रव्यूह में फंस कर ढेर हुआ इनामी नक्सली बुद्धेश्वर, 20 साल बाद आतंक का हुआ अंत, पढ़ें पूरी खबर

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Jharkhand Naxal News (गुमला) : झारखंड के गुमला जिला अंतर्गत चैनपुर प्रखंड के बारडीह पंचायत में कोचागानी गांव है. घना जंगल व ऊंचा पहाड़ है. यह भाकपा माओवादियों का सुरक्षित जोन रहा है. 20 साल से पुलिस इस क्षेत्र को नक्सल मुक्त करने में लगी हुई है. लेकिन, गुमला प्रखंड के पाकरटोली आंजन निवासी सह माओवादी के शीर्ष नेता बुद्धेश्वर उरांव इस क्षेत्र में कुंडली मारकर बैठा हुआ था. गुमला पुलिस ने ऐसा चक्रव्यूह रचा कि उसमें बुद्धेश्वर उरांव फंस गया और मरा गया. 20 साल बाद आतंक का अंत हो गया है.

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Jharkhand Naxal News (दुर्जय पासवान, गुमला) : झारखंड के गुमला जिला अंतर्गत चैनपुर प्रखंड के बारडीह पंचायत में कोचागानी गांव है. घना जंगल व ऊंचा पहाड़ है. यह भाकपा माओवादियों का सुरक्षित जोन रहा है. 20 साल से पुलिस इस क्षेत्र को नक्सल मुक्त करने में लगी हुई है. लेकिन, गुमला प्रखंड के पाकरटोली आंजन निवासी सह माओवादी के शीर्ष नेता बुद्धेश्वर उरांव इस क्षेत्र में कुंडली मारकर बैठा हुआ था. गुमला पुलिस ने ऐसा चक्रव्यूह रचा कि उसमें बुद्धेश्वर उरांव फंस गया और मरा गया. 20 साल बाद आतंक का अंत हो गया है.

अपनी सुरक्षा के लिए बुद्धेश्वर उरांव ने जंगलों में जगह-जगह IED बम बिछाकर रखा हुआ था. कोबरा, CRPF, झारखंड जगुवार व गुमला पुलिस ने जान हथेली पर रखकर IED बम बिछाये गये इलाके में घुसी. कई IED ब्लास्ट भी हुआ. लेकिन, सुरक्षा बल जंगल के अंदर घुसते गये और बुद्धेश्वर तक पहुंचे.

एसपी एचपी जनार्दनन के दिशा-निर्देश पर सुरक्षा बलों ने केरागानी व कोचागानी जंगल को चारों ओर से घेराबंदी की. सुरक्षा बल कदम फूंकते हुए आगे बढ़े थे. पुलिस ने इस बार ऐसा चक्रव्यूह रचा कि बुद्धेश्वर को निकलकर भागने का मौका नहीं मिला. गुरुवार की सुबह करीब 8 बजे बुद्धेश्वर मारा गया. शुरू में साधारण नक्सली मारे जाने की सूचना थी. लेकिन, जब बुद्धेश्वर के पुराना फोटो व हाथ की जांच की गयी, तो खुलासा हुआ कि मारा गया नक्सली 15 लाख का इनामी बुद्धेश्वर उरांव है.

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सुरक्षा बलों ने पूरी जांच पड़ताल के बाद दोपहर 2 बजे शव को जंगल से बाहर निकाला. शव को कंधे पर लादकर जवान करीब 5 किमी पैदल चले. इसके बाद शव को गाड़ी में लादकर गुमला लाया गया. शव को गुमला थाना में रखने के बाद पोस्टमार्टम हाउस भेजा गया. वहीं, बुद्धेश्वर के मारे जाने की सूचना खुद पुलिसकर्मी पाकरटोली गांव जाकर उसके परिजन को दिये. लेकिन, घर में बुद्धेश्वर का बड़ा भाई चरण उरांव व भाभी नहीं थी, जबकि बुद्धेश्वर की पत्नी गायब है.

संगठन में एक महिला नक्सली है, साड़ी, बिंदी, चूड़ी मिली है

बुद्धेश्वर उरांव का शव देर शाम 5 बजे गुमला पहुंचा. गुमला पहुंचने पर एसपी एचपी जनार्दनन, CRPF 203 के कमांडेंट राजीव कुमार, CRPF 209 के कमांडेंट सुरेंद्र मेहरा, CRPF 218 बटालियन के कमांडेंट अनिल मिंज व STF JJ के एसपी संजय किस्पोट्टा गुमला थाना पहुंचे. जहां उन्होंने बुद्धेश्वर के शव को देखा.

बताया गया कि बुद्धेश्वर की पत्नी व भाई से कई बार सरेंडर करवाने के लिए कहा था. लेकिन, उन्होंने बात नहीं सुनी. बुद्धेश्वर की मौत से गुमला पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. इस मुठभेड में COBRA, CRPF, झारखंड जगुवार व गुमला पुलिस ने संयुक्त रूप से मिलकर काम किया है.

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इनामी नक्सली बुद्धेश्वर के मारे जाने के बाद भी पुलिस का अभियान जारी रहेगा. बुद्धेश्वर की टीम में 10 लोग थे. जिसमें एक महिला भी शामिल है. घटनास्थल से साड़ी, बिंदी, चूड़ी भी मिली है. पूरे एरिया में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. मुठभेड़ में इंसास व एके-47 रेगुलर मिला है. पुलिस इसकी जांच कर रही है. बुद्धेश्वर का परिवार लांजी में रहता है.

एसपी ने बताया कि बुद्धेश्वर ने पुलिस को चैलेंज किया था कि उसके बीहड़ पहुंचकर दिखाये. इस चैलेंज को पुलिस ने एक्सेप्ट किया था. इसलिए मैंने मीडिया को पूर्व में ही कहा था कि सरेंडर करें, नहीं तो नहीं छोडूंगा. आज मैंने उसका चैलेंज को उसका खात्मा कर पूरा किया.

सांप, बिच्छू का डर, मच्छर काटने से परेशान रहे

चार दिन से सुरक्षा बल जंगल में हैं. अंधेरा होने के बाद जंगल में ही कैंप लगाकर सो जाते थे. जंगल से बहने वाले झरना का पानी पी रहे थे. कुछ जवान कोचागानी गांव के कुआं का पानी पीकर प्यास बुझा रहे थे. खाने- पीने का जो सामान था. उसी से भूख मिट रही थी. कुछ जवान बिस्किट, तो कुछ मिक्चर खाकर चार दिन से हैं. कोचागानी जंगल पहुंचने पर वहां मौजूद जवानों ने कहा कि हम किस प्रकार जंगल में रह रहे हैं. यह हम ही जानते हैं. शाम होने के बाद जब कैंप में प्लास्टिक बांधकर सोते हैं तो सांप, बिच्छू के अलावा जंगली जानवरों का डर रहता है. ऊपर से मच्छरों ने काटकर बुरा हाल कर दिया है. लेकिन, इसबार नक्सलियों को खत्म करने के इरादे से ही जंगल में घुसे हैं. एक नेता मारा गया. अब दूसरे नक्सलियों की पारी है.

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सामान ढोने में ग्रामीणों ने मदद की

जब बुद्धेश्वर उरांव मारा गया, तो घटनास्थल से पुलिस को भारी मात्रा में सामान मिला. लेकिन, जंगली रास्ता होने के कारण पुलिस ने कुछ ग्रामीणों से मदद ली. ग्रामीणों ने जंगल से बरामद सामान को मुख्य सड़क तक लाने में मदद की. इस दौरान ग्रामीण डरे हुए थे. लेकिन, खुशी इस बात की भी थी कि आतंक का अंत हो गया.

सहमे हुए हैं कोचागानी के ग्रामीण

जब जंगल में अंधाधुंध गोली चलनी शुरू हुई तो कोचागानी गांव के लोग डर गये. आवाज करीब 5 किमी की दूरी तक सुनायी दिया. हालांकि, ग्रामीणों ने कहा कि इस प्रकार की गोली हर सप्ताह या महीन में दो-तीन बार सुनते रहते हैं. इसलिए अब जंगल में गोली चलती है, तो हमलोग ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. ऐसे पत्रकार जब कोचागानी गांव पहुंचे, तो कई लोग डर से गोली नहीं चलने की बात कर रहे थे. जबकि कुछ लोगों ने किस लोकेशन में गोली चली. इसकी जानकारी दिये.

IED ब्लास्ट में 5 ग्रामीण अबतक मरे हैं

पुलिस के अनुसार, बुद्धेश्वर उरांव के दस्ते द्वारा सुरक्षा बलों व ग्रामीणों को क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से जंगली व पहाड़ी क्षेत्रों में IED बम लगाया गया है. जिसकी चपेट में आने से अब तक 5 ग्रामीण की मौत हुई है. वहीं, 14 ग्रामीण अबतक गंभीर रूप से घायल हुए हैं. इन क्षेत्र में यह नक्सली दहशत का पर्याय था. उस क्षेत्र के ग्रामीण इसके आतंक से काफी भयाक्रांत थे. पुलिस द्वारा बुद्धेश्वर उरांव के दस्ते का दहशत खत्म करने हेतु लगातार अभियान चलाया जा रहा था. साथ ही IED को निष्क्रिय किया जा रहा है.

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बुद्धेश्वर उरांव पर विभिन्न जिलों में दर्ज केस

बुद्धेश्वर उरांव के विरूद्ध गुमला जिला में 81, सिमडेगा जिला में 16, लोहरदगा जिला में चार, लातेहार में छह एवं गढ़वा में दो कुल 109 कांड तथा हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती, लूट, रंगदारी, आगजनी, पुलिस पार्टी पर हमला एवं नक्सल घटनाओं से संबंधित कांड प्रतिवेदित हुए है. यह झारखंड पुलिस व सीआरपीएफ के लिए बड़ी उपलब्धि है.

Posted By : Samir Ranjan.

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