16.1 C
Ranchi
Saturday, February 22, 2025 | 04:01 am
16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Azadi Ka Amrit Mahotsav: आजादी के लिए जेल गये थे गंगाजी महाराज, लाठियां भी खायीं

Advertisement

हम आजादी का अमृत उत्सव मना रहे हैं. भारत की आजादी के लिए अपने प्राण और जीवन की आहूति देनेवाले वीर योद्धाओं को याद कर रहे हैं. आजादी के ऐसे भी दीवाने थे,जिन्हें देश-दुनिया बहुत नहीं जानती वह गुमनाम रहे और आजादी के जुनून के लिए सारा जीवन खपा दिया. झारखंड की माटी ऐसे आजादी के सिपाहियों की गवाह रही है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Azadi Ka Amrit Mahotsav: स्वतंत्रता सेनानी गंगाजी महाराज उन चंद लोगों में शुमार हैं, जिन्होंने देश की खातिर जान दे दी. देश की आजादी के लिए आंदोलन किया. जेल गये और अंग्रेजों की लाठियां खायी. हालांकि आज उनका परिवार गुमनामी का जीवन जी रहा है. गुमला प्रखंड परिसर में स्थापित अशोक स्तंभ में जिले के जिन तीन स्वतंत्रता सेनानियों के नाम दर्ज हैं, उनमें गंगाजी का भी नाम शामिल है. आजादी की लड़ाई में अहम योगदान के लिए उनके परिवार को ताम्रपत्र भी मिला है. गंगाजी महाराज का निधन चार अक्तूबर 1985 को हुआ था. उनका समाधि स्थल गुमला शहर के जशपुर रोड स्थित काली मंदिर के बगल में है.

गढ़वाल से गुमला आकर जारी रखा आंदोलन

सीता देवी कहती हैं कि उनके पिता गंगा जी महाराज गढ़वाल के रहनेवाले थे. वह स्वतंत्रता सेनानी थे. अपने कुछ साथियों के साथ उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. इसके बाद अंग्रेज उन्हें पकड़ने के लिए खोजने लगे. अंग्रेजों से बचने के लिए 1945 में वह गढ़वाल से गुमला आ गये. उस समय गुमला जंगली इलाका था. बहुत कम घर थे. वह गुमला के रायडीह प्रखंड स्थित कांसीर गांव में बस गये. वह कांसीर गांव के जंगलों के बीच छिपकर रहने लगे और अंग्रेजों के खिलाफ काम करने लगे. अंग्रेज गुमला तक पहुंचे थे, लेकिन गंगाजी महाराज को पकड़ नहीं पाये थे. अभी जो काली मंदिर के समीप से गुजरनेवाली नदी पर पुल है, उस समय नहीं था. नदी पार करके लोग आते-जाते थे. गंगा जी महाराज अपने कुछ साथियों के साथ कांसीर से गुमला तक 35 किमी पैदल चलकर हर रोज आते थे और नदी के किनारे पूजा-पाठ करते थे. यहां अंग्रेजों के खिलाफ बैठक होती थी और आंदोलन की रणनीति बनती थी. गंगाजी महाराज नदी के किनारे पूजा पाठ करने लगे. बाद में इसी स्थल पर काली मंदिर बना, जो आज एक शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है.

सम्मान के लिए तरस रहा है परिवार

सीता देवी गंगा जी महाराज की इकलौती बेटी हैं. वह काली मंदिर की मुख्य पुजारिन हैं. सीता देवी को बेटा और बेटियां हैं. परिवार के अनुसार, जब तक गंगाजी महाराज जीवित थे, उन्हें पेंशन मिलती रही. लेकिन 1985 में उनके निधन के बाद पेंशन मिलनी बंद हो गयी. कभी भी प्रशासन ने परिवार के किसी सदस्य को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित करने का भी प्रयास नहीं किया.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें