गुमला के 3 गांवों की अपनी है दास्तां, न पीने का पानी, न सड़क और न ही स्वास्थ्य व्यवस्था का मिलता लाभ
Jharkhand news, Gumla news : कोजांग, डोहटोली और बगडाड़. ये है स्वतंत्र भारत के 3 गांव. जहां न पानी, बिजली और न सड़क है. नदी है, तो उसमें पुल नहीं है. स्वास्थ्य की सुविधा नहीं है. मरीज और गर्भवती को खटिया एवं गेड़ुवा में लादकर ग्रामीण दो किलोमीटर पैदल चलते हैं. पक्की सड़क तक पैदल चलने के बाद ऑटो एवं अन्य सुविधा से मरीज को अस्पताल लाया जाता है. यह तीनों गांव गुमला जिले के रायडीह प्रखंड स्थित जरजट्टा पंचायत में है. 80 परिवार है. आबादी करीब 600 है.
Jharkhand news, Gumla news : गुमला (दुर्जय पासवान) : कोजांग, डोहटोली और बगडाड़. ये है स्वतंत्र भारत के 3 गांव. जहां न पानी, बिजली और न सड़क है. नदी है, तो उसमें पुल नहीं है. स्वास्थ्य की सुविधा नहीं है. मरीज और गर्भवती को खटिया एवं गेड़ुवा में लादकर ग्रामीण दो किलोमीटर पैदल चलते हैं. पक्की सड़क तक पैदल चलने के बाद ऑटो एवं अन्य सुविधा से मरीज को अस्पताल लाया जाता है. यह तीनों गांव गुमला जिले के रायडीह प्रखंड स्थित जरजट्टा पंचायत में है. 80 परिवार है. आबादी करीब 600 है.
कोजांग, डोहटोली और बगडाड़ गांव की अजीब कहानी भी है. आजादी के 73 साल बाद भी यह गांव सरकार की नजरों से ओझल है. यही वजह है कि गांव के लोगों को जो सरकारी सुविधा मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही है, जबकि गांव के लोगों ने डीसी, बीडीओ और प्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंप कर गांव की समस्याओं से अवगत कराने का काम किया है. लेकिन, शासन और प्रशासन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. आज भी इस गांव के लोग विकास के लिए सरकार की ओर नजरें टिकाये हुए हैं.
कोजांग, डोहटोली एवं बगडाड़ के 3 दिशाओं में नदी है, जबकि एक छोर पर जंगल और खेत है. यहीं से ग्रामीणों का आवागमन होता है. नदी में पुल नहीं है. सड़क भी नहीं है. जिस कारण लोगों को बरसात में काफी परेशानी होती है. बरसात में 3 महीना गांव के लोग टापू में रहने को विवश होते हैं. बारिश थमने के बाद खेत में लगे धान की खेती के कारण लोग पैदल चलते हैं. गांव तक गाड़ी नहीं पहुंच पाती है, क्योंकि रास्ता नहीं है. पगडंडी में बड़ी मुश्किल से गाड़ी चलानी पड़ती है. बरसात में बच्चे स्कूल नहीं जा पाते.
गांव के विनोद प्रधान और विश्वनाथ साहू कहते हैं कि गांव में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. सरकार लाख दावा कर ले कि हर गांव को पानी मिल रहा है, लेकिन इस गांव में पानी नहीं है. गांव से एक किलोमीटर दूर खेत में कुआं है. यहीं से लोग सिर और भार के माध्यम से पानी ढोकर लाते हैं. तब पानी का जुगाड़ हो पाता है.
सांप डसने का डर हमेशा बना रहता हैयह जंगली इलाका है. बगल में छत्तीसगढ़ राज्य भी कुछ दूरी पर है. इस कारण इन तीनों गांवों में सांप डसने का डर हमेशा बना रहता है, क्योंकि इस क्षेत्र में सांप की संख्या अधिक है. अगर किसी को सांप डस देता है, तो ग्रामीण झाड़- फूंक का ही सहारा लेते हैं. ऐसे ही एक ग्रामीण मुरेल बा की मौत सांप के डसने से हो चुकी है. इलाज कराने के बाद 10 किलोमीटर दूर रायडीह या फिर गुमला आना पड़ता है.
Also Read: कोविड-19 संक्रमण के दौर में धनबाद का वातावरण हुआ साफ, प्रदूषण के स्तर में 90 फीसदी तक आयी कमी प्रशासन की अनदेखीग्रामीण दुलारचंद साहू ने कहा कि दो किलोमीटर सड़क खराब है. पुल भी नहीं है. अगर सड़क और पुल बन जाये, तो टापू में रहने का अभिशाप खत्म हो जायेगा. गांव में सोलर वाटर सिस्टम जरूरी है. खराब ट्रांसफरमर की भी मरम्मत करा दें प्रशासन. उन्होंने कहा कि गुमला प्रशासन हमारे गांव से मुंह मोड़े हुए है.
विधायक भूषण तिर्की ने कहा कि पूर्व की सरकार ने गांव के विकास पर ध्यान नहीं दिया. जिस कारण कोजांग, डोहटोली और बगडाड़ गांव आज भी विकास से दूर है. गांव की समस्या को दूर करने की पहल की जायेगी. मैं संबंधित विभाग को इस संबंध में दिशा- निर्देश देकर जल्द समस्या को दूर कराया जायेगा.
Posted By : Samir Ranjan.