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झारखंड की 20 हजार आदिवासी महिला किसान नयी तकनीक आधारित खेती से जुड़ेंगी, एटलस प्रोजेक्ट से होंगी सशक्त

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झारखंड की 20 हजार आदिवासी महिलाओं को खेती-बारी से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जायेगा. वहीं, फुलो झानो आशीर्वाद अभियान से लाभुकों को लाभ भी मिलेगा. इसको लेकर JSLPS और डिजिटल ग्रीन के बीच गुरुवार को MoU हुआ.

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Jharkhand News (रांची) : झारखंड की आदिवासी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से एक नयी पहल हुई है. इसको लेकर झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी और डिजिटल ग्रीन के बीच एटलस (एडवासिंग ट्राईबल लाइवलीहुड एंड सेल्फ रिलायंस- ATLAS) प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन को लेकर MoU हुआ. इस पहल के जरिये राज्य की करीब 20 हजार आदिवासी महिलाओं को उन्नत एवं तकनीक आधारित खेती से जोड़कर उनकी आमदनी में इजाफा किया जा सकेगा. इस MoU पर JSLPS की CEO नैन्सी सहाय और डिजिटल ग्रीन के प्रमुख कृष्णन पल्लासानी ने हस्ताक्षर किये.

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इस मौके पर JSLPS की CEO नैन्सी सहाय ने कहा कि इस परियोजना से जहां आदिवासी महिलाओं को खेती-बारी से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाया जायेगा, वहीं हड़िया-दारू निर्माण एवं बिक्री से जुड़ी महिलाओं को सम्मानजनक आजीविका से जोड़ कर सशक्त बनाया जायेगा. वहीं, फुलो झानो आशीर्वाद अभियान की लाभुक महिलाओं को भी इस पहल से लाभ होगा.

उन्होंने कहा कि उन्नत तकनीक आधारित खेती, आईसीटी, डेटा एनालिसिस, किसान डेयरी एप एवं उत्पादक कंपनी के प्रबंधन आदि कार्यों में भी डिजिटल ग्रीन महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना अंतर्गत कार्य करेगी. पलाश ब्रांड के मार्केटिंग एवं उत्पादों की बिक्री के लिए भी डिजिटल ग्रीन से कार्य करने की अपील की गयी. उन्होंने डिजिटल ग्रीन को ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने के लिए धन्यवाद दिया एवं उम्मीद जताया कि इस पहल के जरिये आदिवासी महिलाएं आजीविका सशक्तीकरण की दिशा में मिसाल कायम करेंगी.

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वहीं, डिजिटल ग्रीन के प्रमुख कृष्णन पल्लासानी ने कहा कि JSLPS ग्रामीण महिलाओं के विकास के लिए लगातार काम कर रही है. डिजिटल ग्रीन की टीम एवं JSLPS के प्रयास से अरहर की खेती करने वाली महिलाओं का उपज तीन गुणा बढ़ाया जा सका है. एटलस परियोजना के तहत राज्य की आदिवासी महिलाओं एवं उत्पादक कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाना है.

उन्होंने कहा कि एटलस परियोजना का लक्ष्य राज्य की 20 हजार आदिवासी महिलाओं को तकनीक आधारित उन्नत खेती से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाना है. जिसके अंतर्गत FPO से जुड़ी महिलाओं को एडवाइजरी सेवाएं, वीडियो आधारित प्रशिक्षण, क्षमतावर्धन जैसे कार्य किये जायेंगे. इस पहल के तहत डिजिटल ग्रीन महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना अंतर्गत संचालित विभिन्न किसान उत्पादक कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने का कार्य करेगी.

इस MoU के तहत किसान उत्पादक कंपनियों के क्षमतावर्धन पर विशेष ध्यान दिया जायेगा. डिजिटल ग्रीन समुदाय संचालित उत्पादक कंपनियों को सूचना संचार तकनीक के जरिये विभिन्न आयामों को विकसित करने का कार्य किया जायेगा. किसान उत्पादक कंपनियों के कार्यों, सदस्यों की भूमिका, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का रोल, कंपनी के संचालन सहित अन्य जरूरी विषयों पर सदस्यों को वीडियो एवं अन्य तकनीक के जरिये प्रशिक्षित किया जायेगा.

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श्री कृष्णन ने कहा कि इस साझा पहल से उत्पादक कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी, ताकि समुदाय के स्वामित्व वाली किसान उत्पादक कंपनियां लाभ कमाने वाली कंपनी बन सके और सभी सदस्यों को अच्छी आमदनी हो. इसके अंतर्गत किसान डेयरी मोबाइल एप की सुविधा भी उत्पादक कंपनी के किसानों को मिल सकेगी जिससे उनके मार्केटिंग, संग्रहण एवं अन्य कार्यों से जुड़े डेटा विभिन्न मॉनिटरिंग एवं डेटा एनालिसिस में उपयोग होगा, ताकि उसके आधार पर उनकी गतिविधियों में और सुधार लाया जा सकेगा.

डिजिटल ग्रीन के साथ हुए इस समझौते के तहत महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना अंतर्गत चुनिंदा किसान उत्पादक कंपनियों को एडवाइजरी सेवा, चैटबोट के जरिये तकनीकी मदद एवं विभिन्न कार्यों से जुड़ी जानकारी उपलब्ध करायी जायेगी. इस पहल से उत्पादक कंपनी के किसानों को आत्मनिर्भर एवं अच्छी आमदनी सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. इस अवसर पर JSLPS के COO विष्णु परिदा, डिजिटल ग्रीन की रिजनल प्रमुख रोनाली प्रधान, SPM MKSP आरीफ अख्तर, एटलस पहल के नोडल कमल जायसवाल भी उपस्थित थे.

Posted By : Samir Ranjan.

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